अब दलित बच्चों ने सवर्ण कुक का बनाया खाना खाने से इनकार किया; लंच के लिए घर से टिफिन ला रहे

 


देहरादून। उत्तराखंड में चंपावत जिले के सूखीढांग गांव के सरकारी स्कूल में बच्चों के बीच छुआछूत का गंभीर मामला सामने आया है। स्कूल के सवर्ण स्टूडेंट्स ने दलित कुक के हाथ से बना खाना खाने से मना कर दिया था। अब मामले में नया मोड़ आ गया है। स्कूल के दलित स्टूडेंट्स ने ऊंची जाति की कुक का बनाया खाना खाने से इनकार कर दिया है। स्कूल के प्रिंसिपल प्रेम सिंह की तरफ से शिक्षा विभाग को भेजी गई चिट्ठी में इस बात का खुलासा हुआ है।

चिट्ठी में कहा गया है कि बच्चों के बीच इस तरह की चर्चा है कि अगर दलित कुक के पकाए भोजन से सामान्य वर्ग के छात्र नफरत करते हैं, तो वे भी सामान्य वर्ग की कुक के हाथों से बना खाना नहीं खाएंगे। लंच के लिए वे अपने घर से खाना लेकर आएंगे। यह मामला सामने आने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुमाऊं के DIG नीलेश आनंद भरने को स्कूल का दौरा करने और घटना की जांच करके दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है।

पहले ऊंची जाति के छात्रों ने खाने से इनकार किया
उत्तराखंड के इस स्कूल में ऊंची जाति के छात्रों ने दलित कुक के पकाए गए भोजन को खाने से इनकार कर दिया था। ये छात्र लंच के लिए घर पर बना भोजन लेकर स्कूल आने लगे थे। इसे देखते हुए दलित महिला को नौकरी से हटा दिया गया था और उनकी जगह सामान्य वर्ग की महिला का नियुक्ति की गई थी। इस मामले में अफसरों का कहना है कि कुक को ऊंची जाति के छात्रों के बहिष्कार के कारण नहीं हटाया गया, बल्कि इसलिए हटाया गया क्योंकि उसकी नियुक्ति मानदंडों के तहत नहीं थी।

कुक के तौर पर हुई थी दलित महिला की नियुक्ति
अनुसूचित जाति की सुनीता देवी को कुछ दिनों पहले सुखीढांग इलाके के जौल गांव के सरकारी स्कूल में भोजन माता के तौर पर नियुक्त किया गया था। उन्हें कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों के लिए मिड डे मील तैयार करने का काम सौंपा गया था। स्कूल के प्रिंसिपल सिंह ने बताया कि सुनीता की ज्वाइनिंग के पहले दिन ऊंची जाति के स्टूडेंट्स ने भोजन किया था। हालांकि, दूसरे दिन से उन्होंने भोजन का बहिष्कार शुरू कर दिया। स्टूडेंट्स ऐसा क्यों कर रहे हैं, यह समझ से परे है। कुल 57 छात्रों में से अनुसूचित जाति के 16 बच्चों ने उसके हाथ से बना खाना खाया।

ऊंची जाति के योग्य कैंडिडेट को नहीं चुनने का आरोप
भोजन का बहिष्कार करने वाले स्टूडेंट्स के पेरेंट्स ने इसे लेकर मैनेजमेंट कमेटी और प्रिंसिपल पर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि ऊंची जाति के योग्य कैंडिडेट को जानबूझकर नहीं चुना गया। स्कूल के अभिभावक शिक्षक संघ के अध्यक्ष नरेंद्र जोशी ने कहा, "25 नवंबर को हुई ओपन मीटिंग में हमने पुष्पा भट्ट को चुना था, जिनका बच्चा स्कूल में पढ़ता है। वह भी जरूरतमंद थीं, लेकिन प्रिंसिपल और स्कूल मैनेजमेंट कमेटी ने उसे दरकिनार कर दिया और एक दलित महिला को भोजन माता नियुक्त किया।" सरकारी स्कूलों में स्टूडेंट्स की अटेंडेंस बढ़ाने और उन्हें पौष्टिक आहार देने के लिए मिड डे मील की व्यवस्था की गई है। सुखीढांग हाई स्कूल में रसोइयों के दो पद हैं। पहले से काम कर रही कुक शकुंतला देवी के रिटायर होने के बाद सुनीता देवी की नियुक्ति हुई थी।

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