समर्थक दलों और पार्टी के ही विधायकों ने बढ़ाई कांग्रेस नेतृत्व की चिंता, कई MLA हुए गायब!

 


जयपुर,। राजस्थान में राज्यसभा की चार सीटों के लिए 10 जून को होने वाले मतदान को लेकर कांग्रेस की चिंता बढ़ गई है। कांग्रेस के दो, बसपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले चार, भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) और माकपा के दो-दो विधायक या तो गायब हैं या फिर बाड़ाबंदी में जाने को तैयार नहीं है। इससे कांग्रेस के समीकरण गड़बड़ा गए हैं। उदयपुर के ताज अरावली होटल में की गई कांग्रेस विधायकों की बाड़ाबंदी में 125 में से अब तक 75 विधायक ही पहुंचे हैं। बाड़ाबंदी में नहीं पहुंचने वाले विधायकों को मनाने का जिम्मा खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संभाला है।

गहलोत की सलाह पर पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने सरकार से नाराज चल रहे बसपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले विधायकों से शुक्रवार सुबह मुलाकात की है। उधर भाजपा ने पार्टी के सभी विधायकों को पांच जून को पार्टी कार्यालय बुलाया है। यहां से सभी 71 विधायकों को दस जून तक हरियाणा के किसी होटल में ले जाने की योजना है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन विधायक भी भाजपा विधायकों के साथ जा सकते हैं। उधर सूत्रों के अनुसार, बाड़ाबंदी में नहीं पहुंचने वाले विधायकों के आवास एवं अन्य ठिकानों पर सरकार ने सादावर्दी में पुलिसकर्मी तैनात किए हैं,जो उनकी प्रत्येक गतिविधि की जानकारी उच्च स्तर तक पहुंचा रहे हैं। भाजपा विधायक मदन दिलावर ने पुलिस पर जासूसी करने का आरोप लगाया है।

 यह विधायक नाराज हैं

कांग्रेस के दो विधायक राजेंद्र सिंह विधुड़ी और गिर्राज सिंह मलिंगा बाड़ाबंदी में जाने को तैयार नहीं है। दोनों अलग-अलग कारणों से सरकार से नाराज हैं। बीटीपी के दोनों विधायक डूंगरपुर में पिछले साल हुए आंदोलन में पांच हजार आदिवासियों के खिलाफ दर्ज हुए 67 केस वापस लेने की शर्त पर ही कांग्रेस को वोट देने की बात कह रहे हैं। माकपा के दोनों विधायकों ने पांच जून को फैसला करने की बात कही है। बसपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले नागरिक सुरक्षा मंत्री राजेंद्र गुढ़ा,विधायक वाजिब अली,संदीप यादव और लाखन मीणा भ्री कांग्रेस की बाड़ाबंदी में जाने को तैयार नहीं है। इन विधायकों ने कहा,हम बंद होकर नहीं रह सकते हैं। निर्दलीय विधायक रमीला खड़िया,बलजीत यादव और ओमप्रकाश हुड़ला भी अब तक उदयपुर नहीं पहुंचे हैं।

 

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200 विधायक करेंगे मतदान

कांग्रेस ने राष्ट्रीय महासचिव मुकुल वासनिक,प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने घनश्याम तिवाड़ी को उम्मीदवार बनाने के साथ ही निर्दलीय सुभाष चंद्रा को समर्थन दिया है। 200 सदस्यीय विधानसभा में प्रत्येक उम्मीदवार को जीत के लिए 41-41 वोट चाहिए । कांग्रेस के खुद के 109 वोट हैं। कांग्रेस को अब तक उम्मीद थी कि सरकार को समर्थन दे रहे 13 निर्दलीय,बीटीपी और माकपा के सभी विधायक साथ रहेंगे । लेकिन 11 विधायकों ने अपना रूख अब तक साफ नहीं किया है। कांग्रेस के तीनों उम्मीदवारों की जीत के लिए 123 विधायकों के वोट जरूरी हैं। बदले हालात में अगर तीन विधायकों के वोट भी इधर-उधर हो गए तो कांग्रेस के एक उम्मीदवार की हार हो सकती है। कांग्रेस 126 विधायकों के समर्थन का दावा है। वहीं भाजपा कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने की बात कह रही है।

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