बुधवार के दिन जरूर करें संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ, जीवन में आती है सुख-समृद्धि

 



सभी देवताओं में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य कहा जाता है। इन्हें सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, गणेश जी का नाम हर शुभ कार्य से पहले लिया जाता है। इनकी पूजा करने वाला प्रथम सम्प्रदाय गाणपत्य कहा जाता है। अगर व्यक्ति गणेश जी की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ करता है तो उसके जीवन से सभी संकट खत्म हो जाते हैं। गणेश जी का वाहन मूषक है और उसका नाम डिंक है।

आज बुधवार है और आज के दिन गणेश जी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि अगर आज के दिन गणेश जी की पूजा की जाए तो व्यक्ति को उसके सभी दुखों से मुक्ति मिल जाती है। गणेश जी की पूजा करते समय उनकी आरती, गणेश चालीसा, द्वादश नामों और मंत्रों का जाप किया जाता है। सिर्फ यही नहीं, बप्पा की पूजा करते समय संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ भी किया जाना आवश्यक होता है। इससे व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। तो आइए पढ़ते हैं संकटनाशन गणेश स्तोत्र।

संकटनाशन गणेश स्तोत्र:

प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।

भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥1॥

प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।

तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥2॥

लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।

सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥3॥

नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥4॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥5॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।

पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥

जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।

संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥7॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥8॥

॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥

डिसक्लेमर

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