मां के संघर्ष की कहानी: नरेगा में मजदूरी की, बेटी को विदेश में पढ़ाई करवाकर बनाया डॉक्टर
भीलवाड़ा (नगेंद्र सिंह)। कौन कहता है कि महिलाएं कमजोर होती हैं, अगर वो कुछ ठान लें तो असंभव को संभव करके दिखा देती हैं। एक ऐसा ही उदाहरण हलेड़ की शांता देवी जाट का है। पति से तलाक होने के बाद वो चाहती तो अन्यत्र शादी करके बिना मेहनत किए जीवन गुजार सकती थी लेकिन उनके मन में कुछ और ही चल रहा था। वो चाहती थी कि पुरुष प्रधान समाज में कुछ ऐसा किया जाए जिससे कि वे दूसरी महिलाओं के लिए एक उदाहरण पेश कर सकें और उन्होंने ऐसा किया भी। तंगहाली के दौर में स्कूल में पोषाहार बनाया, बचे समय में सिलाई की, नरेगा में मजदूरी की और दूध बेचकर अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाई ताकि वे अपना जीवन संवार सकें। उनके इस सपने को उनकी बेटी टीना जाट ने पूरा किया भी। मां के प्रोत्साहन पर बेटी ने खूब मेहनत की। अच्छे नंबरों से पढ़ाई की और मां ने भी उनकी शिक्षा में कोई कमी नहीं रखी। बेटी को डॉक्टर बनाने के लिए मां ने उन्हें विदेश (बेलारूस) भेजा। टीना ने भी मां के सपनों को पूरा करने में कोई कसर नहीं रखी और 6 साल की एमबीबीएस के बाद पहले ही प्रयास में एमसीआई (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) की परीक्षा में सफलता हासिल की। हलेड़ क