पुलिस ने सात दिन में 3500 किमी पीछा कर किया दस्तयाब भीलवाड़ा (हलचल)। सात दिन पहले जावल गांव से संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हुये नारायण जाट ने शेयर मार्केट में घाटे से हुये 18 लाख रुपये के कर्ज के चलते अपनी ही मौत का नाटक रचा था। पुलिस करीब 3500 किलोमीटर पीछा करते हुये छत्तीसगढ़ के रायपुर से इस युवक को आज भीलवाड़ा ले आई। इस मामले का खुलासा शुक्रवार को पुलिस अधीक्षक आदर्श सिधू ने प्रेसवार्ता में किया। सिधू ने बताया कि कोटड़ी थाने के जावल गांव का निवासी नारायण जाट (27) पुत्र कन्हैयालाल जाट ने शेयर मार्केट में पैसा लगाया, लेकिन घाटे में चला गया। इस पर उसने कर्जा लेकर दूबारा शेयर खरीदे लेकिन इस बार भी उसे घाटा लगा। इस तरह उस पर करीब 18 लाख रुपए का कर्जा हो गया। इस पर उसने कर्जदारों से बचने के लिए अपनी मौत का सीन क्रिएट करना चाहा और 17-18 दिसंबर की रात खेत पर जाने के बाद घर नहीं लौटा। इसके लिए नारायण ने खेत पर आग जलाई और मृत नील गाय की हड्डियां उसमें डाल दी ताकि लोगों को लगे कि वह मर चुका है और कर्जदार पैसा मांगना बंद कर देंगे। उसने अपना मोबाइल भी आग में जला दिया और मोटरसाइकिल लेकर फरार हो गया। नारायण की सोच थी कुछ दिनों बाद वह परिजनों से संपर्क कर लेगा और केवल उनके संपर्क में रहकर जीवनयापन कर लेगा। पहले ही बना ली थी फरार होने की योजना इस नाटक की तैयारी नारायण ने तीन-चार दिन पहले ही शुरू कर दी थी। इसके लिए उसने अपना बैग पंचायत में रख दिया और अकाउंट से पैसे निकलवाकर नकदी रख ली। ओढऩे के लिए नया शॉल खरीदा और खेत पर चप्पलें व मफलर डाल दी। आधी रात को बाइक से गया चित्तौडग़ढ़ नारायण, अपनी मौत के नाटक के तहत घटना की रात 12 बजे बाइक लेकर खेत से रवाना हुआ जो, बाइक से ही चित्तौडग़ढ़ पहुंचा। बाइक वहां खड़ी कर ट्रेन से महाराष्ट्र चला गया। मुंबई के बाद भागता रहा, पीछे लगी थी पुलिस, रायपुर में पकड़ा गया नारायण जाट ट्रेन से मुंबई चला गया। वहां से वह गोवा पहुंचा। दो दिन वहां रहा। इस दौरान पुलिस को उसके नाटक की भनक लग गई और लोकेशन के आधार पर एक टीम उसके पीछे लगी थी। दोनों के बीच कुछ फासला था। पुलिस मुंबई से गोवा पहुंची, लेकिन तब तक वह वहां से निकल चुका था। वह सोलापुर व इसके बाद छत्तीसगढ़ पहुंच गया और पुलिस भी उसके पीछे थी। रायपुर जिले में उसे पुलिस ने पकड़ लिया। उसे शुक्रवार को यह टीम भीलवाड़ा ले आई। पता नहीं था कहां जाना है, ट्रेन में बैठकर बढ़ता गया आगे... नारायण ने पुलिस के समक्ष खुलासा किया कि उसे कहां जाना है, यह तय नहीं था। वह आगे से आगे ट्रेन बदलता हुआ छत्तीसगढ़ पहुंच गया। उसने यह जरुर कहा कि वह छोटी जगह पर रहकर कामकाज करना चाहता था, ताकि उसे कोई ढूंढ नहीं सके। प्लानिंग के तहत खरीदे थे तीन दिन पहले दो नये फोन नारायण ने शेयर मार्केट में लगाने के लिए लोगों से राशि उधार ली थी। लेकिन किसी से बड़ी राशि नहीं ली। 50 से 60 हजार रुपये तक ही उधार लिये। यह राशि भी उसे लोगों ने दोस्ती के नाते और परिचितों से लिये थे। कर्ज होने से उसने खुद को मृत साबित करने के नाटक की योजना बनाई और इसी के तहत उसने फरार होने से तीन दिन पहले लोकल एरिया से दो नये फोन खरीदे थे। ये ही फोन उस तक पहुंचने के लिए पुलिस के जरिया बन गये। पांच दिन बाद रिलेटिव से किया था संपर्क एसपी सिधू ने बताया कि एक बच्चे के पिता नारायण ने फरार होने के पांचवें दिन अपने एक रिलेटिव से फोन पर संपर्क किया था। यह बात पुलिस की जांच और कॉल डिटेल में सामने आई है। एसपी सिधू ने बताया कि नारायण के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिगल एडवाइज ली जा रही है। इनका रहा योगदान एसपी आदर्श सिधू के निर्देशन व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शाहपुरा चंचल मिश्रा व कार्यवाहक वृत्ताधिकारी सज्जन सिंह के सुपरविजन में कोटड़ी थानाधिकारी विक्रम सेवावत व उप निरीक्षक भंवरलाल का विशेष योगदान रहा। इस टीम में एएसआई साइबर सैल आशीष मिरा, रामसिंह, प्रहलाद, दीपक, कमलेश, चंद्रपाल, रवि कुमार, टीकमचंद, बदन सिंह, महेंद्र सिंह, लोकेंद्र सिंह, विष्णु सिंह व महेंद्र सिंह शामिल थे। |
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