भीलवाड़ा को रोल मॉडल का दर्जा दिलाने वाले भट्ट को लगाया उदयपुर, अब कमान नकाते के हाथ

भीलवाड़ा (हलचल) कोरोना महामारी से पहले चरण की जंग जीतकर देश भर में रॉल मॉडल बने भीलवाड़ा जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट का आखिरकार उदयपुर तबादला हो गया है। उन्हें देवस्थान विभाग कमिश्नर के पद पर लगाया है। उदयपुर के ही रहने वाले भट्ट अपने गृह जिले में तबादले के लिए प्रयासरत थे ताकि अपने पिता की सेवा कर सके। वहीं भीलवाड़ा जिले की प्रशासनिक कमान अब 25 साल में आईएएस बने इंजीनियर नकाते शिवप्रसाद मदन को दी गई है। वे श्री गंगानगर में 26 दिसंबर 2018 से कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट हैं और वहीं से ट्रांसफर होकर भीलवाड़ा आ रहे हैं। महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के माडा गांव में साधारण किसान परिवार में एक जून 1986 को जन्मे नकाते 34 साल के हैं। 2011 बैच के आईएएस नकाते एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में बीटेक तथा फार्म पावर व मशीनरी में एमटेक हैं।
वे अब तक भरतपुर एसीएम, एसडीओ झालावाड़, जिला परिषद सीईओ बारां, नगर निगम कमिश्नर कोटा व जोधपुर, बाड़मेर कलेक्टर भी रह चुके हैं। ईमानदार एवं सख्त प्रशासक के रूप में पहचान बनाने वाले नकाते का बतौर कलेक्टर भीलवाड़ा तीसरा जिला होगा। वे भीलवाड़ा में 49वें कलेक्टर होंगे। 
आईएएस नकाते शिवप्रसाद का जन्म महाराष्ट्र में सोलापुर जिला मु यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर गांव माडा के साधारण किसान परिवार में हुआ था। बचपन गाँव में ही गुजरा। उनके पिता मदन नकाते एक किसान होने के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। पिताजी के न शे कदम से ही शिवप्रसाद को भी लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रेरणा मिली। ग्रामीण परिवेश के सरकारी स्कूल में मराठी मीडियम में 10वीं तक पढ़ाई की। वर्ष 1999 में बिजली का एक प्रोजे ट शुरू नहीं होने के कारण इनके गांव में 12-12 घंटे बिजली गुल रहती थी। तब शिवप्रसाद चिमनी की रोशनी में पढ़ते थे। पढ़ाई के दौरान ही यूपीएससी का सिविल सर्विसेज का एग्जाम पास करके आईएएस बनने का सपना देखा।
नकाते को ग्रामीण परिवेश की वजह से सवाल-जवाब करने में भी संकोच होता था। मेडिकल में 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद एमबीबीएस का लक्ष्य रखा, मगर रैंक डाउन आई तो प्रशासनिक सेवा में जाने का मन बना लिया। वर्ष 2008 में एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग से बीटेक करने के दौरान ही भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने का लक्ष्य बनाया। वर्ष 2008 से 2010 के दौरान महाराष्ट्र प्रशासनिक सेवा, वन सेवा और सीआरपीएफ में एसिस्टेंट कमांडेंट के पद पर चयन हुआ।
आईएएस बनने के लिए तीनों नौकरियों को ज्वाइन नहीं किया। पहले प्रयास में ही वर्ष 2010 में यूपीएससी का एग्जाम पास किया और वर्ष 2011 में आईएएस बने। तब उनकी उम्र थी महज 25 साल। नकाते कहते हैं कामयाब होने के लिए पहली बात तो लक्ष्य पूरा होने तक सफर खत्म नहीं करें और दूसरी बात ये कि खुद में लक्ष्य को हासिल करने की क्षमता विकसित कर आगे बढ़ें।


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