कृषि प्रसार अधिकारियों को वर्षाजल प्रबन्धन पर द‍िया प्रशिक्षण

 

भीलवाड़ा (हलचल) । बारानी कृषि अनुसंधान केन्द्र, आरजिया, भीलवाडा पर संचालित राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत- मेवाड़ के बारानी क्षेत्र में उत्पादकता बढाने हेतु वर्षा जल प्रबन्धन तकनीकों को बढावा देकर सुदृढता प्रदान करने पर तीन एक दिवसीय कृषि प्रसार अधिकारियों के प्रशिक्षण आयोजित किये गये जिसमें  90 सहायक कृषि अधिकारी एवं कृषि पर्यवेक्षको ने भाग लिया।
        इस अवसर पर परियोजना प्रभारी डाॅ. जे.के.बालियान ने बारानी क्षेत्रों में वर्षाजल संग्रहण एवं इसके समुचित उपयोग के लिये किये गये अनुसंधान निष्कर्षो की जानकारी प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को दी। उन्होने बताया कि इन-सीटू मृदा नमी संरक्षण हेतु वाइब्रो चीजल हल द्वारा मृदा की अधोसतह में कड़ी परत तोड़कर अधिक वर्षाजल का संरक्षण कर मक्का के उत्पादन में 18 से 25 प्रतिशत तक  की वृद्धि कर सकते है। इसी प्रकार फार्म पोण्ड से संग्रहित वर्षाजल के अन्तश्रवण को रोकने के लिये 500 माइक्रोन की पाॅलिथीन सीट का उपयोग उचित रहता है अनुपयोगी पड़त भूमियों के विकास के लिये आधा मीटर चैड़ी व एक मीटर गहरी खाई खोदकर उसमें गोबर की खाद व सिंगल सुपर फास्फेट मिलाकर भरने एवं इसके उपरान्त इसमें फल वृक्षों का रोपण कर वर्षाजल के अधिक संचय द्वारा सफलतापूर्वक फलो का उत्पादन कर सकते है। साथ ही फलो के पेड़ों की बीच की लाइन में खरीफ में उड़द, मूंग, मूंगफली एवं रबी में चना की फसल उगाकर खाली स्थान का उपयोग करने से अधिकतम लाभ कमा सकते है। केन्द्र के मुख्य वैज्ञानिक,  डाॅ0 शिवदयाल धाकड़़ ने कृषि अवशेषों से बायोगैस स्लरी के रूप में जैविक खाद उत्पादन की तकनीकी एवं वर्मी कम्पोस्ट बनाने की तकनीक की जानकारी प्रायोगिक रूप से दी एवं इन नई तकनीको व नये अनुसंधान को किसानो के खेत पर करवाने की सलाह दी। डाॅ0 एल.के. छाता ने विभिन्न फसलो में बीमारियों के लक्षण, कारक जीव एवं बीमारियों के समन्वित प्रबन्धन पर सम्पूर्ण जानकारी दी एवं बीजोपचार करने पर जोर दिया। डाॅ0 आर.पी. मीना ने विभिन्न फसलो में समन्वित खरपतवार प्रबन्धन की जानकारी दी। डाॅ0 रविकान्त शर्मा ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड का महत्व, विभिन्न फसलो में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण एवं फसलों में सन्तुलित मात्रा में सिफारिश किये गये उर्वरकों की विस्तृत जानकारी कृषि विस्तार अधिकारियों को दी।

टिप्पणियाँ

समाज की हलचल

घर की छत पर किस दिशा में लगाएं ध्वज, कैसा होना चाहिए इसका रंग, किन बातों का रखें ध्यान?

समुद्र शास्त्र: शंखिनी, पद्मिनी सहित इन 5 प्रकार की होती हैं स्त्रियां, जानिए इनमें से कौन होती है भाग्यशाली

सुवालका कलाल जाति को ओबीसी वर्ग में शामिल करने की मांग

मैत्री भाव जगत में सब जीवों से नित्य रहे- विद्यासागर महाराज

25 किलो काजू बादाम पिस्ते अंजीर  अखरोट  किशमिश से भगवान भोलेनाथ  का किया श्रृगार

महिला से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में एक आरोपित गिरफ्तार

घर-घर में पूजी दियाड़ी, सहाड़ा के शक्तिपीठों पर विशेष पूजा अर्चना