राजनीतिक नियुक्तियों पर मकर संक्रांति के बाद लगेगी मुहर, जोड़-तोड़ की कवायद तेज

 


 

राजस्थान में गहलोत-पायलट कैंप में सुलह के संकेत के बाद मकर संक्राति के बाद राजनीतिक नियुक्तियां देने की कवायद तेज हो गई है। राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कर रहे कार्यकर्ताओं को 14 जनवरी के बाद कभी राजनीतिक नियुक्तियों का तोहफा मिल सकता है। नियुक्तियों को लेकर सीएम अशोक गहलोत और पायलट कैंप के बीच कवायद पूरी हो चुकी है। लेकिन कुछ नामों को लेकर दोनों खेमों के बीच अभी भी खींचतान जारी है। भीलवाड़ा नगर विकास न्यास अभी अभी मामला अटका हुआ है। पायलट कैंप बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों को बड़ी राजनीतिक नियुक्तियां देने के पक्ष में नहीं है। पायलट गुट से जुड़े नेताओं का कहना है कि लंबे समय से पार्टी के लिए काम कर रहे नेताओं को ही राजनीतिक नियुक्तियां दी जाए, लेकिन पायलट कैंप ने निर्दलीय विधायकों को बोर्ड-निगमों में बड़ी राजनीतिक नियुक्तियां देने की गहलोत कैंप की बात मान ली है। क्योंकि अधिकांश निर्दलीय विधायकों की पृष्ठभूमि कांग्रेस बैकग्राउंड की रही। गहलोत कैंप से जुड़े नेता निर्दलीय विधायकों को राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट करने के लिए अड़ा हुआ था।

राजनीतिक नियुक्तियां एक साथ नहीं

माना जा रहा है कि ये राजनीतिक नियुक्तियां एक साथ नहीं दी जाएंगी। राजस्थान प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने गहलोत-पायलट खेमें में सुलह कराने में अहम रोल अदा किया है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने एक महीने पहले ही पार्टी के 10 जिला अध्यक्षों को बीस सूत्रीय कार्यक्रम समिति का उपाध्यक्ष बनाया था। नव नियुक्त सभी जिला अध्यक्ष गहलोत कैंप के माने जाते हैं। पायलट गुट के किसी भी नेता ने राजनीतिक नियुक्तियां देने में एतराज नहीं जताया था। इसे दोनों खेमों के बीच सुलह के तौर पर देखा जा रहा है। पायलट गुट से जुड़े नेताओं का कहना है कि लंबे समय से पार्टी के लिए काम कर रहे नेताओं को ही राजनीतिक नियुक्तियां दी जाए। जबकि सीएम गहलोत संकट के समय सरकार बचाने वाले बसपा विधायकों को भी राजनीतिक नियुक्तियां देकर एडजस्ट करना चाहते हैं।

जिला अध्यक्ष की दौड़ में विधायक भी शामिल

मकर संक्रांति के बाद ही कांग्रेस में जिला अध्यक्षों की नियुक्तियां भी की जानी है। कांग्रेस ने फिलहाल 13 जिला अध्यक्ष ही नियुक्त किए है। अन्य जिलों में नए जिला अध्यक्ष नियुक्त नहीं किए। माना जा रहा है कि मकर संक्रांति के बाद अन्य जिलों में भी जिला अध्यक्षों की नियुक्तियां की जाएंगी। जिला अध्यक्ष की दौड़ में वर्तमान एवं पूर्व विधायक शामिल हो गए है। इससे कई जिलों में सियासी समीकरण बदल गए है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में देरी से पार्टी का नुकसान उठाना पड़ सकता है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी मिशन-2023 की तैयारी में लगी है। इसके लिए पार्टी कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण शिविर भी प्रस्तावित है। हालांकि प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कोरोना के मद्देनजर फिलहाल अपने सभी कार्यक्रमों पर ब्रेक लगा दिया है।

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