डीएलएड अभ्यर्थियों ने भेजा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन

 

भीलवाड़ा। प्रदेश के 40 हजार (डीएलएड अभ्यर्थी) प्रशिक्षित शिक्षक राज्य सरकार की ओर से निकाली गई रीट भर्ती परीक्षा में बैठने से वंचित हो रहे है। सरकार इस परीक्षा में केन्द्र सरकार की ओर से कराए गए डीएलएड कोर्स को मान्यता नहीं दे रही है। ऐसे में लम्बे समय से रीट की तैयारी कर रहे इन अभ्यर्थियों का भविष्य अंधकार मय होता जा रहा है। परेशान अभ्यर्थियों ने इस सबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र भेजकर इस समस्या का त्वरित समाधान कराने की मांग की है। राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षण संस्थान डी.एल.एड. प्रशिक्षित शिक्षक संघ, राजस्थान के भीलवाड़ा संयोजक प्रकाश राव की ओर से मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में बताया गया की प्रदेश के लगभग ऐसे 40,000 हजार प्रशिक्षित शिक्षक जिन्हें केन्द्र सरकार ने वर्ष 2017-2019 में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान के माध्यम से 2 वर्षीय डीएलएड कोर्स करवाया गया था। यह कोर्स उन अप्रशिक्षित सेवारत शिक्षकों के लिए था जो पहले से लोक जुंबिश, शिक्षाकर्मी, पैराटीचर, सरकारी या गैर सरकारी विद्यालयों में शिक्षण कार्य करवा रहे थे और इनके पास कोई शिक्षण प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र नहीं था। अत: केन्द्र सरकार ने ऐसे अप्रशिक्षित शिक्षकों को संसद के दोनों सदनों में एक विशेष बिल पारित कर सर्वसहमति से एक कोर्स करवाया जो मान्यता प्राप्त है। लेकिन कुछ राज्य सरकारों द्वारा मान्य नहीं किए जाने के बाद मामला उच्च न्यायालयों में पहुंचा और कोर्ट ने इस कोर्स की मान्यता के संबंध में असमंजस दूर किया। इस स्थिति को देखते हुए एनसीटीई के पक्ष में एक शुद्धि पत्र जारी किया जिसमें देश के सभी राज्य शासन सचिवों को यह आदेश दिया गया कि डी.एल.एड किए देश के सभी अभ्यर्थी देश या अपने राज्य में आने वाली आगामी किसी भी शिक्षक भर्ती के लिए पात्र हैं व अन्य किसी भी प्रारंभिक शिक्षा के लिए योग्य हैं। एनसीटीई ने राज्य के प्रत्येक प्रारंभिक शिक्षा कार्यालय, सम्बन्धित जिले के जिला शिक्षा कार्यालय, जिला शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र को अपने राज्य में आने वाली किसी भी शिक्षक भर्ती में डी.एल.एड किए अभ्यर्थी को शामिल किए जाने संबंधी पत्र जारी करने का आदेश दिया गया है। लेकिन जब राजस्थान में रीट की पात्रता के संबंध में संपर्क पोर्टल के माध्यम से पूछा गया तो इस कोर्स को राज्य सरकार द्वारा स्वीकृति नही बताया गया। ऐसे में यह देश के लगभग 10 लाख व राजस्थान के लगभग 40 हजार युवाओं के अधिकारों का हनन है। राव ने राजस्थान सरकार से अनुरोध किया की इस मामले को संज्ञान में लाएं और सकारात्मक रवैया अपनाए अन्यथा मजबूरन असंतुष्ट युवाओं को कोर्ट की शरण लेनी पड़ेगी जिससे यह परीक्षा  कोर्ट में अटक सकती है।


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