RAS अकील अहमद ने दिया राजकीय सेवा से त्यागपत्र, औवेसी की पार्टी की ले सकते हैं सदस्यता

 


राजस्थान में तबादले से नाराज आरएएस अफसर अकील अहमद ने त्यागपत्र दे दिया है। माना जा रहा है कि अकील अहमद औवेसी की पार्टी की सदस्यता ले सकते हैं। राज्य सरकार ने हाल ही में अकील अहमद का तबादला जयपुर से बाहर कर दिया था। इससे नाराज होकर अकील अहमद खान ने कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव को अपना त्याग पत्र भेज दिया है। पत्र में उन्होंने पारिवारिक कारणों से सरकारी सेवा में बने रहने पर असमर्थता जाहिर की है। हालांकि, माना जा रहा है कि अकील अहमद राजस्थान में जमीन तलाश रही AIMIM पार्टी के विस्तार का काम देखेंगे। अकील खान ने तीन महीने पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए भी आवेदन किया था। उल्लेखनीय है कि असदुद्दीन ओवैसी ने पिछले दिनों AIMIM पार्टी का विस्तार करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता जमील खान को एआईएमआईएम पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया था। जमील खान आरएएस अधिकारी अकील खान के भाई हैं। जमील के नाम की घोषणा के साथ ही प्रदेश की गहलोत सरकार ने अकील अहमद का तबादला सीईओ वक्फ बोर्ड जयपुर से 400 किलोमीटर दूर उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग, बांसवाड़ा के पद पर कर दिया था। लेकिन अकील खान ने अपने नवीन पद पर अब तक कार्यभार नहीं संभाला।

 

गहलोत सरकार पर लगाया था आरोप

अकील खान के तबादले पर एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष और अकील के भाई जमील खान ने गहलोत सरकार पर आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि राजनीतिक द्वेष के चलते उनके भाई का तबादला जयपुर से 400 किलोमीटर दूर किया गया है. एआईएमआईएम पार्टी उन्होंने ज्वाइन किए, लेकिन गहलोत सरकार उनके भाई आरएएस अकील खान का तबादला जयपुर से बांसवाड़ा कर दिया। यह राजनीतिक द्वेष है, जिससे कि गहलोत सरकार की कथनी और करनी सबके सामने आ गई है। जो अपने आप को गांधीवादी बताते हैं वह किस तरह से अपने स्वार्थ के लिए किस हद तक जा सकते हैं यह सबके सामने है।

सरकार ने स्वीकार नहीं किया वीआरएस 

अकील खान ने तीन महीने पहले वीआरएस के लिए आवेदन किया हुआ था, लेकिन उनका वीआरएस स्वीकार नहीं हुआ। इसके बाद अकील खान का तबादला बांसवाड़ा कर दिया गया। बता दें, अभी एआईएमआईएम राजस्थान के अध्यक्ष अकील खान के भाई जमील खान हैं। साथ ही वे एआईएमआईएम राजस्थान कोर कमेटी के सदस्य भी हैं। जमील खान प्रदेश में संगठन का विस्तार कर रहे हैं, लेकिन इससे पहले अकील खान राजस्थान में विस्तार का काम संभालने वाले थे. इसको लेकर ही उन्होंने वीआरएस डाला था, लेकिन वह स्वीकार नहीं। 

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