सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने ऑन लाईन विधिक जागरूकता शिविर में वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों के बारे में दी विधिक जानकारियां

 

राजसमन्द (राव दिलीप सिंह) । सदस्य सचिव, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर तथा गिरीश कुमार, अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, राजसमंद (जिला एवं सेशन न्यायाधीश) के निर्देशानुसार नरेन्द्र कुमार, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, राजसमंद की अध्यक्षता में सिस्को वैबेक्स आॅनलाईन प्लेटफार्म के माध्यम से अम्बेडकर शिक्षा कल्याण समिति, एन.जी.ओ के सदस्यों के साथ दिनांक 25.09.2020 को 2ः30 पीएम पर आॅनलाईन विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
नरेन्द्र कुमार ने प्राधिकरण की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि हमारे संविधान में वर्णित अनुच्छेद 39(ए) के तहत समाज के हर व्यक्ति तक न्याय पहुंचाने के उद्देष्य से वर्ष 1987 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम पारित किया गया जिसको वर्ष 1995 में संपूर्ण भारत में लागू किया गया तथा प्रत्येक राज्य में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला स्तर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण तथा तालुका स्तर पर तालुका विधिक सेवा समिति की स्थापना की गयी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा निषुल्क विधिक सहायता जिसके तहत जो व्यक्ति अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, जो महिला या बच्चे हो, जो व्यक्ति न्यायिक अभिरक्षा में हो, प्राकृतिक आपदा से पीडित, व जिसकी वार्षिक आय तीन लाख रूपये से कम हो उसको तत्काल विधिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
कुमार ने बताया कि राष्ट्ीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा 10 प्रकार की जनकल्याणकारी योजनायें संचालित की जाती है उनमें से नालसा वरिष्ठ नागरिकों के लिये विधिक सेवा योजना 2016 है। कुमार ने षिविर के दौरान बताया कि ऐसे वृद्ध व्यक्ति जिनकी आयु 60 वर्ष से अधिक है, वरिष्ठ नागरिक की श्रेणी में रखा गया है। हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण पेाषण अधिनियम 1956 के तहत स्वयं अपना भरण पोषण करने में असमर्थ माता पिता अपने पुत्र एवं पुत्री से भरण पोषण प्राप्त करने के हकदार है। आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 से 128 में ऐसे माता-पिता जो स्वयं अपना भरण पोषण करने में असमर्थ है, अपने पुत्र अथवा पुत्री से, यदि वे अपने माता-पिता का भरण पोषण करने में लापरवाही अथवा मनाही करते है तो भरण-पोषण का दावा करने का अधिकार दिया गया है। इसी प्रकार यदि माता को घरेलू हिंसा का षिकार बनाया जाता है तो घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत अपने पुत्र के विरूद्ध याचिका दायर कर सकती है। संवैधानिक उद्देष्यों की प्राप्ति के लिए माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 अधिनियमित किया गया। असहाय वरिष्ठ नागरिकों के लिए वृद्धाश्रमों की स्थापना की गई है। वरिष्ठ नागरिकों को आयकर में रियायत दी गई है। वरिष्ठ नागरिकों को वृद्वावस्था पेंषन योजना के तहत प्रतिमाह पेंषन प्रदान की जाती है। वरिष्ठ नागरिकों को सभी श्रेणियों की रेलगाडियों में, घरेलू उडानों में राज्य पथ परिवहन उपक्रमों की बसों में यात्रा करने हेतु किराये में छूट प्रदान की जाती है। विधिक सेवा संस्थाएं वरिष्ठ नागरिकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने हेतु जागरूकता पैदा करती है एवं समय-समय पर वृद्धाश्रमों का निरीक्षण कर वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं के समाधान हेतु तत्पर रहती है। वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों एवं हकदारियों के बारे में जागरूकता पैदा करने हेतु प्रतिवर्ष 01 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्ीय वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाया जाता है। सचिव द्वारा वीडियो कान्फ्रेन्सिंग में जुड़े सदस्यों की जिज्ञासाओं का निराकरण भी किया गया।



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