संस्कारवान बनाने के लिए अणुव्रत से जोड़ा जाना महत्ती आवश्यकता-कोठारी

 


शाहपुरा (मूलचन्द पेसवानी)। अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासनश्री ध्यान साधक मुनि सुरेश कुमार हरनावां सहवर्ती मुनि संबोध कुमार मेधांश के सानिध्य में गुरूवार को लाड़ स्वाध्याय भवन में बच्चों की प्रतिभा को तराशने व प्रोत्साहन के लिए संचिना कला संस्थान के तत्वावधान में अणुव्रत बाल संगम कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
अणुव्रत विश्व भारती (अणुविभा) के राजस्थान राज्य प्रभारी अभिषेक कोठारी, अणुव्रत समिति भीलवाड़ा की अध्यक्ष आनन्दबाला, मंत्री राजेश चोरड़िया, तेरापंथ सभा भीलवाड़ा के उपाध्यक्ष मदन टोडरवाल के आतिथ्य में आयोजित बाल संगम में स्थानीय बच्चों ने संचिना कला संस्थान के तत्वावधान में अपनी प्रस्तुतियां दी। इसमें कई बच्चों ने आकर्षक चित्र तैयार किये। एक बालक ने आचार्य महाप्रज्ञ का चित्र भी तैयार किया जो आकर्षक रहा। सभी संभागियों को अणुव्रत समिति की ओर से पारितोषिक तथा संचिना की ओर से प्रमाण पत्र अतिथियों द्वारा भेंट किये गये।
संचिना कला संस्थान के अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि संचिना बच्चों की प्रतिभा को तराशने व प्रोत्साहन के लिए अनवरत कार्य कर रहा है। उन्होंने अणुव्रत बाल संगम कार्यक्रम को इसी की कड़ी बताया।
पारितोषिक वितरण कार्यक्रम में संबोधित करते हुए अणुविभा के राजस्थान राज्य प्रभारी अभिषेक कोठारी ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में बाल्यकाल में तनावमुक्त जीवन जीता है तथा यह उसके विकास की अवस्था होती है। हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है कि बाल्यावस्था में ही बच्चों को उसके अनुरूप अवसर मिले। इसके साथ ही उन्होंने संभागियों को प्रेरित करते हुए कहा कि किसी भी काम को निर्धारित समय पर पूरा करने की प्रतिबद्धता रखने से ही सफलता के मार्ग पर आसानी से अग्रसर हो सकते हैं। कोठारी ने शाहपुरा में मुनिद्वय के प्रवास कार्यक्रम को करने व इस दौरान विविध नवाचारों के कार्यक्रम करने पर स्थानीय अणुव्रत समिति को बधाई देते हुए आभार ज्ञापित किया।
कोठारी ने कहा कि विश्व शांति के लिए अणुव्रत का प्रयास काफी अहम और अद्वितीय है। जैन मुनियों ने विश्व शांति के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं इसे कोई भुला नहीं सकता है। किसी भी देश को सही रास्ते पर चलने के लिए मुनियों के मार्गदर्शन की जरूरत होती है। आचार्य तुलसी ने अणुव्रत की नींव रखीं जो आज लगातार युवाओं व बच्चों को मार्गदर्शन दे रहा है। बच्चों को वर्तमान दौर में संस्कारवान बनाने के लिए अणुव्रत से जोड़ा जाना महत्ती आवश्यकता हो गया है।
मुनि संबोध कुमार मेधांश ने कहा कि मनुष्य मानव जीवन में अपनी बुद्धि से विशेष चिंतन करें। वह अपने जीवन व आचरणों को पवित्र बनाने का प्रयास करें। अणुव्रत अनुशास्ता ने कहा कि अणुव्रत जीवन को पवित्र बनाने का व बनाए रखने का उपक्रम है। आचार्य तुलसी ने अणुव्रत की आचार संहिता प्रस्तुत की थी। बच्चों को अभी से इससे जोड़ा जाना चाहिए ताकि बच्चें जो देश का भविष्य है, संस्कारवान बन सकें।
मुनि सुरेश कुमार हरनावां ने कहा कि अणुव्रत आंदोलन को आगे ले जाने में आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ के योगदान की अनेकों संस्मरणों के उल्लेख करते हुए कहा कि वर्तमान में आचार्य महाश्रमण अणुव्रत की महान परम्पराओं का भलीभांति निर्वहन कर रहे हैं।
अणुव्रत समिति के मंत्री गोपाल पंचोली ने सभी का आभार ज्ञापित किया। समारोह में बाल संगम प्रभारी मूलचन्द पेसवानी, समिति के पूर्व अध्यक्ष रामस्वरूप काबरा, अखिल व्यास, जितेंद्र पाराशर, जिला तैराकी संघ के सचिव नरेश बूलियां भी मौजूद रहे।

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