कोरोना काल: शादीवालों की परेशानी, किसे बुलायें, किसे नहीं, रिश्ते टूटने का सता रहा डर

भीलवाड़ा हलचल। एक और जहां कोरोना का असर कम होता नजर नहीं आ रहा है, वहीं दूसरी और शादियों का सीजन भी नजदीक है और शहनाई बजवाने का आतुर लोगों के मन में शादी की खुशी में रिश्ते टूटने की कड़वाहट न घुल जाये। शादियों की तैयारियों में जुटे लोगों का कहना है कि  कोरोना के चलते गाइड लाइन के मुताबिक सौ से अधिक लोगों के शादी समारोह में शामिल होने की ही छूट है। इस पर मेजबान भी ऊहापोह में हैं कि किसे मना करें और किसको बारात में शामिल होने का न्यौता दें। वहीं, विवाह का खर्चा भी कम करना पड़ रहा है। बिंदोरी या महिला संगीत बंद है तो खाने के मैन्यू में भी कटौती हो रही है, वहीं मेहमानों  की सूची भी छोटी की जा रही है। साथ-साथ अभी यह भी इंतजार है कि अक्टूबर के आखिर तक  दो सौ जनों को विवाह में शामिल होने की छूट मिल जाए। ऐसा नहीं होने पर यह डर है कि विवाह की खुशी में कही रिश्ते टूटने की कड़वाहट ना घुल जाए।


परेशानी! निमंत्रण देते वक्त कैसे कहें, शादी में किसे आना है
मेहमानों की संख्या कम होने से शादी का निमंत्रण देना तो आसान हो गया है, लेकिन अपने मुंह से कैसे कहें कि कम जनों को आना है, या बारात में नहीं चलना है। यह भी एक बड़ी चिंता और परेशानी सामने आ रही है।  कोरोना में कम लोगों को बुलाने के लिए शादी समारोह वाले परिवार कम से कम कुमकुम पत्रिका छपवा रहे हैं जिससे कि अपने खास लोगों को ही निमंत्रण भेज सकें। इतना ही नहीं दूर-दराज रहने वाले रिश्तेदारों के घर कार्ड नहीं भेजने का मानस भी बना रहे हैं। गांव में भी जो खास हैं, उनके घर ही पत्रिका देने की बात सोची जा रही है। विभिन्न स्टॉल लगाने की जगह इक्की-दुक्की स्टॉल लगाने की तैयारी है तो मिठाई व अन्य आइटम भी कम किए जा रहे हैं।


सावे भी कम 
 नवम्बर-दिसम्बर में मात्र पांच ही सावे हैं। नवम्बर में २५, ३० नवम्बर तथा दिसम्बर में ७,८ ,११ दिसम्बर को सावे हैं। इसके बाद चार महीने पश्चात अप्रेल माह में ही सावे हैं, जिस पर इन पांच सावों में बम्पर विवाह समारोह की उम्मीद है। 


पड़ेगा गाइड लाइन का असर 
 शादी-ब्याह के कर्म-कांड से जुड़े पुरोहितों के अनुसार इस बार नवम्बर-दिसम्बर में कम ही सावे हंै, जिस पर ज्यादा शादियां होने की उम्मीद है। कोरोना के चलते कम लोगो के शामिल होने की गाइड लाइन का असर भी इस पर पड़ेगा। वहीं कैटरिंग और मिठाई विक्रय के कार्य से जुड़े लोग बताते हैं कि पहले जहां शादियों में ६०० से लेकर १००० व्यक्तियों की मिठाई के ऑर्डर मिलते थे लेकिन अब यह ऑर्डर ८० से १०० लोगों के ही मिलने लगे हैं। दीपावली को लेकर पहले अतिरिक्त स्टाफ  रखते थे लेकिन अब तो नियमित स्टाफ  जितना भी काम नहीं है। शादियों की सीमाबंदी का हमारे काम में काफी उल्टा असर पड़ा है।


 


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