किसान आंदोलन में न जाने पर दो हजार जुर्माने के साथ सामाजिक बहिष्कार

 


नई दिल्ली। केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली सीमा पर चला रहा किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) सोमवार को 68वें दिन में प्रवेश कर गया। किसान अब भी पूरे जोश के साथ कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं।

हालांकि 26 जनवरी को हुई ट्रैक्टर रैली में हिंसा होने के बाद कई संगठनों ने आंदोलन से खुद को अलग कर लिया और बड़ी संख्या में किसान वापस घरों को चले गए। फिर राकेश टिकैत के अपील के बाद किसान वापस प्रदर्शनस्थलों पर पहुंच रहे हैं। लेकिन इनकी संख्या पहले जैसी नहीं है।किसानों की संख्या कम होता देख पंजाब की एक पंचायत ने अजीबो-गरीब फरमान सुनाया है।राज्य के मोगा के गांव साफूवाला की ग्राम पंचायत ने ऐलान किया है कि गांव के हर घर से एक सदस्य दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होना अनिवार्य है।

अगर कोई किसी परिवार का एक भी सदस्य आंदोलन में नहीं जाता है तो उसे 2 हजार रुपये जुर्माना भरना पड़ेगा।इसके साथ ही पंचायत ने ये बी फैसला किया है कि हर ग्रामीण से 100 रूपए प्रति एकड़ के हिसाब से आंदोलन के लिए चंदा भी देगा।

मोगा गांव के सरपंच के अलावा बठिंडा में विर्क खुर्द ग्राम पंचायत ने भी किसान आंदोलन को लेकर एक परमान जारी किया है। इसके मुताबिक हर परिवार से एक-एक सदस्य को किसान आंदोलन में जाना जरूरी है और कम से कम 7 दिन वहां रूकना भी है। जो परिवार ऐसा नहीं करता उसके ऊपर 1500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। अगर उसने जुर्माने नहीं भरा तो उसका समाज से सामूहिक रूप से बहिष्कार किया जाएगा।

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