बवाल में चले सैकड़ों पेट्रोल बम, अपनी ही फोर्स से बोले एसीपी अकमल खां- अरे चूड़ियां मंगवा दें क्या...पीछे क्यों हट रहे हो?

 


कानपुर में बाजार बंदी की आड़ में हजारों लोग जुटाए गए। साजिश रचकर बवाल कराया गया। जबरन दुकानें बंद कराई गईं। इस साजिश की भनक पुलिस और प्रशासन को नहीं लग सकी। वहीं, पुलिस की जांच में बड़ी साजिश की बात सामने आई है, क्योंकि बगैर साजिश इतना बड़ा बवाल कराना संभव नहीं है। भाजपा प्रवक्ता के बयान के बाद से ही साजिश रचनी शुरू हुई थी। इलाकों में बाकायदा पोस्टर चस्पा करने के साथ साथ पर्चे बांटे गए, जिसमें तीन तारीख को आह्वान किया गया था। आह्वान करने वाले एक संगठन के शख्स का दावा है कि उसने बंदी निरस्त कर दी थी, उसका कोई लेनादेना नहीं है। पुलिस उस पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। भाजपा प्रवक्ता के बयान आने के बाद हयात जफर हाशमी ने तीन जून को बाजार बंद करने का एलान किया था। वीडियो मैसेज भी जारी किया था। पर्चे बांटकर बाकायदा पोस्टर भी लगाए गए थे।

Kanpur Violence

मगर बाद में उसने वीडियो मैसेज जारी कर पांच जून को जेल भरो आंदोलन करने का दावा किया था। लेकिन, बगैर किसी संस्था व शख्स का नाम लिखे तमाम पोस्टर बेकनगंज, चमनगंज, अनवरगंज समेत इलाकों में चस्पा किए गए थे, जिसमें तीन तारीख को बंदी का आह्वान किया गया था। इसी के तहत लोग जुटाए गए और फिर बवाल कराया गया। शुरुआती जांच के बाद हयात जफर हाशमी पुलिस के रडार पर आ गया है। 

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कई साजिशकर्ता हैं शामिल, खुफिया भी लगाई गई
फिलहाल अभी हयात का नाम सामने आया है। मगर पुलिस अफसरों का कहना है कि इसके पीछे कहीं न कहीं कई और लोग भी शामिल हैं। जो भीड़ जुटाने से लेकर बवाल कराने में शामिल रहे हैं। पुलिस ऐसे लोगों के बारे में जानकारी जुटा रही है। खुफिया भी अपने स्तर से ऐसे लोगों को चिह्नित करने का प्रयास कर रही है। पुलिस के कई अन्य विंग ने भी गोपनीय तरीके से जांच शुरू कर दी है। 

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इसलिए भड़क गए उपद्रवी
हयात का नाम सीएए हिंसा में भी आया था। खासकर लोगों को भड़काने में। एक दो मामलों में उस पर केस भी दर्ज किए गए लेकिन कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई। इस मामले में भी जिस तरह से वह कह रहा है कि उसने बाजार बंद का कार्यक्रम स्थगित कर दिया था वह भी सवालों के घेरे में है।

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क्योंकि पहले बुलाना फिर अचानक कार्यक्रम रद्द करना ऐसा लगता है कि ये भी साजिश है, जिससे वह बच भी जाए और बवाल भी हो जाए। अब वह हाथ पीछे खींच रहा है। जबकि उपद्रवियों ने तय तारीख पर बवाल कर दिया है।
 

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जिला प्रशासन के आग्रह पर वापस ले ली थी बंदी : हयात
पैगंबर-ए-इस्लाम पर अभद्र टिप्पणी करने वाली भाजपा नेता नुपुर शर्मा के खिलाफ कार्रवाई न करने के विरोध में मौलाना मोहम्मद अली जौहर फैंस एसोसिएशन ने तीन जून को मुस्लिमों को कारोबार बंद करने का आह्वान किया था, लेकिन शुक्रवार को ही राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का कार्यक्रम होने की वजह से प्रशासन से इस बंदी को निरस्त करने को कहा।
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हयात जफर हाशमी के मुताबिक एक जून को अनवरगंज एसीपी कार्यालय में हुई बैठक के बाद फेसबुक लाइव के जरिये तीन जून की बंदी को न करने का आग्रह किया था। इसके बावजूद कुछ असामाजिक तत्वों ने शहर के माहौल को खराब करने की कोशिश की। इसकी पूरी तरह से निंदा करते हैं और ऐसे तत्वों के खिलाफ चाहे वह जिस भी धर्म वर्ग के मानने वाले हों, सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं।

 

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फोर्स से बोले एसीपी, चूड़ियां मंगवा दें क्या...
अरे चूड़ियां मंगवा दें क्या... पीछे क्यों हट रहे हो? ये शब्द किसी आम आदमी के नहीं, बल्कि एसीपी अनवरगंज अकमल खां के थे। हुआ यूं कि बवाल के दौरान वह और डीसीपी प्रमोद कुमार उपद्रवियों को खदेड़ने के लिए कई बार अकेले ही टियर गैस गन और सरकारी असलहा लेकर भीड़ के पीछे दौड़ रहे थे। लेकिन, घने इलाके में जाते ही पथराव तेज होने पर पीछे से आ रहा फोर्स भागने लगता। 
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बार-बार यह स्थिति बनने पर एसीपी ने फोर्स को फटकार लगाते हुए कहा, क्या चूड़ियां मंगवा दें, थोड़े से उपद्रवी हैं भाग क्यों रहे हो। उनका इतना कहना था कि फोर्स भीड़ की तरफ दौड़ पड़ा और तीन मिनट में गली उपद्रवियों से खाली हो गई। यहां हालात काबू करके जैसे ही पुलिस फोर्स बेकनगंज पहुंचा, दूसरी तरफ से उपद्रवी पथराव करने लगे। पुलिस कमिश्नर और संयुक्त पुलिस कमिश्नर ने माइक से सभी को समझाया, कुछ धर्मगुरुओं ने भी समझाने की कोशिश की, पर उपद्रवी किसी की नहीं सुन रहे थे। वे पुलिस पर फायरिंग और पथराव करते रहे।

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एकतरफा कार्रवाई से बचे प्रशासन : शहर काजी
घटनास्थल पर पहुंचे शहरकाजी हाफिज अब्दुल कुद्दूस हादी और शहरकाजी मुफ्ती साकिब अदीब मिस्बाही ने लोगों को समझाने की कोशिश की। उन्होंने समाज से अपील की कि वह अब इस मामले पर शांत रहें। इसका कानूनी हल निकाला जाएगा। प्रशासन से आग्रह किया है कि एकतरफा कार्रवाई न हो और कोशिश शहर का माहौल बेहतर करने की होनी चाहिए।

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 अगर समय रहते नूपुर शर्मा को गिरफ्तार किया जाता तो शायद इसका विरोध भी न होता। घटनास्थल पर कुछ लोगों ने शहर काजी के साथ आए लोगों से धक्का-मुक्की भी की। वहीं, सपा विधायक अमिताभ बाजपेई, मोहम्मद हसन रूमी और इरफान सोलंकी ने भी घटना की निंदा की।

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