लॉकर में हुई चोरी तो बैंक भरेगा हर्जाना या आपको उठाना पड़ेगा नुकसान, RBI ने किया क्लियर

 


बैंकों की शाखाओं में रखे लॉकरों में चोरी-डकैती, फ्राड या प्राकृतिक आपदाओं से ग्राहकों को होने वाले नुकसान की भरपाई को लेकर आरबीआइ ने बुधवार को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि अगर भूकंप, बाढ़ और बिजली गिरने जैसी प्राकृतिक आपदाओं से लॉकर को नुकसान होता है तो उससे होने वाली हानि की जिम्मेदारी बैंक पर नहीं डाली जा सकती है। हालांकि बैंक को इससे अपनी शाखा में स्थित लॉकर को बचाने की पूरी व्यवस्था करनी होगी।

अगर बैंक कर्मचारी की किसी गलती या धोखाधड़ी, चोरी-डकैती, भवन गिरने व आग लग जाने जैसी परिस्थितियों से लॉकर को नुकसान होता है तो बैंक अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। इन वजहों से ग्राहकों को जो नुकसान होता है, बैंकों को उसकी भरपाई करनी ही होगी। यह भरपाई उस लॉकर के सालाना किराए का अधिकतम सौ गुना होगी। यानी, अगर किसी लॉकर का सालाना किराया 10,000 रुपये है, तो प्राकृतिक आपदा को छोड़कर अन्य वजहों से लॉकर नष्ट होने की स्थिति में बैंक को अधिकतम 10 लाख रुपये तक का भुगतान उस ग्राहक को करना पड़ेगा।

आरबीआइ के इस ताजा निर्देश को सभी सरकारी, गैर सरकारी बैंकों, ग्रामीण बैंकों, पेमेंट बैंकों आदि को मानना होगा। यह निर्देश बैंकों में सेफ डिपाजिट लॉकर के संचालन में एकरूपता लाने और उनके साथ ग्राहकों व बैंकों के अधिकारों को स्पष्ट करने के लिए लाया गया है। इस बारे में 19 फरवरी, 2021 को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिए एक फैसले का भी ख्याल रखा गया है। इसमें कहा गया है कि बैंकों को ग्राहकों के साथ यह लिखित समझौता करना होगा कि कि लॉकर में किसी भी तरह की गैरकानूनी वस्तु नहीं रखी जाएगी। बाद में बैंक को इसमें किसी तरह का संदेह होता है तो उसे जो भी उचित लगे वह कार्रवाई करने का अधिकार होगा।

लॉकर आवंटन के बारे में बैंकों को ज्यादा पारदर्शिता बरतने को कहा गया है। लॉकरों की सुरक्षा को लेकर बैंकों को किस तरह की व्यवस्था करनी होगी इसका भी विस्तृत ब्योरा इसमें हैं। लॉकर रूप के प्रवेश की सुरक्षा के साथ पूरी बिल्डिंग की सुरक्षा कैसी होनी चाहिए इसका भी दिशानिर्देश इसमें शामिल है। बैंकों को कहा गया है कि अपने निदेशक बोर्ड के स्तर पर सुरक्षा व ग्राहकों के अधिकारी संबंधी नियम की मंजूरी ले कर उन्हें लागू करें।

लॉकर किराया पर देने के बारे में आरबीआइ ने कहा है कि बैंक ऐसे नए ग्राहकों का एक सावधि डिपाजिट खाता खोलें। इस खाते में तीन वर्षों का किराया और लॉकर तोड़े जाने की सूरत में उसका खर्च वहन करने के बराबर रकम होनी चाहिए। हालांकि बैंक अपने मौजूदा ग्राहकों पर इस तरह का अकाउंट खुलवाने का दबाव नहीं डालेंगे।

उल्लेखनीय है कि अगर किसी ग्राहक ने लगातार तीन वर्षों तक अपने लॉकर का किराया जमा नहीं किया है तो बैंक के पास उसे तोड़ने का अधिकार है। हालांकि इसके लिए बैंक को सभी जरूरी प्रक्रियाओं का पालन करना होगा। सरकारी बैंक अमूमन छोटे आकार के लॉकर के लिए सालाना 2,000 रुपये, मध्यम आकार के लॉकर के लिए 4,000 रुपये और बड़े लॉकर के लिए 8,000 रुपये शुल्क लेते हैं। ग्राहकों को इस रकम पर जीएसटी का भी भुगतान करना होता है।

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