समाज का फैसला - क्लीन शेव होगा दूल्हा तो ही होंगे फेरे

 


पाली

शादी में फेरे के लिए पहली शर्त होगी दूल्हे की दाढ़ी बढ़ी हुई नहीं होगी। क्लीन शेव होगा तो ही फेरे होंगे। इसके साथ ही फैशन के नाम थीम बेस्ड होने वाली हल्दी की रस्म में पीले फूल से लेकर कपड़े और डेकोरेशन पर भी फिजूलखर्ची की तो जुर्माना देना होगा। जी हां, कुमावत समाज के 9 खेड़ों(गांवों) ने ऐसा ही फैसला किया है। समाज के अन्य फैसलों पर जाने से पहले यहां दिए गए पोल पर आप अपनी राय दे सकते हैं।

 दरअसल, गुरुवार को पाली शहर में कुमावत समाज की बैठक हुई। बैठक में शादियों में फैशन के नाम होने वाली फिजूलखर्ची को रोकने का फैसला लिया गया। साथ ही मायरे से लेकर गंगा प्रसादी में होने वाले तोहफे, जेवरात और खाने पर भी कई निर्णय लिए है। समाज के लोगों का तर्क हैं कि विवाह एक संस्कार है और दूल्हे को इसमें राजा के रूप में देखा जाता है। जबकि फैशन के फेर में दूल्हे कई प्रकार की दाढ़ी बढ़ाकर रस्में निभाते हैं। समाज के लक्ष्मण टांक व बोहराराम मालवीया ने कहा कि फैशन मंजूर है, लेकिन शादी में इस तरह नहीं। ऐसे में निर्णय लिया गया है कि डीजे पर बिंदौली निकालने का चलन बढ़ गया है। समाज के लोगों ने इस पर भी रोक लगाने को कहा। बैठक में तय किया गया कि शादी में डीजे लाकर घर पर लगा सकते हैं, लेकिन इसके साथ बिंदौली नहीं निकाली जा सकेगी। यहां तक कि शादी समारोह में दुल्हन काे चढ़ाए जाने वाले सोने-चांदी की मात्रा भी बैठक के दाैरान तय की गई।

 मायरे में जेवरात और रुपए की भी लिमिट तय
बैठक में शादी समारोह में अफीम की मनुहार पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। सगाई-दस्तूर में अब दुल्हन के कपड़ों के साथ अधिकतम 2 तोला सोना, चांदी के 2 जोड़ी छड़ा व चांदी का कंदोरा दे सकेंगे। मायरे में भी अधिकतम 5 तोला सोना, आधा किलो चांदी व 51 हजार रुपए नकद दिए जा सकेंगे।
विवाह, आणा, मृत्युभोज, ढूंढ, सगाई आदि के मौके पर होने वाली समाज की सभा में अफीम व तिजारा पर रोक रहेगी। गंगा प्रसादी में एक ही मिठाई बनाई जाएगी वह भी सीरा या लापसी में से एक। हल्दी की रस्म पुरानी परंपरानुसार ही निभानी होगी।

देशभर में सभी को मानने होंगे नियम
यह नियम पाली जिले में रहने वाले समाज के अलावा उन लोगों को भी मानने होंगे जो प्रवासी है। समाज अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण टांक ने बताया कि इन 19 गांव के 20 हजार प्रवासी गुजरात, महाराष्ट्र और साउथ के अलग-अलग शहरों में रहते हैं। यदि वे भी वहां फंक्शन करते हैं तो उन्हें भी नियम इन नियमों की पालना करनी होगी। समाज में नियम की पालना नहीं करने पर जुर्माना देना होगा, जो अभी तय नहीं किया गया है।

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