भीलवाड़ा में लाड़ली बिटिया अभियान के जन जागरुकता अभियान का शुभारंभ, रैली निकाली

 


  भीलवाड़ा बीएचएन। 

केवल कागज, स्टीकर या बैनर तक ही बिटिया सीमित नहीं होनी चाहिए। परिवार के दैनिक जीवन कार्यों में भी बेटियों की उपस्थिति जरूरी है। वर्तमान दौर में पुरुषों को अपनी सोच बदलनी होगी। 

यह बात हरिशेवा धाम आश्रम सनातन मन्दिर के महंत महामंडलेश्वर स्वामी हंसरामजी उदासीन ने आज सुबह हरिशेवा धर्मशाला में लाड़ली बिटिया अभियान संस्थान के बेटियों के संरक्षण, संस्कार और सम्मान के लिए जन जागरुकता अभियान के शुभारंभ समारोह में संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व स्वामी हंसरामजी ने रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। 

उन्होंने कहा कि मानसिक पटल पर स्त्री-पुरुष के बीच समन्वय स्थापित होना आवश्यक है। कन्या दोनों कुल का उद्धार कर सकती है, जबकि बेटा केवल एक कुल का उद्धार कर सकता है। घर में महिला के प्रति भावना उत्तम होगी तो मोहल्ले में होगी। फिर शहर में होगी। घर में समन्वय केवल कानून बना देने से नहीं होगा बल्कि सत्य, सनातन संस्कार देने से होगा। एक बेटी को बहू बनाकर लाओ तो एक बेटी को दूसरे घर की बहू बनाकर भी भेजो। संसार की रचना में कन्या का बराबर का स्थान है। 

मुख्य अतिथि भीलवाड़ा उपखंड अधिकारी ओम प्रभा ने कहा कि संविधान में लिंग आधारित भेदभाव नहीं है। बेटी और बेटे की विचारधारा में भेदभाव नहीं होना चाहिए। जिले में विभिन्न विभागों में कार्यरत वरिष्ठ महिला अधिकारियों का उदाहरण देते हुए एसडीएम ओम प्रभा बोलीं-किसी भी प्रकार का भेदभाव संभव नहीं है। स्कूलों में सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग अनिवार्य होनी चाहिए। बेटियों के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी अभिभावकों को होनी चाहिए। ये जानकारी घर-घर पहुंचानी चाहिए। कामकाजी महिलाओं को अनुकूल वातावरण मिले। किसी भी बेटी या बच्चे के माता-पिता या अभिभावक हर जगह नहीं हो सकते, पर हर जगह कोई न कोई माता-पिता या अभिभावक अवश्य होते हैं। उन लोगों को उस बेटी या बच्चे के माता-पिता या अभिभावक के रूप में मदद करनी चाहिए, यह आवश्यक है। 

विशिष्ट अतिथि स्थायी लोक अदालत सदस्य एवं बाल कल्याण समिति की पूर्व अध्यक्ष डा.सुमन त्रिवेदी ने कहा कि आज हर क्षेत्र में सभी महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही है लेकिन पुरुषों को अधिक तवज्जो दी जाती है। यह सोच बदलना आवश्यक है। बेटियों को संस्कार और सम्मान देना आवश्यक है। विशिष्ट अतिथि हरिशेवा धाम की ट्रस्टी पल्लवी वच्छानी ने कविता के जरिये बेटियों की अहमियत बताई। बालिका दैवी स्वरूपा है। जीवनदायिनी है।

इससे पूर्व प्रभु श्री कृष्ण और राधेरानी जी के समक्ष दीप प्रज्वलन से शुरू समारोह में लाड़ली बिटिया अभियान संस्थान अध्यक्ष ललित ओझा ने संस्था का परिचय देते हुए बताया कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जन जागरुकता कार्यक्रम किए जाएंगे। संत मयारामजी सहित सभी अतिथियों का स्वागत-सम्मान उपर्णणा, शाल व मोमेंटो प्रदान कर किया गया। हरिशेवा एसटीसी कालेज की छात्राओं दिव्या पुरोहित, चंद्रप्रभा व नन्हीं बेटी दिव्या जैन ने कविता व विचार व्यक्त किए।

दूधदानकर्ता माता का सम्मान, सबने लिया संकल्प-

महात्मा गांधी चिकित्सालय के मिल्क बैंक में 3600 मिली अपना दूध दान कर बच्चों का जीवन संरक्षित करने वाली माता जवासिया की इंदिरा खटीक को सम्मानित किया गया। समारोह में सभी उपस्थित लोगों व छात्र-छात्राओं को बेटियों के संरक्षण, संस्कार व सम्मान का संकल्प दिलाया। संस्थान के वरिष्ठ संस्थापक सदस्य अतुल शर्मा ने आभार जताया।

 

रैली में गूंजे बेटी बचाने के नारे-हरिशेवा धर्मशाला से रवाना हुई रैली मियाचंद जी की बावड़ी, सूचना केंद्र चैराहा, गोल प्याऊ चैराहा, आजाद चैक, वीर सावरकर चैक होते हुए पुनः हरिशेवा धाम में संपन्न हुई। हरिशेवा संस्कृत एसटीसी कालेज के बेटे-बेटियां व लाड़ली बिटिया अभियान के सदस्य व परिजन बेटियों के संरक्षण, संस्कार व सम्मान के नारे लगाते हुए चल रहे थे। बच्चों ने हाथों में नारे लिखी तख्तियां ले रखी थीं। भारती झा द्वारा संचालित कार्यक्रम में हेमलता ओझा, मधु जैन, सपना पाठक, कौशल्या उपाध्याय, हंसा नागौरी, आशिता ओझा, युक्ति ओझा,  

समारोह में केएल गिल्होत्रा, वरिष्ठ पत्रकार कैलाश त्रिवेदी, लक्ष्मीलाल गांधी, अरुण मुछाल, रामस्वरूप सेन, प्रेमस्वरूप गर्ग, विजय प्रकाश ओझा, मनीष बहेडिया, विजय व्यास, लोकेश तिवारी, प्रदीप व्यास, हरिशेवा धाम के सचिव ईश्वर आसनानी, प्रिंसीपल कैलाश तिवाड़ी, लाइब्रेरियन मोहन लाल शर्मा सहित सभी स्टाफ व छात्र-छात्राएं भी उपस्थित थे।

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