संसार से मुक्त होने के लिए स्वयं को ही प्रयास करना होगा-विद्यासागर महाराज
भीलवाड़ा ! संसार का हर प्राणी सुखी होना चाहता है, कोई नही चाहता उसे दुःख मिले। लेकिन दुःख है क्या, संसार में विभिन्न तरह के संकट, भूख-प्यास, धन का अभाव, बीमारी आदि को ही मानव दुःख समझता है, यही तो मिथ्या धारणा है। यह तो बाह्य दुःख है, जो कि पूर्व कर्मो के संयोग से मिलते है। वास्तविक दुःख तो आत्मा में उत्पन्न व्याकूलता है। प्राणी को यह समझ में आ जाए कि इन सांसारिक दुःखों का कारण मैं स्वयं हूँ, तो आत्मा निराकुल हो जाएगी। सांसारिक दुःख सब तुच्छ लगने लगेगे। यह बात बालयति निर्यापक मुनि विद्यासागर महाराज ने शुक्रवार को सुधासागर निलय में आचार्य गुणभद्र स्वामी रचित ग्रंथ आत्मानुशासन पर प्रवचन के दौरान कही। |
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