आज से सरकार मिलावटियों के खिलाफ चलाएगी अभियान


जयपुर। राजस्थान सरकार दस जून से मिलावाटियों के खिलाफ अभियान शुरू करेगी। इसमें इसमें खाद्य पदार्थ जैसे दूध, मावा, मसाले, मिठाई के साथ ही पेट्रोल,डीजल और दवाईयों की भी जांच की जाएगी। वही , जांच के लिए डिकॉय आपरेशन भी किए जाएंगे। इसके लिए जिला, उपखंड एवं तहसील स्तर पर अधिकारियों की कमेटियां गठित की गई है।

मालूम हो कि जिला मुख्यालयों पर निगरानी के लिए कलक्टर की अध्यक्षता में कमेटी बनेगी। इसमें पुलिस अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी और जिला रसद अधिकारी शामिल होंगे। यह कमेटी नियमित रूप से अभियान की योजना तैयार करेगी। अभियान को संचालित करने पर ध्यान देगी। कमेटी में संबंधित जिलों की डेयरी के महाप्रबंधन के अलावा ड्रग कंट्रालिंग ऑफिसर और एक व्यापार मंडल या उपभोक्ता संगठन का व्यक्ति सदस्य होगा।दवाईयों की दुकानों पर बोगस ग्राहक बनकर टीम के सदस्य दवाई बेचने वालों को पकड़ेंगे और उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे। मालूम हो कि सरकार को पेट्रोल और डीजल में मिलावट की भी सूचना कई दिनों से मिल रही थी। प्रदेश में पेट्रोल पंप पर मिलावटी पेट्रोल, डीजल बेचने और निर्धारित मात्रा से कम देने के कई शिकायतें भी मिल रही है। इन शिकायतों को ध्यान में रखकर ही अभियान चलाया जाएगा। प्रदेश स्तर पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सुनील शर्मा समन्वय का काम करेंगे। मालूम हो कि राजस्थान सरकार मिलावटियों के खिलाफ पहले भी अभियान चला चुकी है। जिस अभियान का नाम ’शुद्ध के लिये युद्ध’ दिया गया था, जो त्यौहारी सीजन में चला था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर मुख्य सचिव ने इस संबंध में जिला कलेक्टरों एवं वरिष्ठ अधिकारियों को परिपत्र जारी किया था। गहलोत ने कहा था कि प्रदेश मिलावटखोरी से मुक्ति की दिशा में एक अलग पहचान बनाएगा। दूध, दूध से बने पदार्थों, मिठाइयों, मसालों, घी तेल एवं अन्य खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए सभी जिलों में जिला कलेक्टर के निर्देशन में अभियान चलाया जाएगा जिसमें संबंधित विभागों, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, गृह विभाग के अधिकारी सक्रिय भागीदारी निभाएंगे। उन्होंने कहा कि संगठित मिलावटखोरों के बारे में जानकारी देने वालों का नाम गोपनीय रखा जाएगा और जानकारी सही पाए जाने पर उनको उचित इनाम भी दिया जाएगा। उन्होंने मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए यदि आवश्यक हो तो कानून में समुचित संशोधन किया जाए।

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