कृषि विधेयकों का विरोध, मंडी व्यापारियों का ऐलान, सरकार को नहीं चुकायेंगे टैक्स

 

जयपुर. केंद्र सरकार के तीन कृषि विधेयकों  के विरोध में प्रदेश के मंडी व्यापारियों ने मोर्चा खोला रखा है. मंडी व्यापारियों ने सरकार को मंडी टैक्स  नहीं देने का निर्णय किया है. वहीं अब हर रोज अलग-अलग तरीके से इन विधेयकों के प्रति अपना विरोध   जताएंगे. राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ की गुरुवार को हुई बैठक में निर्णय लिया गया है कि जब तक केंद्र सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेती है तब तक हर रोज मंडियों में विरोध प्रदर्शन किये जायेंगे.

संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि निर्णय के मुताबिक सोमवार को मंडियों में धरना-प्रदर्शन और कानूनों का पुतला दहन होगा. मंगलवार को एक घंटे हनुमान चालीसा और नमोकार मंत्र का जाप होगा. बुधवार को विधायकों पर दबाव बनाने का कार्यक्रम है ताकि वे राज्य सरकार को मंडी टैक्स और कृषक कल्याण शुल्क हटाने के लिए बाध्य करें. गुरुवार को सद्बुद्धि यज्ञ और पुतला दहन होगा शुक्रवार को सांसदों का सामूहिक विरोध और पुतला दहन का कार्यक्रम है. शनिवार को स्थानीय प्रशासन पर दबाव बनाया जाएगा.

नहीं चुकाएंगे मंडी टैक्स
मंडी व्यापारियों ने यह भी फैसला किया है कि वो सरकार को मंडी टैक्स नहीं चुकाएंगे. राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ की वर्चुअल बैठक में यह निर्णय लिया गया. हालांकि मंडी टैक्स राज्य सरकार द्वारा वसूला जाता है. लेकिन संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता ने कहा है कि कृषि विधेयकों से मंडी व्यापारियों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है. व्यापारी केंद्र सरकार से समय आने पर अपनी तरह से निपटेंगे. लेकिन अभी बाजार में टिके रहने के लिए राज्य सरकार से मंडी टैक्स खत्म किए जाने की दरकार है. उन्होंने कहा कि व्यपारी ना तो मंडी टैक्स संग्रहित करेंगे और ना ही भुगतान करेंगे. मंडी टैक्स हटाने के लिए राज्य सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया जाएगा. राज्य सरकार चाहे तो अपने स्तर पर नाके लगाकर टैक्स वसूल सकती है. 
किसान-मजदूर भी करेंगे विरोध
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के निर्देश हैं कि किसानों- मजदूरों को भी इन कार्यक्रमों में शामिल किया जाए ताकि सरकार पर पुरजोर तरीके से दबाव बनाया जा सके. कई किसान संगठन भी इन कृषि विधेयकों का खुलकर विरोध कर रहे हैं जबकि मंडियों से रोजगार पाने वाले मजदूरों का भी आंदोलन को समर्थन होने का दावा किया का रहा है. इन कृषि विधेयकों को लेकर मंडी व्यापारियों और किसानों को कई तरह की चिंताएं और आशंकाएं सता रही है. किसानों को चिंता है कि इन कानूनों के लागू हो जाने से कॉरपोरेट्स कृषि पर हावी हो जाएगा जबकि मंडी व्यापारियों को चिंता है कि इनसे मंडियां खत्म होने की कगार पर पहुंच जाएंगी.



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