नहीं हो पाई असत्य पर सत्य की विजयी व अहंकारी रावण का दहन

जहाजपुर (देवेन्द्र सिंह राणावत ) । कस्बे में हर साल की तरह इस बार दशहरे के दिन कोरोना के चलते असत्य पर सत्य की विजय नहीं हो पाई है। हर बार की तरह इस बार अहंकारी रावण के पुतले को राम द्वारा दहन नहीं किया गया है। सदियों से हम रावण को मारते आ रहे हैं और खुशी मनाते आ रहे हैं परंतु कोरोनावायरस ने रावण को इस बार जिंदा रखा है प्रतिवर्ष हम मरे हुए रावण के पुतले को दहन करते हैं और एक परंपरा निभाते हैं। कई सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार हर साल कस्बे के दशहरा मैदान में असत्य पर सत्य की विजय के लिए राम लक्ष्मण द्वारा अपने धनुष से बुराई पर अच्छाई की विजय पाने के लिए रावण के पुतले को दहन किया जाता है। कोरोना महामारी के चलते इस बार दशहरे की धूम नगर में देखने को नहीं मिलेगी पाई। नगर पालिका की ओर से दशहरा मैदान में होने वाले कार्यक्रम को पालिका ने इस बार कोरोना के चलते निरस्त कर दिया  था । वरुणा हर साल कस्बे के बस स्टैंड पर स्थित बागर के बालाजी के मंदिर के प्रांगण से भव्य राम-लक्ष्मण की शोभा यात्रा नगर के  विभिन्न मार्गो से बैंड बाजे के साथ निकाली जाती थी। जो दशहरा मैदान पहुचती है। वह अत्याचार पर सदाचार की विजय पाने के लिए राम लक्ष्मण द्वारा अपने धनुष चलाकर रावण के पुतले को  दहन किया जाता था। पहली बार नगर में ना तो राम जी की शोभायात्रा निकली और ना ही दशहरा पर रावण दहन किया गया है। इस बार कोरोना वायरस अहंकारी रावण से भी भारी दिखाई दिया है।।


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