चलने-फिरने में असमर्थ बच्चे को नहीं मिल पा रही सरकारी सहायता

 


हमीरगढ़ अल्लाउद्दीन मंसूरी
कवि नगर निवासी 15 साल का बालक 8 साल से चलने-फिरने में असमर्थ है। उसकी रीढ़ की हड्डी गल चुकी है और वह बिना सहारे बैठ भी नहीं सकता। ऐसे में बालक को सरकारी सहायता दिलाने के लिए पांच साल से आवेदन किया जा रहा है लेकिन हर बार आवेदन में कोई न कोई कमी बताकर रिजेक्ट कर दिया जाता है। 
बच्चे की माता सुशीला शर्मा ने रूंधे गले से बताया कि मेरा बेटा भैरूलाल शर्मा पहले ठीक था। वह रेलवे स्टेशन स्थित गायत्री विद्यालय में पढ़ने जाता था। उसी दौरान उसे चलने-फिरने में दिक्कत होने लगी और बाद में वह चलने-फिरने में भी असमर्थ हो गया। डॉक्टरों का कहना है कि भैरू की रीढ़ की हड्डी पूरी तरह गल चुकी है। अब तो हालत यह है कि वह बिना सहारे बैठ भी नहीं पाता। उसकी इस बीमारी का कोई इलाज भी नहीं है। डॉक्टरों का दावा है कि यह बीमारी 100 में से एक बच्चे को होती है। सुशीला का कहना है कि उनके तीन बेटियां और एक ही बेटा है। भैरू को सरकारी सहायता दिलाने के लिए वे पांच साल से प्रयास कर रहे हैं लेकिन ई मित्र से आवेदन करने के बाद विभाग द्वारा आवेदन में कोई न कोई कमी बताकर रिजेक्ट कर दिया जाता है। ऐसे में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। परिजन भैरू के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

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