ट्रेन के AC कोच में सफर के दौरान कोरोना की नो टेंशन, अब विषाणुनाशक तकनीक का होगा इस्तेमाल
नई दिल्ली, । विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा विकसित नई विषाणुरोधी तकनीक (डिस्इंफेक्शन टेक्नोलाजी) कोरोना वायरस के हवा में संक्रमण को कम करने में पूरी तरह प्रभावी है और कोरोना महामारी से लड़ने के लिए इसे ट्रेन के कोचों, एसी बसों तथा अन्य बंद परिसरों में लगाया जा रहा है।केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने सोमवार को कहा कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सीमित क्षमता के साथ बंद परिसरों में बैठक के दौरान इस प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए कहेगी। महामारी के मद्देनजर कुछ दिनों के लिए रैलियों और रोड शो पर आयोग द्वारा प्रतिबंध के बीच यह कदम उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ट्रेन के कोचों, वातानुकूलित बसों और संसद भवन में विषाणुनाशक प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है और अब यह आम जनता के लिए शुरू की जा रही है। सिंह ने कहा कि सीएसआइआर- सीएसआइओ (केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन) के माध्यम से मंत्रालय द्वारा विकसित अल्ट्रावायलेट-सी प्रौद्योगिकी कोरोना वायरस के हवा में संक्रमण को कम करने में पूरी तरह प्रभावी है और कोरोना के बाद के समय में भी प्रासंगिक रहेगी। | ![]() |
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