प्रदेश में जहरीली खेती से विषैले हुए हर घर के रसोईघर !

 


  खाद्य सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य, सतत विकास, खाद्य प्रदूषण की रोकथाम और प्रबंधन के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 7 जून को "विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस" का आयोजन किया जाता है ! विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2022 के लिए एक थीम "सुरक्षित भोजन, बेहतर स्वास्थ्य" (सेफर फूड, बैटर हेल्थ) रखी है ! डब्ल्यूएचओ द्वारा लांच इस कैंपेन के तहत खाद्य सुरक्षा के प्रति उन लोगों को जागरूक करना है, जो खराब भोजन का सेवन करने की वजह से गंभीर रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं ! साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना है कि हर व्यक्ति को भरपूर मात्रा में सुरक्षित और पौष्टिक भोजन मिल सके और खाद्य सुरक्षा के प्रति वैश्विक भागीदारी को बढ़ावा मिल सके ! यह पांचवा वर्ष जब विश्वजन इस दिन का आयोजन करने जा रहा है । वर्ष 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाने की घोषणा की गई और तभी से यह प्रतिवर्ष 7 जून को आयोजित किया जाने लगा । विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हर वर्ष 10 में से एक व्यक्ति को बीमारी दूषित भोजन के सेवन के कारण होती है और हर वर्ष 4,20,000 लोगों की मृत्यु का कारण दूषित भोजन ही होता है । यह बीमारी का संकट उन बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता है जिनकी उम्र 5 वर्ष से कम है ।डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार हर वर्ष 1,25,000 बच्चे अपनी जान दूषित भोजन के सेवन से गवा देते हैं ।

 

शासन प्रशासन की छत्रछाया में मिलावट का जहरीला कारोबार बेझिझक जारी....

 

          आज विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस है और शासन प्रशासन की ओर से सुरक्षित भोजन और बेहतर स्वास्थ्य देने का झूठा दावा व दिलासा दिया जा रहा है लेकिन, जब खाद्य पदार्थ ही सुरक्षित नहीं है तो बेहतर स्वास्थ्य की कल्पना कैसे की जा सकती है ! दरअसल, खाद्य सुरक्षा विभाग की रिपोर्ट बताती है कि आपके घर जो दूध पहुंच रहा है,  वह शुद्ध नहीं, मिलावटी है । दूध में घुला धीमा जहर, आपके बच्चों की हड्डियों को कमजोर कर रहा है तथा उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को पंगु बनाकर, विभिन्न रोगों के प्रति सुग्राही बना रहा है । परिणाम स्वरूप बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक हर आयु वर्ग के इंसानों में विभिन्न प्रकार के रोग जैसे हृदयाघात, धमनी काठिनेता, उदर कैंसर, लाइपोमा ट्यूमर, मधुमेह, मोटापा, उदर विकार, अपच, अल्सर, डायरिया, जैसी अनेकों प्रकार की जानलेवा बीमारियां उत्पन्न कर रहा है ! देश प्रदेश में खाद्य विभाग डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे जी, दूध, दही, छाछ, पनीर, खोया, मिठाइयां, आइसक्रीम, चॉकलेट, आदि में मिलावट को रोक नहीं पाया है और जहरीले दूध का धंधा पिछले दो दशकों में बेतहाशा बनता है !

 

मिलावटखोरों एवं इस कारोबार को रोकने में असमर्थ अधिकारियों को मिले मृत्युदंड :-सामोता 

 

    प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधन एवं जल स्रोतों के संरक्षण के लिए संघर्षरत विज्ञान गणित विषय अध्यापक कैलाश सामोता "रानीपुरा" का कहना है कि आज खाद्य पदार्थों में मिलावट के चलते हर घर का रसोईघर विषैला हो चुका है ! लोभी, लालची प्रवृत्ति केनरभक्षी इन व्यापारियों ने रसोई घर में प्रयुक्त होने वाली प्रमुख खाद्य सामग्रीयो जैसे मसाले, खाद्य, दाल, शक्कर, आटा, नमक, आदि डिब्बाबंद खाद्य सामग्री में जहर घोल दिया हैं, जिनमें स्वास्थ्य के लिए बेहद ही हानिकारक रसायन जैसे यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर, खारिया सोडा, रिफाइंड पॉम ऑयल, फिटकरी, मिट्टी, कंकर, पत्थर, कलर, गोबर, आदि का उपयोग दूध से बने प्रोडक्ट एवम् खाद्य सामग्रीयो के निर्माण में काम आने वाली सभी खाध्य सामग्रियों को विषेला बना दिया है । बाजार में तय मानकों के विपरीत, नकली व अप्रमाणित खाद्य वस्तुएं बेचने का काम धड़ल्ले से जारी है ! ढाणी ढाणी, गांव गांव, कस्बों कस्बों, गली मोहल्लों में मिलावटी चिप्स, कुरकुरे, नमकीन, डेरी प्रोडक्ट आइसक्रीम, चॉकलेट्स, पेस्ट्री, पानी पुरी, विभिन्न प्रकार के फास्ट फूड, जीवन के लिए अत्यधिक जरूरी जल, नकली व फर्जी कंपनियों का लेबल लगी हुई प्लास्टिक की बोतलों में बेचा जा रहा है और लोगों की सेहत के साथ खुला खिलवाड़ किया जा रहा है । इस प्रकार के मानव जीवन को संकट में जाने वाले लोगों एवम् जिम्मेदार प्रशासन के अधिकारियों को मृत्युदंड की कठोर सजा दी जानी चाहिए ।

 

खाद्य सुरक्षा एवं रसद विभाग कार्रवाई के नाम पर करते हैं औपचारिकता....

 

          खाद्य पदार्थों में मिलावट की शिकायत का लिखित में नामजद इंतजार करने वाले शासन प्रशासन के नुमाइंदों को शिकायत मिलने पर, कार्रवाई अथवा छापा डालने की फॉर्मेलिटी करते नजर आते हैं । चिकित्सा एवम रसद विभाग की टीम द्वारा अपने नाकाफी व नाकारा तकनीकी एवं मानव शक्ति द्वारा, खाद्य उत्पादों के सैंपल ले जाने की नौटंकी करते बिकाऊ सोशल मीडिया की खबरों में बढ़ावा देखा जा सकता है और अपना कमीशन जेब में डालकर कार्रवाई की इतिश्री कर ली जाती हैं । मैनेज सोशल मीडिया अपनी दबी कुचली आवाज में छोटी मोटी खबर प्रकाशित कर देते हैं कि आज इतने नकली मावे, आदि के सैंपल लिए और मिलावटखोरों में खलबली मची, व्यापारी दुकान का शटर बन्द कर भागे, आदि और लाचार व मजबूर जनता इन जहरीले खाद्य पदार्थ को खाने एवं हॉस्पिटलों में लूटने को मजबूरी चली आ रही है ।

 

प्रदेश में तेजी से फैला रहा है जहरीली खेती का जाल.... 

प्रदेश में एक साजिश के तहत उद्योगपतियों द्वारा किसानों को अधिक पैदावार या लागत मिलने का झांसा देकर, खेती में जहरीले एवं प्रतिबंधित रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का प्रचलन को प्रोत्साहन देने का आत्मघाती प्रयास निरन्तर किया जा रहा है तथा इस प्रयास में वे भी सफल भी हुए हैं । जिस जघन्य अपराध के साइड इफेक्ट न केवल मृदा पर पड़ रहे हैं, बल्कि मृदा में पाए जाने वाले बेहद उपयोगी कीट प्रजातियां, पक्षी प्रजातियों, पादप व वनस्पति प्रजातियों, मवेशियों तथा स्वयं इंसान ही प्रजाति पर पड़ रहा है ! परिणामस्वरूप हर घर में एक दो बीमार व्यक्ति जरूर करहाते हुए, इन बुचखानो की सैया पर लेटे हुए तथा जेनेरिक /एलोपैथिक/आयुर्वेदिक/ऑर्गेनिक मेडिसिन खाते हुए नजर आ रहे हैं !

 

बेतहाशा पर पनप रहे झोलाछाप डॉक्टर युक्त हॉस्पिटलस....

असुरक्षित एवं जहरीले खाद्यान्नों, डेयरी प्रोडक्ट्स एवं फल, सब्जी,तेल, पेय पदार्थों, आदि के सेवन व पार्श्व प्रभाव की वजह से बीमार हुए व्यक्तियों के इलाज के नाम पर, प्रदेश के हर छोटे-बड़े कस्बों में झोलाछाप विदेशों से डिग्रियां प्राप्त करके, अदक्ष, अनुभवहीन तथा असंवेदनशील नर्सिंग स्टाफ, डॉक्टर्स एवं हॉस्पिटल्स का जाल फैलता जा रहा है जिनमें इलाज के नाम पर लूट की खुली छूट शासन प्रशासन ने दे रखी है ! इन हॉस्पिटल्स में ही संचालित स्वयं के मेडिकल स्टार्स में दवा विक्रेता, बहुत कम पैसे में निर्मित होने वाली दवाइयां एवं चिकित्सीय उपकरणों के कई गुना दाम वसूलकर, आम जनता की जेब ढीली कर रहे हैं ! वहीं सरकारें इन उद्योगपतियों, हॉस्पिटल्स और ड्रग्स कंपनियों के इस माफिया गिरोह को पर कार्रवाई करने के बजाय, इन्हें विभिन्न योजनाओं के तहत जमीनें, सहायता राशि और प्रोत्साहन दिया जा रहा है ! इससे साफ जाहिर होता है कि शासन प्रशासन की मंशा स्वस्थ  राजस्थान के बजाय रुग्ण राजस्थान निर्माण की है !

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