बिना सहारे चल नहीं सकते, पर सफलतापूर्वक चला रहे हैं इंदिरा रसोई

 


पहले से तीन, अब छह नई इंदिरा रसोई संचालन का जिम्मा भी दिव्यांगजनों को

चित्तौडगढ़़। चित्तौड़ शहर में इंदिरा रसोई के माध्यम से दिव्यांगजन सशक्तीकरण की नई इबारत लिखी जा रही है। शहर में वर्तमान में तीन इंदिरा रसोई संचालित हैं और खास बात यह है कि इनमें काम करने वाले सभी दिव्यांगजन हैं और इनमें से अधिकतर महिला हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के च्च्कोई भूखा न सोए के संकल्प के साथ नगर निकाय क्षेत्रों में शुरू की गई इंदिरा रसोई योजना जरूरतमंदों को मात्र 8 रूपये में भरपेट भोजन उपलब्ध करवाया ही जा रहा है, बल्कि इंदिरा रसोई के माध्यम से दिव्यांगजनों के प्रति समाज की सोच में सकारात्मक बदलाव भी आ रहा है। गौरतलब है कि शहर में तीन स्थानों- रोडवेज बस स्टैंड, राजकीय चिकित्सालय परिसर और चन्देरिया में इंदिरा रसोई के माध्यम से प्रतिदिन एक हजार से ज्यादा जरूरतमंद लोगों को मात्र 8 रूपये में भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है। 

1 जुलाई से शहर में 6 नई इंदिरा रसोई शुरू हो रही है

6 नई इंदिरा रसोई का जिम्मा भी दिव्यांगजनों को जिला कलक्टर  अरविंद कुमार पोसवाल की अध्यक्षता में हाल ही जिला कलक्ट्रेट स्थित सभागार में जिले में इंदिरा रसोई के संचालन को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा के तहत जिले में नई इंदिरा रसोई खोलने, इंदिरा रसोई के सुचारू संचालन सहित अन्य बिंदुओं पर चर्चा की गई। चित्तौडगढ़़ जिला मुख्यालय सहित अन्य नगर पालिकाओं में नई इंदिरा रसोई संचालन के लिए प्राप्त विभिन्न संस्थाओं और व्यक्तियों के प्रस्ताव पर चर्चा की गई और निर्धारित गाइडलाइन के अनुसार संस्थाओं का इंदिरा रसोई संचालन के लिए चयन किया गया। संस्थाओं का चयन करते समय जिला कलक्टर ने पूर्व अनुभव, सेवा भाव और समाज सेवा के क्षेत्र में योगदान पर विशेष जोर दिया और इस पैमाने पर मेवाड़ विकलांग समिति को शहर में 1 जुलाई से शुरू होने जा रही 6 नई इंदिरा रसोई के संचालन के लिए भी चयनित किया गया है। गौरतलब है कि शहर में वर्तमान में इसी संस्था के द्वारा तीन इंदिरा रसोई संचालित की जा रही है। 

भोजन के साथ सेवा और समर्पण का स्वाद

जिला कलक्टर अरविंद कुमार पोसवाल ने बताया कि मैं खुद कई बार इंदिरा रसोई का निरीक्षण कर चुका हूं और इस दौरान खाने की गुणवत्ता सहित अन्य दूसरे बिंदुओं जैसे सेवाभाव, समर्पण और संवेदनशीलता को देखकर बहुत अच्छा लगा। दिव्यांगजनों को लेकर हमारे समाज में एक सकारात्मक बदलाव आ रहा है और चित्तौडगढ़़ शहर में दिव्यांगों के द्वारा इंदिरा रसोई का संचालन किया जाना इसी दिशा में एक अहम कदम साबित हो रहा है। हाल ही शहर में 6 नई इंदिरा रसोई के संचालन के लिए भी मेवाड़ विकलांग समिति का चयन किया गया है। इंदिरा रसोई संचालन में उत्कृष्ट कार्य के लिए संस्था को स्वाधीनता समारोह-2021 में संभाग स्तर पर पुरस्कार मिला है। 

राज्य सरकार और जिला प्रशासन का आभार: प्रीति तनेजा, संस्था अध्यक्ष

संस्था की अध्यक्ष प्रीति तनेजा ने बताया कि हम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, चित्तौडगढ़़ कलक्टर अरविंद कुमार पोसवाल के आभारी हैं कि उन्होंने हमें इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। इंदिरा रसोई के माध्यम से दिव्यांगजनों को रोजगार के साथ समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का अवसर मिल रहा है। इंदिरा रसोई में खाना बनाने से लेकर कूपन काटने, कंप्यूटर ऑपरेटर व अन्य दूसरे कार्य दिव्यांगजनों द्वारा ही किया जाता है। इनमें ज्यादातर महिला हैं और इनकी सहायता के लिए कुछ लोग रहते हैं। हमारे लिए हर दिन खास होता है। इंदिरा रसोई में प्रमुख अवसरों पर विशेष गतिविधियों का आयोजन भी किया जाता है। 20 अगस्त को इंदिरा रसोई योजना का एक साल पूरा होने पर केक काटा गया और मुख्यमंत्री जी का जन्मदिन भी इंदिरा रसोई में हमने मनाया। शहर के कई गणमान्य लोग भी जन्मदिन, शादी की सालगिरह आदि इंदिरा रसोई में मनाते हैं।  

दिव्यांगजन सशक्तीकरण का संदेश

नगर परिषद आयुक्त रविंद्र सिंह यादव ने बताया कि माननीय मुख्यमंत्री  की बजट घोषणा अनुसार चित्तौडगढ़़ शहर में 6 अतिरिक्त इंदिरा रसोई का शुभारंभ किया जा रहा है। जिला कलक्टर की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इंदिरा रसोइयों के संचालन के लिए संस्था मेवाड़ विकलांग सेवा संस्थान के संतोषजनक कार्य को देखते हुए नई खोले जाने वाली 6 इंदिरा रसोइयों का आवंटन इस संस्था को किया गया। निम्बाहेड़ा और कपासन नगरपालिका क्षेत्र में इंदिरा रसोई संचालन के लिए वेदांत फाउंडेशन अजमेर का चयन किया गया। जिले में शेष इंदिरा रसोइयों के संचालन के लिए नवीन प्रस्ताव मांगे गए हैं। 

इंदिरा रसोई योजना की विशेषताएं

8 रूपये में शुद्ध, ताजा एवं पोष्टिक भोजन, सम्मानपूर्वक एक स्थान पर बैठाकर भोजन व्यवस्था, राज्य सरकार द्वारा 12 रूपये प्रति थाली अनुदान, योजना हेतु प्रतिवर्ष 100 करोड रूपये का प्रावधान, सामान्यत: दोपहर का भोजन प्रात: 8:30 बजे से मध्यान्ह 1 बजे तक एवं रात्रिकालीन भोजन सांयकाल 5 बजे से 8 बजे तक उपलब्ध कराया जाएगा। भोजन मेन्यू में मुख्य रूप से प्रति थाली 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी, 250 ग्राम चपाती एवं आचार सम्मिलित है।   

टिप्पणियाँ

समाज की हलचल

घर की छत पर किस दिशा में लगाएं ध्वज, कैसा होना चाहिए इसका रंग, किन बातों का रखें ध्यान?

समुद्र शास्त्र: शंखिनी, पद्मिनी सहित इन 5 प्रकार की होती हैं स्त्रियां, जानिए इनमें से कौन होती है भाग्यशाली

सुवालका कलाल जाति को ओबीसी वर्ग में शामिल करने की मांग

मैत्री भाव जगत में सब जीवों से नित्य रहे- विद्यासागर महाराज

25 किलो काजू बादाम पिस्ते अंजीर  अखरोट  किशमिश से भगवान भोलेनाथ  का किया श्रृगार

मुंडन संस्कार से पहले आई मौत- बेकाबू बोलेरो की टक्कर से पिता-पुत्र की मौत, पत्नी घायल, भादू में शोक

जहाजपुर थाना प्रभारी के पिता ने 2 लाख रुपये लेकर कहा, आप निश्चित होकर ट्रैक्टर चलाओ, मेरा बेटा आपको परेशान नहीं करेगा, शिकायत पर पिता-पुत्र के खिलाफ एसीबी में केस दर्ज