| भीलवाड़ा हलचल। वरिष्ठ अधिवक्ता मोहम्मद फरजन की माता श्रीमती जैनब बाई चल-अचल संपत्ति हड़पने की नियत से हत्या के मामले में गुरुवार को पोस्टमार्टम के लिए कब्र से शव को निकलवाने पहुंची पुलिस को भीड़ के गुस्से का सामना करना पड़ा। विरोध के चलते पुलिस शव को कब्र से नहीं निकलवा पाई। उधर, परिवादी पक्ष का आरोप है कि पुलिस के नोटिस पर वे कब्र की शिनाख्त के लिए गये, जहां भीड़ में शामिल लोगों ने उन्हें घेर लिया और तीन कारों के टायर से भी हवा निकाल दी। इस दौरान पुलिस, एसडीएम व मेडिकल बोर्ड में शामिल चिकित्सकों की टीम मौके पर मौजूद थी। उधर, पुलिस ने गाडिय़ों से हवा निकालने और पुलिस कार्रवाई का भीड़ द्वारा विरोध करने से इनकार किया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, कावांखेड़ा चौराहा निवासी अधिवक्ता मोहम्मद फरजन ने 11 नवंबर 2021 को मांडल थाने में अदालत के इस्तगासे से 11 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दी थी। अधिवक्ता ने आरोपितों पर परिवादी की मां जैनब बाई की चल अचल संपत्ति हड़पने की नियत से हत्या करने का आरोप लगाया था। इस मामले की जांच मांडल थाना प्रभारी मुकेश वर्मा कर रहे थे। अधिवक्ता मोहम्मद फरजन ने हलचल को बताया कि पुलिस ने उन्हें व तीन भाइयों मोहम्मद असलम, अब्दुल रसीद व मोहम्मद फरियाद को नोटिस देकर कब्र की शिनाख्तगी के लिए गुरुवार को सुबह दस बजे लाल खांजी का खेड़ा स्थित कब्रिस्तान पर तलब किया था। उन्होंने बताया कि वे, तीन भाइयों सहित तीन कारों से कब्रिस्तान पहुंचे, जहां बड़ी संख्या में लोग जमा थे। इन लोगों ने यह कहते हुये कि कब्र नहीं खोदने देंगे, विरोध शुरू कर दिया। मोहम्मद फरजन व उनके तीन भाइयों को भीड़ ने घेर लिया और उनकी कारों के टायरों से हवा निकाल दी। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस खड़ी होकर मुकदर्शक बनी रही। अतिरिक्त पुलिस जाब्ता भी मांडल पुलिस ने वहां नहीं बुलवाया था। अधिवक्ता मोहम्मद फरजन का आरोप है कि पुलिस ने दबाव में लेकर परिवादी व उनके भाइयों से यह लिखवा लिया कि कब्र खोदने के लिए उनकी कोई सहमति नहीं है। बाद में चारों भाई जैसे-तैसे वहां से निकलकर लौट आये। यह बोली भीड़ मांडल थाना प्रभारी मुकेश वर्मा का कहना है कि कब्रिस्तान में जमा भीड़ में शामिल लोगों में परिवादी पक्ष की ओर से दर्ज करवाई गई रिपोर्ट को लेकर गुस्सा था। ऐसे में भीड में शामिल लोगों ने कहा कि कब्र खोदने वाले (परंपरागत लोग ) लोगों द्वारा कब्र की खुदाई नहीं की जायेगी। अगर परिवादी पक्ष कब्र से शव को निकलवाना चाहता है तो वे स्वयं अपनेस्तर पर कब्र की खुदाई करे। ऐसे में परिवादी पक्ष ने लिखित में दे दिया कि वे कब्र की खुदाई के लिए सहमत नहीं है। अब आगे क्या कब्र से शव को नहीं निकलवाया जा सका। ऐसे में शव का पोस्टमार्टम भी नहीं हो सका। इसे लेकर थाना प्रभारी मुकेश वर्मा ने कहा कि इस मामले में अब आगे कार्रवाई करते हुये स्वतंत्र गवाहों के बयान लिये जाकर निर्णय लिया जायेगा। यह था मामला मोहम्मद फरजन ने 11 नवंबर 2011 को कोर्ट के इस्तगासे से मांडल थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई। इसमें इसमें महफूजा, परवीन, नसरीन, यास्मीन, नाजनीन, जास्मीन, बुरहान खान, सैय्यद आबीद अली, मोहम्मद आरीफ, सैय्यद सादाब साबरीउर्फ सहादत को आरोपित बनाया। परिवादी ने रिपोर्ट में बताया कि उनकी माता श्रीमती जैनब बाई प्त्नी स्व. याकुब खान निवासी मैसर्स हिंदशॉ मिल्स मांडल चौराहा की 22.23 अप्रैल की दरमियानी रात को आरोपितों ने चल-अचल संपत्ति हड़पने की नियत से सुनियोजित तरीके से षड्यंत्र रचकर हत्या कर दी और कोरोना बीमारी केनाम पर हत्या की साक्ष्य को नष्ट कर दिया गया। इस रिपोर्ट पर पुलिस ने हत्या, सबूत नष्ट करने व षड्यंत्र के आरोप में मामला दर्ज किया था। इसी मामले की जांच के दौरान आज पुलिस कब्र से शव को निकलवा कर उसका पोस्टमार्टम करवाने वाली थी, लेकिन भीड़ के विरोध के चलते पुलिस शव को कब्र से नहीं निकलवा पाई।
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