भू माफियो पर लगाम,जमीन मुआवजे का फार्मूला लागू

 

जयपुर। राज्य सरकार ने तकनीकी पेचीदगियों में उलझे भूमि अधिग्रहण मामलों के निस्तारण के लिए अब एक फार्मूला लागू किया है। इससे ना केवल प्रभावित खातेदार को उसका मुआवजा मिल सकेगा, बल्कि निकायों ने जिस उद्देश्य से भूमि का अधिग्रहण किया, वह भी पूरा हो पाएगा। यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल स्तर पर मंथन के बाद नगरीय विकास विभाग ने आदेश जारी किया है। सरकार ने दावा किया है कि नए फार्मूले से सभी निकायों के जमीनी मुआवजे के प्रकरणों में एकरूपता रहेगी।

इस फॉर्मूला से होगी विकसित भूखंड के मुआवजा की गणना
-अवाप्त भूमि का मुआवजा किसी अन्य योजना में दिया जाता है तो मुआवजे में दी जाने वाली भूमि का आकार एक फार्मूले से तय होगा। इस फार्मूले के तहत कुल अवाप्त भूमि की 25 प्रतिशत के आकार को गुणा किया जाएगा।
-जिस योजना के लिए भूमि अवाप्त की जानी है उसकी दर से गुणा किया जाएगा। इसके लिए योजना की आरक्षित दर और डीएलसी दर इनमें से जो भी अधिक होगी उस से गुणा किया जाएगा।
-अन्य योजना में मुआवजा दिया जाना है तो उस योजना की दर का प्राप्त गुणनफल में भाग दिया जाएगा। इसके लिए भी योजना की आरक्षित दर और डीएलसी दर में से जो भी अधिक होगी, उससे ही भाग दिया जाएगा। इस भागफल से प्राप्त आकार की भूमि बतौर कुल मुआवजा दी जाएगी।
-इसी फार्मूले के तहत मुआवजे में दिए जाने वाले आवासीय भूखंड के क्षेत्रफल की गणना के लिए अवाप्त भूमि के 20 प्रतिशत क्षेत्रफल से गुणा किया जाएगा।
-इसी तरह व्यवसायिक भूखंड के क्षेत्रफल की गणना के लिए 5 प्रतिशत क्षेत्रफल से गुणा किया जाएगा।

तीनों विकास प्राधिकरण में समान फार्मूला लागू
-जयपुर विकास प्राधिकरण, अजमेर विकास प्राधिकरण और जोधपुर विकास प्राधिकरण में समान फार्मूला लागू होगा।
-सबसे पहले ली गई भूमि की किस्म या भूउपयोग के अनुसार उस भूमि की कुल कीमत डीएलसी के अनुसार निकाली जाएगी।
-जिस योजना में मुआवजा दिया जाना है उसकी डीएलसी दर का ली गई भूमि की कुल कीमत में भाग देंगे।
-हे जमीनी मुआवजा उसी योजना में दिया जाए जिसके लिए भूमि ली गई है या मुआवजा अन्य योजना में दिया जाए, दोनों परिस्थितियों में यही फार्मूला लागू होगा।
-प्राप्त भागफल में भूमि का जो क्षेत्रफल प्राप्त होगा उतनी ही भूमि बतौर मुआवजा दी जाएगी।

यह आ रही दिक्कत
प्रदेश में जमीन मुआवजे का स्पष्ट फार्मूला नहीं होने के कारण अधिग्रहित भूमि का कब्जा निकायों कोनहीं मिल पा रहा है और प्रभावित खातेदार भी मुआवजे के लिए तरस रहे हैं। इन प्रकरणों में सबसे अधिक दिक्कत ऐसे मामलों में आती है जिनमें भूमि तो किसी योजना के लिए अधिग्रहित की गई लेकिन विकसित भूखंड का मुआवजा किसी दूसरी योजना में दिया गया है।

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