दिनेश त्रिवेदी ने ममता बनर्जी पर साधा निशाना

 


कोलकाता, |  टीएमसी के पूर्व सांसद दिनेश त्रेिवेदी ने शनिवार को कहा कि अगर ममता बनर्जी सही कहती हैं कि 'मैं अपना सिर ऊपर रखना चाहती हूं', तो उन्हें पता होना चाहिए कि हर किसी को अपना सिर ऊपर रखना चाहिए। अगर हिंसा का माहौल है, तो डर है, इसलिए सिर ऊंचा नहीं रखा जाता है। उन्होंने कहा कि मैं भाजपा और उसके वरिष्ठ नेताओं का बहुत आभारी हूं, मुझे बताया गया कि उन्होंने कहा कि मैं स्वागत करता हूं। यह एक विशेषाधिकार होगा, इसके बारे में कोई सवाल नहीं है। उनके मुताबिक, जब जेपी नड्डा की गाड़ी पर हमला हुआ तो मैंने उसकी आलोचना की। परन्तु पार्टी (टीएमसी) ने मेरी आलोचना की। जब मैंने भ्रष्टाचार की आलोचना की तो पार्टी ने मेरी आलोचना की। जिस चीज के लिए पार्टी बनाई गई थी, वो अब नहीं रही, अब कुछ और ज्यादा जरूरी हो गया है।

बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने नाटकीय ढंग से राज्यसभा के सदस्य पद से शुक्रवार को अचानक इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राज्यसभा में ही तृणमूल कांग्रेस से अपने इस्तीफे का एलान करने के बाद कहा कि पार्टी में मेरा दम घुट रहा था। बंगाल में जो हिंसा का माहौल है, उसमें काम करना मुश्किल है। इसलिए इस्तीफा दे रहा हूं। उन्होंने इस दौरान कोरोना के खिलाफ लड़ाई में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किए गए कार्यो की भी जमकर तारीफ की। इसके बाद उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं।

संसद के बाहर भी उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए तृणमूल की ओर इशारा कर कहा कि रोज गाली-गलौज व झगड़ा करने से देश नहीं चलता है। मेरे लिए देश बड़ा है। उन्होंने साथ ही कहा कि पार्टी अब कारपोरेट के हाथ में चली गई है, जिन्हें राजनीति का एबीसीडी तक नहीं पता है वे पार्टी चला रहे हैं। उनका इशारा ममता के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की ओर था। तृणमूल में बड़ा हिंदीभाषी चेहरा थे त्रिवेदी : साफ-सुथरी छवि वाले दिनेश त्रिवेदी तृणमूल में एक बड़ा हिंदी भाषी चेहरा माने जाते थे। पिछले साल ही उन्हें राज्यसभा भेजा गया था। वे तीन अप्रैल, 2020 को राज्यसभा के लिए मनोनीत हुए थे। ऐसे में अभी उनका एक साल का कार्यकाल भी पूरा नहीं हुआ था कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उनके अचानक इस्तीफे से के बाद भाजपा सहित अन्य दलों ने इसको लेकर ममता पर निशाना साधा है।

2012 में ममता के दबाव में रेल मंत्री के पद से देना पड़ा था इस्तीफा

दिनेश त्रिवेदी को इससे पहले 2012 में ममता बनर्जी के दबाव में रेल मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद ममता के साथ उनकी तल्खियां काफी बढ़ गई थी। हालांकि बीच में फिर ममता के साथ उनके संबंध पटरी पर आ गए थे। 2014 में बंगाल के बैरकपुर सीट से उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी जीता था। हालांकि 2019 में वह चुनाव हार गए थे। कई विधायक व सांसद छोड़ चुके हैं तृणमूल का साथ : पिछले दो महीने के अंदर तृणमूल कांग्रेस के 10 से ज्यादा विधायक, दो कद्दावर मंत्री व एक लोकसभा सदस्य पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम चुके हैं।

तृणमूल ने त्रिवेदी को बताया गद्दार

इस्तीफे के बाद तृणमूल कांग्रेस ने त्रिवेदी पर जमकर हमला बोला। पार्टी के वरिष्ठ सांसद व प्रवक्ता सौगत राय ने कहा कि यह अप्रत्याशित फैसला है। पिछला लोकसभा चुनाव वे हार गए थे, फिर भी ममता बनर्जी ने उन्हें राज्यसभा भेजा। तृणमूल के अन्य राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि वे सुविधावादी हैं इसलिए पार्टी छोड़े हैं। दूसरी ओर, तृणमूल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मदन मित्रा ने त्रिवेदी को गद्दार तक बता दिया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने उन्हें सबकुछ दे दिया था, सिर्फ नोबेल पुरस्कार देना बाकी था।

तृणमूल माफियाओं की पार्टी, इसीलिए सब छोड़ रहे

इधर, भाजपा महासचिव व बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने त्रिवेदी के इस्तीफे का स्वागत करते हुए कहा कि तृणमूल माफियाओं की पार्टी है, इसीलिए सभी अच्छे लोग पार्टी छोड़ रहे हैं। 

 

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