देशभर की मंडियों में 16 जुलाई को तालाबंदी

 


भीलवाड़ा हलचल प्रदेश के साथ-साथ देशभर की 7300 कृषि उपज मंडिया और 13 हजार दाल मिलें दलहन पर स्टॉक लिमिट लगाने के विरोध में  16 जुलाई को भारतीय उद्योग व्यापार मंडल  के आह्वान पर बंद का निर्णय लिया गया है.  राजस्थान की 247 कृषि उपज मंडिया भी बन्द रहेंगी. कारोबार और ऑक्शन नहीं होने से मौटे तौर पर 600 करोड़ रुपए प्रति दिन का कारोबार प्रभावित होगा, वहीं 5 लाख से अधिक कामगार प्रभावित होंगे. 

 

अनब्रांडेड प्री- पैकेज्ड व प्री लेबल आटा, दाल, दही, गुड समेत विभिन्न खाद्य उत्पादों पर 18 जुलाई से लगने वाले 5 फीसदी जीएसटी के विरोध में 16 जुलाई को देशभर की 7300 कृषि उपज मंडियां, 13,000 दाल मिलें, 9,600 चावल मिलें, 8,000 आटा मिलें तथा 30 लाख छोटी चक्कियां बंद रखने की घोषणा की गई है। कारोबार बंद में करीब तीन करोड़ खुदरा व्यवसायी भी शामिल होंगे। इसके अलावा 14 जुलाई को व्यापारी प्रधानमंत्री एवं वित्तमंत्री के नाम ज्ञापन देकर विरोध व्यक्त करेंगे। अगर केन्द्र सरकार जीएसटी वापस नहीं लेगी तो आंदोलन तेज किया जाएगा। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल की कार्यकारिणी की बैठक में यह फैसला किया गया है। संगठन के राष्ट्रीय चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि अनब्रांडेड खाद्य उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाना जीएसटी की मूल भावना के विपरीत है। पूर्व वित्तमंत्री स्व. अरुण जेटली ने कहा था कि आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी नहीं लगाया जाएगा। इसके मद्देनजर यह विरोध किया जा रहा है। क्योंकि सरकार के इस कदम से महंगाई और बढ़ेगी।
बैठक में महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, हिमाचलप्रदेश, उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडू, केरल, झारखण्ड, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल तथा दिल्ली आदि प्रांतों के व्यापारी तथा उद्योगपति शामिल हुए। 28 और 29 जुलाई को चण्डीगढ़ में आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी काउंसिल सदस्यों द्वारा केन्द्र सरकार को अनुशंषा की है कि सूचीबद्ध खाद्य वस्तुएं तथा ग्रेन्स आदि जो ब्राण्डेड की श्रेणी में नहीं आते। इस एक्जेम्प्शन को समाप्त करते हुए यह अनुशांषा की जाती है कि प्री-पैकेज्ड तथा प्री-लेबल्ड रिटेल पैक जोकि लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट के अन्तर्गत परिभाषित है, को एक्जेम्प्शन से एक्सक्लूड किया जाता है।

 

Protest against GST: जीएसटी का विरोध, देशभर में 16 जुलाई को कारोबार बंद

ट्रेड और उद्योग की माली हालत खराब
कोरोनाकाल की विभिषिका के कारण ट्रेड तथा उद्योग खराब माली हालत से गुजर रहे हैं। अभी व्यापारी तथा उद्योगपति बैंकों को अपनी ईएमआई नहीं चुका पा रहा है। व्यापारियों द्वारा दी गयी उधारी वापस नहीं आ रही है। उपभोक्ता की जेब में दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुओं के खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है। इस कारण से मध्यमवर्गीय व्यापार एवं उद्योग पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में यह कर वृद्धि, जो आवश्यक वस्तुओं पर की गई है, नहीं की जानी चाहिए। बल्कि मध्यमवर्गीय व्यापार तथा उद्योग को आवश्यक वस्तुओं के व्यापार के लिये इन्सेन्टिव्ज दिए जाने चाहिए।

 

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