भूकंप को रोक तो नहीं सकते, लेकिन इससे बचने के लिए जापान की तरह करना होगा प्रयास
नई दिल्ली । भूकंप के खतरे से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। इसका नाम सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उसकी विनाश लीला की कल्पना मात्र से दिल दहलने लगता है। यह कटु सत्य है कि मानव आज भी भूकंप की भविष्यवाणी कर पाने में नाकाम है। अर्थात भूकंप को हम रोक नहीं सकते, लेकिन जापान की तरह उससे बचने के प्रयास तो कर ही सकते हैं। जरूरी है हम उससे जीने का तरीका सीखें। हमारे देश में सबसे बड़ी विडंबना यह है कि लोगों को भूकंप के बारे में बहुत कम जानकारी है। फिर हम भूकंप को दृष्टिगत रखते हुए विकास भी नहीं कर रहे हैं, बल्कि अंधाधुंध विकास की दौड़ में बेतहाशा भागे ही चले जा रहे हैं। आज देश के शहरों-महानगरों में कंक्रीट की ही मीनारें दिखाई देती हैं। यह सब बीते पंद्रह-बीस वर्षो के ही विकास का नतीजा है। जाहिर सी बात है कि इनमें से दो प्रतिशत ही भूकंपरोधी तकनीक से बनाई गई हैं। यही बहुमंजिली आवासीय इमारतें आज भूकंप आने की स्थिति में हजारों मानवीय मौतों का कारण बनेंगी। गौरतलब है कि समूची दुनिया की तकरीबन 90 फीसद जनता आज भी भूकंप संभावित क्षेत्र में गैर इंजीनियरिंग ढंग से बने मकानों में रहती है, जिसकी वजह से भूकंप आने की दशा में सर्वाधिक जनधन की हानि होती है। इसलिए भूकंप से बचने की खातिर ऐसे मकानों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता में होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में पुराने मकान तोड़े तो नहीं जा सकते, लेकिन भूकंप संभावित क्षेत्रों में नए मकानों को हल्की सामग्री से बना सकते हैं। जहां बेहद जरूरी है, वहां न्यूनतम मात्र में सीमेंट एवं स्टील का प्रयोग किया जाए। अन्यत्र स्थानीय उपलब्ध सामग्री का ही उपयोग किया जाए। पारंपरिक निर्माण पद्धतियों में केवल उन्हीं मामूली सुधारों का समावेश किया जाए, जिनको स्थानीय कारीगर आसानी से समझकर प्रयोग में ला सकें। भवन निर्माण से पहले भूकंपरोधी निर्माण दिशा-निर्देशिका का बारीकी से अध्ययन करें और भवन निर्माण उसके आधार पर करें। इसमें मात्र पांच फीसद ही अधिक धन खर्च होगा, अधिक नहीं। यह जान लें कि भूकंप नहीं मारता, मकान मारते हैं। इसलिए यह करना जरूरी हो जाता है। संकट के समय खतरों के बारे में जानना एवं उसके लिए तैयार भी रहना चाहिए। भूकंप आने पर तुरंत खुले स्थान की ओर भागें। यदि न भाग सकें तो दरवाजे की चौखट के सहारे बीच में, पलंग, मेज के नीचे छिप जाएं, ताकि ऊपर से गिरने वाली वस्तु की चोट से बच सकें। यदि वाहन पर सवार हैं तो उसे सड़क किनारे खड़ाकर उससे तब तक दूर खड़े रहें, जब तक कि आप आश्वस्त न हो जाएं कि अब खतरा टल गया है। निष्कर्ष यह कि भूकंप से बचा जा सकता है, लेकिन इसके लिए समाज, सरकार और विज्ञानियों सबको मिलकर प्रयास करने होंगे।
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