अयोध्या-काशी के बाद अब मथुरा की बारी? योगी की राह आसान करने को भाजपा ने बनाए कॉरिडोर
उत्तर प्रदेश में लोगों की आधुनिक आकांक्षाओं के साथ-साथ वैचारिक मांगों को मिलाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्षमता के उदाहरण के तौर पर भाजपा काशी परियोजना को पेश कर रही है। बीजेपी वाराणसी में पुनर्विकास परियोजना को "विकास के मॉडल" के रूप में प्रदर्शित कर रही है, जिसे पूरे भारत में दोहराया जा सकता है। सबसे अधिक आबादी वाले और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य की चुनावी प्रक्रिया में शामिल एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने बताया, "पीएम ने मंदिर मॉडल के माध्यम से दिखाया है कि वैचारिक प्रतिबद्धता और विकास दोनों को साथ-साथ लेकर चल सकते हैं।" आपको बता दें कि देश के प्रधानमंत्री और वाराणसी से सांसद नरेंद्र मोदी ने बीते 13 दिसंबर को 339 करोड़ रुपए के पुनर्विकास योजना का उद्घाटन किया था। यह कॉरिडोर गंगा नदी के घाटों को काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह से जोड़ता है। इसे तीर्थयात्रियों की सुलभता को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। अब तक लोगों को भीड़भाड़ और गंदी गलियों से गुजरना पड़ता था। इस परियोजना की आधारशिला 2019 में रखी गई थी और कोविड महामारी द्वारा लगाए गए मंदी के बावजूद रिकॉर्ड समय में काम संपन्न किया गया। शुरू में परियोजना में कई रुकावटें भी आईं। जिन लोगों के घर इस बीच में आ रहे थे, वहां अधिग्रहण में काफी दिक्कतें आईं। उन्होंने इस कदम का विरोध किया था। पीएम मोदी का विकास मॉडल प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद पार्टी ने दावा किया कि धार्मिक स्थानों, विशेष रूप से हिंदू मंदिरों के विकास को धर्म के चश्मे या बहुसंख्यक तुष्टीकरण के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। भले ही वे इसे पार्टी की मूल विचारधारा के अनुरूप देखते हों। पार्टी के एक नेता ने कहा, "जो लोग पुनर्विकास नहीं चाहते थे, वे अफवाह फैलाते थे कि सरकार प्राचीन मंदिरों के साथ घरों को तोड़ रही है और मंदिरों को नीचे लाया जा रहा है। सच्चाई यह है कि 40 प्राचीन मंदिरों और मूर्तियों को संरक्षित किया गया है जिन पर या तो अतिक्रमण किया गया था या तो वे उपेक्षित थे।” उन्होंने आगे बताया कि इस परियोजना से सभी जातियों और धर्म के लोगों के लिए रोजगार और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के द्वार खुलेंगे। विपक्ष ने लगाए ध्रुवीकरण के आरोप
राष्ट्रवाद का भी फ्लेवर देने की कोशिश
अब मथुरा की बारी?
पूजा स्थल अधिनियम को भी रद्द करने की मांग
आपको बता दें कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 किसी भी पूजा स्थल के रूपांतरण पर रोक लगाता है और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को बनाए रखने का प्रावधान करता है क्योंकि यह 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था। यूपी में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। काशी कॉरिडोर परियोजना चुनावी मुद्दों पर हावी है। विपक्ष इस मुद्दे पर एक हद तक पिछड़ता दा रहा है। बहुजन समाज पार्टी के सुधींद्र भदौरिया ने कहा कि परियोजना को धार्मिक ध्रुवीकरण या चुनावी लाभ से नहीं जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा, ''इसके अनावरण का समय चुनाव से ठीक पहले है। वे जो मुद्दे उठा रहे हैं, वे धार्मिक हैं। भाजपा को लगता है कि धार्मिक मुद्दों पर लोगों को लामबंद करना आसान है और उनका उद्देश्य मतदाताओं का ध्रुवीकरण करना है।'' हिंदुत्व बीजेपी का घोषित एजेंडा उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से पार्टी की विचारधारा के प्रति रुझान को भी बढ़ावा मिला है। उन्होंने आगे कहा, “राम मंदिर के मुद्दे पर उन्होंने जो प्रगति की है, उसे उन्होंने हिंदू धर्म के इर्द-गिर्द केंद्रित रखने की कोशिश की है। वे विकास की बात करते हैं, लेकिन वह गौण है। यह एक विचारधारा से प्रेरित पार्टी है जो हिंदू राष्ट्र के विचार का समर्थन करती है और उसके लिए हिंदू भावनाओं को आक्रामक रूप से लामबंद करती है। |
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