श्रीमद् भागवत से भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और मोक्ष संभव-प.ऋषिकेश मिश्रा
निम्बाहेड़ा हलचल।। भागवताचार्य पं.ऋषिकेश मिश्रा ने कहा कि श्रीमद् भागवत से भक्ति ज्ञान वैराग्य और मोक्ष का मार्ग संभव है, इसी लिये श्रीमद् भागवत को मोक्ष दायिनी कहा गया है। प. मिश्रा मंगलवार को बसंत पंचमी के पावन अवसर पर वेदपीठ परिसर में श्री कल्लाजी वेदपीठ एंव शोध संस्थान की ओर से आयोजित श्रीमद् भागवत पुराण ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिवस व्यास पीठ से सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने भागवत महात्म्य का विस्तृत वर्णन करते हुए कहा कि भागवत भगवान का स्वरूप माना गया है। उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु ने चतुश्लोकी भागवत की रचना कर ब्रह्मा जी को दी तथा ब्रह्माजी ने उसे अपने मानस पुत्र नारद को देते हुए संसार के लोगों को पाप से मुक्ति दिलाने और शंकाओं का समाधान करने की दृष्टि से श्रवण कराने का सुझाव दिया। उन्हांेने कहा कि भागवत भक्ति शास्त्र है तथा भक्ति का साधन भजन है। आत्मज्ञान प्राप्त होने पर व्यक्ति में वैराग्य भाव जागृत हो जाता है जिससे मुक्ति सहज संभव है। उन्होंने कहा कि भागवत से प्रेत बाधा को भी मुक्त किया जा सकता है। इसी कारण गौकरण से भागवत श्रवण कर धूंधूकारी दैत्य को मुक्ति मिल सकी। उन्होंने बताया कि महर्षि वेद व्यास ने सत्रह पुराणों की रचना के बाद भी संतुष्ट नहीं होने पर 18वें पुराण के रूप मंे 18 हजार श्लोकोयुक्त श्रीमद् भागवत की रचना कर व्यक्तियों को मोक्ष का दर्शन कराया। प्रारम्भ मंे वेदपीठ के न्यासियों द्वारा प्रधान आचार्य एंव प्रधान यजमान के रूप में ठाकुर जी तथा व्यासपीठ की पूजा अर्चना की। वहीं संगीतमय भागवत कथा में प. प्रहलाद कृष्ण एंव साथियों ने समूचे वातावरण को भजनानंदी स्वर लहरियों से गुंजायमान कर दिया। भागवत कथा के उपलक्ष्य में बसंत पंचमी को ठाकुर जी को खाटू श्याम का श्रृंगार दर्शनार्थियांे के लिये विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। |
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें