मनस्थिति बदलने पर विश्व में परिस्थितियां बदलेंगींं- स्‍वामी प्रज्ञानंद

शाहपुरा मूलचन्द पेसवानी विश्व आयुर्वेद संघ के अध्यक्ष व महामण्डलेश्वर विश्वसंत प्रज्ञापीठाधीश्वर जगतगुरू स्वामी प्रज्ञानंद महाराज (पीठाधीश्वर, प्रज्ञा पीठ, प्रज्ञाधाम कटंगी जबलपुर व सांई प्रज्ञाधाम साकेत नईदिल्ली) आज जिले के मोतीबोर का खेड़ा स्थित श्रीनवग्रह आश्रम पहुंचे। उन्होंने यहां आश्रम की समस्त व्यवस्थाओं का जायजा लिया तथा आश्रम की हर्बल वाटिका, श्रीनवग्रह आयुष विज्ञान मंदिर, गौदर्शन गौशाला, कबूतर खाना, पक्षियों के लिए तैयार हो रहे विशेष प्रकार के भवन का अवलोकन किया। उन्होंने यहां केंसर सहित अन्य प्रकार के रोगियों को दी जाने वाली दवाओं के बारे में भी जानकारी प्राप्त की तथा रोगियों की काउंसलिंग सभा को संबोधित किया।
पत्रकारों से बात करते हुए विश्व आयुर्वेद संघ के अध्यक्ष स्वामी प्रज्ञानंद ने कहा कि आज विश्व में 99 फीसदी लोग परिस्थिति को बदलने के लिए बैचेन हैंं। हम सब हमारी सनातन संस्कृति से दूर हो गये है और बैचेनी बढ़ रही है। हिन्दुुस्तान भी इससे अछूूता नहीं है। पहले व्यक्ति को अपनी स्वयं की मनस्थिति को बदलना होगा तभी परिस्थिति बदलेगी। देश में जो स्थितियां अभी बन रही हैंं वो सब इसी कारण है। हमें अपनी सोच को बदलना होगा। हमारी जीवन शैली को सुधारना होगा। हमें सनातन संस्कृति के अनुरूप अग्निहोत्र को अपनाना होगा। पहले हर घर में भोग निकाल कर अग्नि को समर्पित किया जाता था। यज्ञ में आहुतियां दी जाती थी पर आज ऐसा नहीं हो रहा है। पश्चिमी देशों में आज भारतीय संस्कृति के योग, अग्निहोत्र, आयुर्वेद, पंचकर्म को आत्मसात कर बैचेनी को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है पर हमारे देश में पाश्चात्य संस्कृति को अपनाकर पश्चिमी देशों की सभ्यता को स्वीकार करना शुरू कर दिया है।
स्वामी प्रज्ञानंद ने कहा कि सांई प्रज्ञाधाम की ओर से विश्व व्यापी आव्हान पर अग्निहोत्र को बढ़ावा देने के साथ प्रतिदिन प्रातःकालीन व संध्याकालीन आरती वंदना करने की मुहिम शुरू की है। पहले त्रिकाल संध्या होती थी पर सुबह 5 बजे व शाम 7 बजे आरती वंदना जरूरी है। देवता भी त्रिकाल संध्या करते थे हम तो मनुष्य है। दोबार तो करे ही सही। उन्होंने कहा कि विश्व में संस्कृति संवाहक भारत रहा है। संस्कृति का पिता यज्ञ है। गायत्री माता है। माता पिता की पूजा ही सत्कर्म व सदविचार है। जिसे युवा पीढ़ी भूलती जा रही है। इसी कारण आज विश्वास खंडित हो रहा है। किसी का किसी में विश्वास न रहने के कारण ही बैचेनी बढ़ती जा रही है। भारतीय संस्कृति के प्रति विश्व में चेतना जागृत हुई है। यह चेतना बनी रही तो आने वाले समय में भारत एक बार फिर से महाशक्ति बनेगा। विश्व आयुर्वेद संघ के अध्यक्ष स्वामी का आज आश्रम सभा भवन में संस्थापक हंसराज चाैैधरी व चिकित्सकों ने शाॅल ओढ़ा व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया। उनके साथ पहुंचे सभी अतिथियों का भी शाॅल ओढ़ा कर व स्मृति चिन्ह तथा साहित्य भेंट कर सम्मान किया गया।
नवग्रह आश्रम चरक पंरपरा का नायाब तोहफा है
स्वामी प्रज्ञानंद ने कहा कि ऐलोपैैथी चिकित्सा पद्वति में दवा रोग को दबा सकती है, मिटा नहीं सकती। आयुर्वेद पद्वति में दी जाने वाली दवा रोग का निदान करती है। रोग को जड़ से समाप्त करती है। यह रोगी को नवजीवन प्रदान करने की क्षमता रखता है। आयुर्वेद के प्रति भी विश्व में जागृति आयी है। भीलवाड़ा का श्रीनवग्रह आश्रम आज केंसर जैसे असाध्य रोगों का उपचार करने का विश्व में प्रमुख केंद्र बन चुका है। यह आश्रम चरक परंपरा का नायाब तोहफा ही है जहां एक ही परिसर में 418 प्रकार के औषधीय पौधे उपलब्ध है। यह प्रकृति व संस्कृति के सम्मिश्रण से ही संस्थापक हंसराज चोधरी ने साबित किया है। यह नवग्रह आश्रम विश्व में आयुर्वेद का शोध केंद्र विकसित होना चाहिए। यहां आयुर्वेद का महाविद्यालय व नर्सिंग काॅलेज की भी अपार संभावनाएं है। स्वामी प्रज्ञानंदजी महाराज ने कहा कि आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए विश्व आयुर्वेद संघ सभी संभव प्रयास कर रहा है। नवग्रह आश्रम के प्रति सदभावनाएं व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इसे शोध केंद्र के रूप् में विकसित करने का कार्य प्राथमिकता से कराया जायेगा।
स्वामी प्रज्ञानंद ने किया औषधीय यज्ञ
स्वामी प्रज्ञानंद ने श्रीनवग्रह आयुष विज्ञान मंदिर परिसर में औषधीय यज्ञ कर औषधीय संविदाओं से आहुतियां दी। इस मौके पर आध्यात्मिक विद्यापीठ के संचालक महामंडलेश्वर स्वामी दिव्यानंद, विश्व हिन्दू परिषद हैदराबाद के प्रांत उपाध्यक्ष राजू राम, केदारनाथ शर्मा, भगवान भाई, गौपालक भरतसिंह राजपुरोहित, आश्रम संस्थापक हंसराज चाैैधरी, निदेशक हरफूल चोधरी, गौशाला प्रभारी महिपाल चाैैधरी, इवेंट प्रभारी सुरेंद्र सिंह, डा. प्रदीप चाैैधरी, डा. धमेंद्र, भावना पेसवानी सहित अन्य कई सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी मौजूद रहे।


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