एमएलए लेड फंड खर्च करने में माननीयों की कंजूसी, विधायक बोले- कोरोनाकाल की वजह के कामकाज ठप
राजस्थान के 200 विधायकों की हकीकत यह है कि प्रतिवर्ष मिले रहे 5 करोड़ का जनता के विकास कार्यों के लिए आधा ही खर्च कर पार रहे हैं। स्थानीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम (एमएलए लेड फंड ) के तहत स्वीकृत राशि कार्यों के में अभाव पड़ी हुई है। विधायकों ने एमएलए लेड फंड का 50 फीसदी फंड का ही उपयोग किया है। विधायकों का तर्क है कि कोरानाकाल के चलते कामकाज ठप था। स्थितियां सामान्य होने के बाद अंतिम साल में बजट खर्च करेंगे जो विकास कार्य स्वीकृत हो रखे हैं वे ही शुरू नहीं हो पा रहे हैं। इसलिए एमएलए लेड फंड से विकास कार्यों की अनुशंसा नही की गई है। राजस्थान में प्रत्येक विधायक को एमएलए लेड फंड के 5 करोड़ रुपये मिलते हैं। सीएम गहलोत ने 11 मई 2021 को विधायक कोष की राशि 2.50 करोड़ से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये कर दी थी। कोरोनाकाल भी एक वजह, सीएम गहलोत ने राशि फ्रीज कर दी थी राशि ग्रामीण एवं पंचाचृयती राज विभाग के सूत्रों के अनुसार अजमेर के विधायक 18 करोड़ ही खर्च कर पाए है। अलवर के विधायक 39 करोड़ ही खर्च कर पाए है। उदयपुर के विधायक 27 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाए है। कोटा के विधायक 15 करोड़ ही खर्च कर पाए है। जबकि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के संसदीय क्षेत्र रहे झालावाड़ के विधायक 5 करोड़ ही खर्च कर पाए है। गंगानगर के विधायक 7 करोड़ और जयपुर के विधायक 39 करोड़ ही खर्च कर पाए है। जयपुर शहर एवं देहात में को मिलकार कुल 19 विधायक है। सभी विधायकों ने 3 साल में एमएलए लेड फंड से 39 करोड़ की राशि का उपयोग किया है। हालांकि, गहलोत सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर में वैक्सीनेशन के लिए विधायक फंड से राशि फ्रीज कर दी थी। इससे राज्य सरकार को करीब 3 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई थी। सीएम गहलोत ने विधायकों को एमएलए लेड फंड की राशि का उपयोग अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं में खर्च कर के निर्देश दिए थे। लेकिन पीएम मोदी के 18 से 44 वर्ष के लोगों को मुफ्त टीकाकरण की घोषणा को बाद गहलोत सरकार को बड़ी राहत मिली। सीएम गहलोत ने जून 2021 को विधायकों के फ्रीज की हुई राशि बहाल कर दी। प्रत्येक विधायक के 3-3 करोड़ रुपये बहाल कर कर दिए। कोरोना की दूसरी लहर के बाद कोरोना काल से उत्पन्न परिस्थितियां सामान्य होने के बाद विधायक फंड की राशि बहाल करने की मांग कर रहे थे। एमएलए लेड फंड से इस तरह होती है राशि खर्च विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम (एमएलए लेड) फंड वित्त विभाग के पास रहता है। संबंधित विधायक एमएलए लेड फंड से मिली राशि से कार्य करवाने की वित्त विभाग से अनुशंसा करता है। वित्त विभाग की स्वीकृति मिलने के बाद पास ग्रामीण एवं पंचायती राज विभाग के पास प्रस्ताव आता है। इसके बाद प्रशासनिक स्वीकृति निकाली जाती है। इसके बाद 21 दिन की अवधि में तकनीकी स्वीकृति निकाली जाती है। तकनीकी स्वीकृति के बाद 7 दिन के अंदर वित्तीय स्वीकृति जारी हो जाती है। जिसके बाद ग्रामीण एवं पंचायती राज विभाग जिला परिषद को कार्य शुरू करने की स्वीकृति प्रदान कर देता है। एमएलए लेड फंड की नोडल एजेंसी ग्रामीण विकास विभाग है। विकास कार्यों की अनुशंसा विधायक करते है। | ![]() |
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