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शीतलाष्टमी पर्व 15 को, रांधा-पौआ मंगल को, फुटपाथों पर सजी रंग की दुकानें

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  भीलवाड़ा (हलचल)।  शीतलाष्टमी को लेकर घरों में तैयारियां शुरू हो गई। मंगलवार देर रात से शीतला माता की पूजा शुरू हो जाएगी और बुधवार को रंग खेला जाएगा। शहर में फुटपाथों पर रंग की दुकानें सजने लगी है जबकि तलीय सामग्री फुटपाथी दुकानें पहले ही सज चुकी है लेकिन इस बार बिक्री को लेकर दुकानदार संशय में है। बुधवार को ही मुर्दे की सवारी भी निकाली जाएगी जिसे देखने के लिए लोग बड़ी संख्या में जुटते है। शीतला अष्टमी और बसौड़ा अष्टमी भी कहा जाता है। बसौड़ा शीतला माता को समर्पित लोकप्रिय त्योहार है। ये पर्व होली के आठवें दिन मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन पूजा के समय माता शीतला को पर मीठे चावलों का भोग लगाया जाता है।  खासतौर पर इस दिन मां शीतला को बासी पकवानों का भोग लगाया जाता है। खुद भी बासी और ठंडा भोजन किया जाता है। मान्यता है कि शीतला अष्टमी के दिन पूरे विधि विधान के साथ पूजा करने से बीमारियों से मुक्ति मिलती है और घर में सुख शांति बनी रहती है।  इस दिन घरों में नहीं जलाया जाता है चूल्हा शीतला अष्टमी, ठंडा-बासी, बास्योड़ा और कई नामों से जाने वाले इस अनूठे त्योहार के दि...

चामुंडा माता आज के दर्शन

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  चामुंडा माता आज के दर्शन

भगवान गणेश के मंगला आरती दर्शन

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  गांधीनगर गणेश मंदिर में बुधवार भगवान गणेश के मंगला आरती दर्शन

इस दिन मनाई जाएगी हरतालिका तीज

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  सुहागिनों और कुंवारी कन्याओं के सबसे बड़े पर्व में से हरतालिका तीज भी है। हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है। ये पर्व भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ा है। इस दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करते हैं। महिलाएं तीज में निर्जला व्रत रखती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस बार हरतालिका तीज 30 अगस्त 2022 को मनाई जा रही है। इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और उनके पूरे परिवार की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर घर में मंदिर में स्थापित करते हैं। माता का श्रृंगार किया जाता है। महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, हाथों पर मेहंदी रचाती हैं और रात में माता गौरी की पूजा करती हैं। सुहागिनों के साथ ही कुंवारी लड़कियां भी इस दिन उपवास करती हैं।  चलिए जानते हैं हरतालिका तीज कब है, क्यों और कैसे मनाई जाता है हरतालिका तीज का पर्व। कब है हरतालिका तीज हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, हरतालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस साल 29 अगस्त दिन सोमवार को दोपहर 03 बजकर 20 मिनट से शुरू ह...

कोटड़ी श्याम दरबार मंगला श्रृंगार आरती के दर्शन

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  कोटड़ी श्याम दरबार मंगला श्रृंगार आरती के दर्शन

जय श्री कोटड़ी श्याम दरबा आज मंगला श्रृंगार आरती के दर्शन

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  जय श्री कोटड़ी श्याम दरबा आज मंगला श्रृंगार आरती के दर्शन दिनांक     13- 04--2022

जय श्री कोटड़ी श्याम दरबार आज मंगला श्रृंगार आरती के दर्शन

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  जय श्री कोटड़ी श्याम दरबार आज मंगला श्रृंगार आरती के दर्शन दिनांक     12- 04--2022*

जय श्री कोटड़ी श्याम दरबार आज मंगला श्रृंगार आरती के दर्शन

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  जय श्री कोटड़ी श्याम दरबार आज मंगला श्रृंगार आरती के दर्शन दिनांक     11- 04--2022*

जय श्री कोटड़ी श्याम दरबार आज मंगला श्रृंगार आरती के दर्शन

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  जय श्री कोटड़ी श्याम दरबार आज मंगला श्रृंगार आरती के दर्शन दिनांक     08- 04--2022*

18 या 19 मार्च को कब है होली? भद्राकाल के कारण इस समय है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, जानें

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  होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि  को किया जाता है. और इसके अगले दिन होली का त्योहार मनाया जाता है, जिसमें रंग-अबीर की होली खेली जाती है. इस बार भद्राकाल के कारण होलिका दहन के शुभ समय को लेकर लोग संशय में हैं वहीं प्रतिपदा तिथि को लेकर होली की डेट में भी उलझन में हैं. आप भी इसी उलझन में हैं तो जान लें कि कब मनाई जाएगी होली और क्या है होलिका दहन का शुभ समय. इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिन पड़ रही है, साथ ही पूर्णिमा तिथि पर भद्राकाल होने के कारण लोगों में होली और होलिका दहन को लेकर संशय की स्थिति है. हिंदू धर्म ग्रन्थों के अनुसार, होलिका दहन   पूर्णिमा तिथि में सूर्यास्त के बाद करना चाहिए. लेकिन यदि इस बीच भद्राकाल  हो, तो भद्राकाल में होलिका दहन नहीं करना चाहिए. इसके लिए भद्राकाल के समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए. होलिका दहन के लिए भद्रामुक्त पूर्णिमा तिथि का होना बहुत जरूरी है. हिंदू शास्त्रों में भद्राकाल को अशुभ माना गया है. ऐसी मान्यता है कि भद्राकाल में किया गया कोई भी काम सफल नहीं होता और उसके अशुभ परिणाम मिलते हैं.  होलिका दहन का शुभ मुहूर्त जा...

कब से शुरू होंगे चैत्र नवरात्रि? जानें तिथि, पूजा विधि व कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

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मां दुर्गा को समर्पित पर्व चैत्र नवरात्रि आने वाले हैं। हर साल 4 नवरात्रि मनाए जाते हैं। लेकिन शारदीय व चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इस साल चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल 2022, शनिवार से प्रारंभ हो रहे हैं, जो कि 11 अप्रैल 2022, सोमवार को समाप्त होंगे। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना करके मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की अलग-अलग पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा की विधिवित पूजा करने वाले भक्तों पर माता रानी अपनी कृपा दृष्टि सालभर रखती हैं। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त- कलश स्थापना चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि यानी पहले दिन की जाएगी। कलश स्थापना का शुभ समय 2 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 10 मिनट से 08 बजकर 29 मिनट तक है। कुल अवधि 02 घंटे 18 मिनट की है। 1. नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर नहाएं। 2. स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद कलश को पूजा घर में रखें। 3. मिट्टी के घड़े के गले में पवित्र धागा बांधे 4. अब कलश को मिट्टी और अनाज के बीज की एक परत से भरें। 5. कलश में पवित्र जल भरकर उसमें सुपारी, गंध, अक्षत, दूर्वा घास और सिक्के डालें। 6. कलश के मुख पर एक नारियल रखें। ...

श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का आज का अद्भुत प्रातःकाल भस्मारती श्रृंगार दर्शन

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   जय श्री महाँकाल श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का आज का अद्भुत प्रातःकाल भस्मारती श्रृंगार दर्शन दिनांक 01 मार्च 2022 (मंगलवार) 

महाशिवरात्रि पर इस साल बन रहा पंचग्रही योग, भगवान शिव की कृपा से पूरी होगी मनोकामना

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महाशिवरात्रि का त्योहार इस साल 1 मार्च, मंगलवार को मनाया जाएगा।  भगवान शिव को समर्पित यह त्योहार इस साल बेहद खास होने वाला है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, महाशिवरात्रि पर इस साल दो शुभ संयोग बन रहे हैं। महाशिवरात्रि के दिन इस साल पंचग्रही योग का भी निर्माण हो रहा है। मान्यता है कि इस शुभ संयोग में भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि पर ग्रहों का शुभ योग- 12वें भाव में मकर राशि में पंचग्रही योग का निर्माण होगा। इस राशि में मंगल और शनि के अलावा बुध, शुक्र और चंद्रमा भी विराजमान होंगे। लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति बनेगी। वृषभ राशि के चौथे भाव में राहु और वृश्चिक राशि के दसवें भाव में केतु विराजमान रहेंगे। बनेंगे ये खास योग- महाशिवरात्रि पर इस साल धनिष्ठा योग का निर्माण होगा। धनिष्ठा योग के बाद शतभिषा नक्षत्र रहेगा। इसके बाद शिव योग लग जाएगा। मान्यता है कि इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से कार्यों में सफलता मिलती है। इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पह...

4 मार्च फुलेरा दूज पर रहेगी वैवाहिक आयोजनों की धूम

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  फाल्गुन माह की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज के रूप में मनाया जाएगा । इस बार फुलेरा दूज 4 मार्च को है और यह दिन होली के आगमन का प्रतीक माना जाता है । होली से पहले आने वाली इस दूज से कृष्ण मंदिरों में फाल्गुनी रंग निखरने लगते हैं । होली से करीब पंद्रह दिन पहले शादियों का शुभ मुहूर्त समाप्त हो जाता है । जबकि भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित तिथि फुलेरा दूज के दिन हर पल शुभ होने की शास्त्रोक्त मान्यता के कारण वैवाहिक आयोजन होते है । ज्योतिष शास्त्र में फूलेरा दूज को अबूझ मुहूर्त माना गया है जिसमें इस दिन बिना मुहूर्त देखे सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य किए जा सकते है । इस दिन भगवान कृष्ण और राधा की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम की बहार आती है ।   4 मार्च फुलेरा दूज पर रहेगी वैवाहिक आयोजनों की धूम   विवाह के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त   ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फुलेरा दूज को हिंदू शास्त्रों में बड़ा ही महत्वपूर्ण दिन बताया है । इसीलिए इस विशेष दिन सर्वाधिक विवाह समारोह भी संपन्न होते हैं । हिंदू पंचांग की मान्यता के अनुसार , फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि विवाह ...

रुद्राक्ष पहनने से दूर हो सकती है पैसों की तंगी, इसके और भी हैं फायदे

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 भगवान शिव इसे आभूषण के रूप में पहनते हैं। रुद्राक्ष के बिना महादेव का श्रृंगार ही अधूरा माना जाता है। शिवपुराण की विद्येश्वर संहिता में रुद्राक्ष के 14 प्रकार बताए गए हैं। एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला कभी गरीब नहीं होता, उस पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, ऐसा शिवपुराण में लिखा है। महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) के अवसर पर हम आपको रुद्राक्ष के प्रकार तथा उससे जुड़ी खास बातें बता रहे हैं।   1. एक मुखी रुद्राक्ष एक मुखी रुद्राक्ष की जहां पूजा होती है, वहां से माता लक्ष्मी दूर नहीं जातीं। यानी जो इस रुद्राक्ष को धारण करता है, वह कभी गरीब नहीं होता। धारण करने का मंत्र- ऊं ह्रीं नम: 2. दो मुखी रुद्राक्ष दो मुख वाला रुद्राक्ष देव देवेश्वर कहा गया है। यह सभी इच्छाएं पूरी करता है।  धारण करने का मंत्र- ऊं नम: 3. तीन मुखी रुद्राक्ष तीन मुख वाला रुद्राक्ष सफलता दिलाता है।  धारण करने का मंत्र- ऊं क्लीं नम: 4. चार मुखी रुद्राक्ष चार मुख वाले रुद्राक्ष के दर्शन तथा स्पर्श से धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है। धारण करने का मंत्र- ऊं ह्रीं नम: ये भी पढ़ें-  आं...

जय श्री कोटड़ी श्याम दरबार आज मंगला श्रृंगार आरती के दर्शन

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  जय श्री कोटड़ी श्याम दरबार आज मंगला श्रृंगार आरती के दर्शन दिनांक     25- 02--2022*

जय श्री कोटड़ी श्याम दरबार आज मंगला श्रृंगार आरती के दर्शन

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  जय श्री कोटड़ी श्याम दरबार आज मंगला श्रृंगार आरती के दर्शन दिनांक     22- 02--2022*

जय श्री कोटड़ी श्याम दरबार आज मंगला श्रृंगार आरती के दर्शन

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  जय श्री कोटड़ी श्याम दरबार आज मंगला श्रृंगार आरती के दर्शन दिनांक     21- 02--2022*

जब दिखने लगे ऐसे लक्षण तो समझ लीजिए ये है मौत के आने का संकेत

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   भगवान शिव ) ने शिवमहापुराण में देवी पार्वती को मनुष्यों की मृत्यु से संबंधित कई गुप्त संकेत बताए हैं। इन संकेतों को समझकर यह जाना जा सकता है कि किस व्यक्ति की मौत कितने समय में हो सकती है। वर्तमान समय सुनने में ये बातें भले ही अजीब लगे लेकिन इस ग्रंथ में मृत्यु के संकेतों के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी दी गई है। इस बार 1 मार्च को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) है। इस मौके पर हम आपको शिवमहापुराण में बताए इन संकेतों की जानकारी दे रहे हैं, जो इस प्रकार है…   1.  अचानक किसी व्यक्ति का शरीर नीला या पीला पड़ जाए या उसके शरीर पर लाल निशान दिखाई दें तो उसकी मृत्यु 6 महीने में हो सकती है। 2.  जिस व्यक्ति का मुंह, कान, आंख व जीभ ठीक से काम न करे, उसके जीवन के 6 महीने ही बचे हो सकते हैं। 3.  यदि किसी व्यक्ति का गला और मुंह बार-बार सूखने लगे तो उसकी मृत्यु 6 महीने के अंदर संभव है। 4.  जब किसी का बायां हाथ लगातार फड़कता रहे, तालू सूख जाए तो उसकी मृत्यु 1 महीने के अंदर हो सकती है। 5.  जिसे चंद्रमा व सूर्य के आस-पास काला या लाल घेरा दिखाई देने लगे, उसकी...

महाशिवरात्रि के दिन भूलकर भी ना चढ़ाएं शिवलिंग पर ये चीजें, नहीं मिलेगा पूजा का फल! जानिये क्या है मान्यता

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    महाशिवरात्रि के व्रत की हिंदू धर्म में महत्वता मानी जाती है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ अर्थात स्वयं शिव ही हैं। इसलिए प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि के तौर पर मनाया जाता है। महिलाओं के लिए शिवरात्रि का व्रत विशेष महत्व रखता है। अविवाहित महिलाएं अपने मन मुताबिक पति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं, वहीं विवाहित महिलाएं अपने पति और परिवार के लिए मंगलकामना करती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा था कि आप किस वस्तु से सबसे ज्यादा प्रसन्न होते हैं तो भगवान शिव ने कहा था कि जो भक्त उनके लिए श्रद्धाभाव से व्रत करता है उनसे वो सबसे अधिक प्रसन्न होते हैं। इस दिन श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शिवालयों में जलाभिषेक और पूजा अर्चना करते हैं और भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।    महाशिवरात्रि मुहूर्त:  नई दिल्ली, भारत के लिए  निशीथ काल पूजा मुहूर्त-  रात्री 24:08:27 से 24:58:08 तक होगा। जिसकी कुल अवधि 0 घंटे 49 मिनट है। इसके अलावा महाशिवरात्री  पारणा मुहूर्त...