इजरायली इंजीनियरों ने चीन को बेचा आर्मीनिया में तबाही मचाने वाला ड्रोन? भारत के लिए बड़ा खतरा

 

यरूशलम
इजरायल से अरबों डॉलर के अत्‍याधुनिक हथियार खरीदने वाले भारत के लिए एक बुरी खबर सामने आ रही है। इजरायल के 20 इंजीनियरों के खिलाफ एक एशियाई देश को बेहद घातक सूइसाइड ड्रोन हारोप की तकनीक बेचने का आरोप लगा है। इजरायल ने इस एशियाई देश का नाम नहीं बताया है। यह खबर भारत के लिए दो तरीके से चिंताजनक है। दरअसल, भारत भी इसी ड्रोन को इजरायल से खरीद रहा है, वहीं इजरायल पर कड़ी नजर रखने वाले राजनरीतिक ब्‍लॉगर तिकून ओलम का दावा है कि यह एशियाई देश कोई और नहीं भारत का दुश्‍मन चीन है।

इजरायली मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 20 लोगों के खिलाफ जांच शुरू हुई है। इन पर ए‍क एशियाई देश के लिए आर्म्‍ड लोटेरिंग ड्रोन मिसाइल या सूइसाइड ड्रोन का अवैध तरीके से डिजाइन बनाने, उसका उत्‍पादन करने और बेचने का आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि इजरायल ने अपने हथियारों के धंधे में सेंध लगने के डर से इस देश का नाम नहीं बताया है। इस खबर के सामने आने से ठीक पहले इजरायल ने ऐलान किया था कि उसने तीन देशों को यह घातक ड्रोन मिसाइल देने का सौदा किया है। इसमें एक एशियाई देश भी शामिल है। यह देश भारत भी हो सकता है।

अजरबैजान ने इजरायली क‍िलर ड्रोन से उड़ाया आर्मीनिया का S-300


'इजरायली अधिकारियों को काफी पैसा और कई अन्‍य सुविधाएं दी गईं'
इजरायल की पुलिस ने इस जांच की पुष्टि की है और पूरे मामले की जांच में सहयोग कर रही है। इजरायली पुलिस ने अपने बयान में कहा कि संदिग्‍ध लोगों को उस देश की कंपनियों से गुप्‍त रूप से निर्देश मिल रहा था। इन मिसाइलों के बदले में इजरायली अधिकारियों को काफी पैसा और कई अन्‍य सुविधाएं दी गई हैं। बता दें कि हारोप ड्रोन का निर्माण इजरायल की कंपनी इजरायल एयरोस्‍पेस इंडस्‍ट्रीज कर रही है।


बताया जाता है कि हारोप वही ड्रोन है जिसने अजरबैजान की ओर से आर्मीनिया में जमकर तबाही मचाई थी। हारोप के सामने आर्मीनिया के एयर डिफेंस‍ सिस्‍टम और टैंक बेदम साबित हुए और अजरबैजान की सेना ने जमकर तबाही मचाई। इजरायली मीडिया ने आशंका जताई है कि सूइसाइड ड्रोन की तकनीक अब उसके दुश्‍मनों के हाथों में पहुंच सकती है। इससे पहले इजरायल चीन को निगरानी ड्रोन बेचना चाहता था लेकिन अमेरिका ने उसे रोक दिया था।

भारत ने इजरायल से 15 हारोप अटैक ड्रोन खरीदने का फैसला किया
विश्‍लेषकों का कहना है कि अगर यह तकनीक सच में चीन के हाथ में गई है तो भारत और अमेरिका के लिए बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। वहीं इजरायली भी इस बात से डरे हुए हैं कि कहीं यह तकनीक उसके दुश्‍मन ईरान और अमेरिका के दुश्‍मन नॉर्थ कोरिया के हाथों में न चली जाए। इजरायली अखबार यरूशलम पोस्‍ट के मुताबिक भारत ने वर्ष 2019 में इजरायल से 15 हारोप अटैक ड्रोन खरीदने का फैसला किया था।

भारत की स्पेशल फोर्स पहले से ही इस ड्रोन का उपयोग करती है। जिसमें एनएसजी और दूसरी स्पेशल फोर्सेज शामिल हैं। हालांकि सेना के लिए इसकी खरीद को लेकर अभी भी बातचीत चल रही है। भारत ने इस ड्रोन को लेकर रिकवेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन भी जारी कर चुका है। चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत आने वाले दिनों में इस ड्रोन को इजरायल से खरीद सकता है। यह ड्रोन चीन के खिलाफ भी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बहुत कारगर होगा।
 

चीन ने तैयार की महाव‍ि‍नाशक सूइसाइड ड्रोन आर्मी, इजरायल की तरह मचा सकेगा तबाही

  • चीन के इलेक्‍ट्रानिक्‍स अकादमी ने इस ड्रोन विमान को तैयार किया है और पिछले महीने ही इसका सफल परीक्षण किया है। इससे पहले चीन ने वर्ष 2017 में 120 छोटे ड्रोन को एक साथ सेना के रूप में उड़ाकर बड़ी कामयाबी हासिल की थी। बाद में चीन ने 200 ड्रोन विमानों को एक साथ उड़ाकर बड़ा कारनामा करके दिखाया। चीन के आत्‍मघाती ड्रोन विमान का नाम CH-901 नाम बताया जा रहा है। इस ड्रोन मे आगे और पीछे पंख लगे हुए हैं और लक्ष्‍य की पहचान के लिए सेंसर भी लगा हुआ है। इससे पहले अमेरिका ने भी इसी तरह का आत्‍मघाती ड्रोन विमान बनाया था।

  • चीन के ट्यूबलर लॉन्‍चर के अंदर 48 ड्रोन रहते हैं और इन्‍हें जरूरत पड़ते ही छोड़ा जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बॉक्‍स के जैसे इस ड्रोन के लॉन्‍चर को जंगी जहाजों और जमीन पर कहीं भी तैनात किया जा सकता है। यही नहीं इस ड्रोन को हेलिकॉप्‍टर के ऊपर भी तैनात किया जा सकता है। बता दें कि अमेरिकी नौसेना भी आत्‍मघाती ड्रोन को दागने का अभ्‍यास कर रही है। चीनी ड्रोन के विडियो में नजर आ रहा है कि 11 ड्रोन विमान एक साथ उड़ान भर रहे हैं। इन्‍हें दूर बैठे चीनी सेना के जवान एक टैबलेट जैसी डिवाइस के जरिए हमले करने और रास्‍ता बदलने का निर्देश दे रहे हैं।

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    चीनी ड्रोन के अंदर इलेक्‍ट्रो-ऑप्टिकल कैमरा लगा हुआ है जो जमीन पर पहले निरीक्षण करता है और लक्ष्‍य की पहचान करके उस पर हमला कर देता है। यह अभी तक स्‍पष्‍ट नहीं हुआ है कि चीनी ड्रोन में कम रोशनी में काम करने या इन्‍फ्रारेड कैमरा लगा है। चीनी ड्रोन में अगर यह क्षमता होगी तो वह रात को सटीक हमले कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस ड्रोन के विडियो को देखकर लगता है कि चीनी तकनीकी काफी मॉर्डन है। इन सबसे पता चलता है कि यदि पीएलए के पास अभी ऑपरेशनल ड्रोन आर्मी की क्षमता अगर नहीं है तो वह इसको तैनात करने के काफी करीब पहुंच गई है।

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    ड्रोन आर्मी सतह से लेकर हवा तक किसी भी प्‍लेटफार्म से दागी जा सकती है। यह एक साथ कई तरफ से हमला करने की क्षमता रखती है। ड्रोन विमानों के झुंड को रोक पाना किसी भी देश के एयर डिफेंस के लिए बहुत मुश्किल होता है। एक साथ हमले करने से एयर डिफेंस सिस्‍टम भ्रमित या अंधा हो जाता है। वह यह तय नहीं कर पाता है कि किस ड्रोन पर हमला करता है और इस बीच ड्रोन आर्मी एयर डिफेंस सिस्‍टम को तबाह कर देती है। चीन अब एक ट्रक मात्र से 48 ड्रोन एक साथ तैनात कर सकता है जिससे वह मात्र कुछ सेकंड के अंदर भीषण हमला कर सकता है। दुनिया में इस तरह के हमले को रोकने के लिए अभी कोई एयर डिफेंस सिस्‍टम नहीं है। इनको रोकने का एक ही तरीका है कि दुश्‍मन के ड्रोन आर्मी के हमले को नाकाम करने के लिए अपने ड्रोन विमान भेजे जाएं। इस तरह ड्रोन युद्ध अभी तक फिल्‍मों में दिखाई देते थे लेकिन अब संभव होते दिख रहे हैं।

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    अजरबैजान की सेना आर्मेनिया के सैनिकों और टैंकों को निशाना बनाने के लिए इजरायली Harop Kamikaze Drones का इस्तेमाल कर रही है। ये ड्रोन आत्मघाती होते हैं, जो दुश्मन के क्षेत्र की रेकी करने के अलावा अगर टॉरगेट दिखाई दे दिया तो उससे भिड़कर खुद को उड़ा लेते हैं। इस कारण आर्मेनिया की सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उनके कई सैनिक इस ड्रोन के हमलों में मारे गए हैं। इजरायली Harop Kamikaze Drones को कई नाम से जाना जाता है। इसे हीरो-120 या किलर ड्रोन भी कहा जाता है। इसे इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्री के एमबीटी डिविजन ने विकसित किया है। इस ड्रोन का उपयोग अजरबैजान की सेना 2016 की झड़प के दौरान भी कर चुकी है।

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    इस ड्रोन में अलग से कोई मिसाइल नहीं होती है, बल्कि यह ड्रोन खुद में एक मिसाइल है। इसमे लगा हुआ एंटी-रडार होमिंग सिस्टम दुश्मन के रडार को भी जाम कर सकता है। जिससे अगर कोई इस मार नहीं गिराता या अगर इसे अपना लक्ष्य नहीं मिलता है तो यह वापस अपने बेस पर आ जाएगा। लेकिन, अगर इसे अपना लक्ष्य दिख गया तो यह ड्रोन उससे टकराकर खुद को उड़ा लेगा। इजरायली Harop ड्रोन एक बार में 6 घंटे की उड़ान भर सकता है। इसे बेस स्टेशन से 1000 किलोमीटर की दूरी तक ऑपरेट किया जा सकता है। इसका समुद्र या जमीन पर टोही गतिविधियों या दुश्मन के खिलाफ मिसाइल के रूप में उपयोग किया जा सकता है। यह ड्रोन पहले से तय प्रोग्रामिंग के हिसाब से खुद उड़ान भर सकता है या फिर ऑपरेटर भी इसके निर्धारिक रास्ते को बदल सकता है। इसमें मौजूद इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर के जरिए बेस पर मौजूद ऑपरेटर अपने निशाने को चुन सकता है।

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    भारत की स्पेशल फोर्स पहले से ही इस ड्रोन का उपयोग करती है। जिसमें एनएसजी और दूसरी स्पेशल फोर्सेज शामिल हैं। हालांकि सेना के लिए इसकी खरीद को लेकर अभी भी बातचीत चल रही है। भारत ने इस ड्रोन को लेकर रिकवेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन भी जारी कर चुका है। चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत आने वाले दिनों में इस ड्रोन को इजरायल से खरीद सकता है। यह ड्रोन चीन के खिलाफ भी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बहुत कारगर होगा। भारतीय सेना ने कहा है कि वह आर्मीनिया-अजरबैजान के युद्ध पर करीबी से नजर रखे हुए है।


बहुत घातक है यह इजरायली ड्रोन
इजरायली Harop Kamikaze Drones को कई नाम से जाना जाता है। इसे हीरो-120 या किलर ड्रोन भी कहा जाता है। इसे इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्री के एमबीटी डिविजन ने विकसित किया है। इस ड्रोन का उपयोग अजरबैजान की सेना 2016 की झड़प के दौरान भी कर चुकी है। इस ड्रोन में अलग से कोई मिसाइल नहीं होती है, बल्कि यह ड्रोन खुद में एक मिसाइल है। इसमे लगा हुआ एंटी-रडार होमिंग सिस्टम दुश्मन के रडार को भी जाम कर सकता है। जिससे अगर कोई इस मार नहीं गिराता या अगर इसे अपना लक्ष्य नहीं मिलता है तो यह वापस अपने बेस पर आ जाएगा। लेकिन, अगर इसे अपना लक्ष्य दिख गया तो यह ड्रोन उससे टकराकर खुद को उड़ा लेगा।

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