प्रदेश में कोरोना संक्रमण पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सन्देश:

 

मेरे प्यारे प्रदेशवासियों, कोरोना की जंग से पिछले 13 महीने से हम लोग जूझ रहे हैं, 12 महीने लगातार जूझने के बाद में लगने लगा था कि अब कोरोना चला जाएगा और हमने कोई कमी नहीं रखी थी उस वक्त में हम लोग टैस्टिंग के लिए पुणे और दिल्ली सैंपल भेजते थे, आज 70 हजार टैस्टिंग पर डे की कैपेसिटी हमने यहां पर बना ली, आईसीयू बेड्स तैयार कर लिए, वैंटिलेटर तैयार कर लिए, ऑक्सीजन के लिए जनरेशन प्लांट लगा दिए, कहने का मतलब है कि आधारभूत ढांचा पूरा तैयार किया और आप सबके सहयोग से, पूरे प्रदेशवासियों से सहयोग से, उनके आशीर्वाद से, जितने धर्मगुरु थे, एक्टिविस्ट थे, एनजीओ थे, व्यापारी थे, मजदूर संगठनों के लोग थे, कर्मचारी संगठनों के लोग थे, या चाहे राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता थे, सब लोगों ने मिलकर वो जंग लड़ी थी और हम लोग वो जंग जीत गए थे। भीलवाड़ा मॉडल का भी और राजस्थान का भी पूरे देश में ही नहीं, बल्कि देश के बाहर दुनिया के मुल्कों के अंदर भी प्रचार हुआ कि राजस्थान में बहुत शानदार कोरोना का प्रबंधन हो रहा है, हम लोगों के लिए गर्व करने की बात थी। अचानक जो दूसरी लहर आई है पिछले 1 महीने से पूरी तरह तबाही मचा दी, 15 मार्च को 250 केस आ रहे थे, अब साढ़े 6 हजार केस प्रतिदिन आ गए हैं, 7 हजार आ रहे हैं। मृत्युदर जीरो हो गई थी, 15 मार्च को प्रतिदिन कोई मृत्यु हो नहीं रही थी उन दिनों के अंदर, आज 31 लोगों की जान चली गयी, कभी 30, कभी 32, कभी 33 आंकड़े आ रहे हैं प्रतिदिन के। ये कोरोना भी अलग तरह के मिजाज़ का है ये और बहुत ही खतरनाक है ये। दूसरी लहर विशेषज्ञ कहते हैं कि खतरनाक होती है हमेशा, इस लहर के अंदर एक तो बहुत फास्ट ये फैल रहा है नंबर 1, नंबर 2 ये बच्चों में भी जा रहा है, युवाओं में भी जा रहा है, जो पहले खाली बुजुर्गों में जाता था, वो संक्रमित होते थे और नंबर 3 ये कोरोना घातक रूप ले रहा है, इतनी मृत्युदर तो पूरे सालभर में कभी भी नहीं हुई थी। उस वक्त पूरे सालभर के आंकड़े देखें, तो 20 मृत्यु पर डे मैक्सिमम हुई थी कुछ दिनों के लिए, पूरे प्रदेश के अंदर और अब कभी 25, कभी 30, कभी 33 मैंने कहा आपको। तो ये जो स्थिति बनी है, घातक ये है, तेजी से फैल ये रहा है, नौजवानों, बच्चों तक में ये जा रहा है, आप टीवी देखते होंगे, किस प्रकार के दृश्य देखने को मिल रहे हैं? श्मशान गृहों में जगह नहीं है, वेटिंग लिस्ट लगी हुई है, खुले में दाह संस्कार हो रहे हैं, अस्पतालों के बाहर एंबुलेंसों की लाइनें लगी हुई हैं और जो टीवी बता रहा है पूरे देश का पिक्चर, वो बहुत ही डरावना है। तो आप सोच सकते हो कि अभी तो हम उससे बचे हुए हैं, हमारे पड़ोसी राज्यों में जो स्थिति है, चाहे दिल्ली हो, चाहे पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, यूपी, उस सबसे हम लोग बेहतर स्थिति के अंदर हैं। महाराष्ट्र की तो आप देख ही रहे हो कि बहुत ही हालात खराब हो चुके हैं वहां तो, 50 हजार से अधिक प्रतिदिन वहां पर संक्रमित लोग आ रहे हैं, मर रहे हैं काफी बड़ी संख्या के अंदर। ये डरावना जो दृश्य बना है देश के अंदर, दुनिया के दूसरे मुल्कों में भी जहां-जहां दूसरी लहर आई थी, वहां खतरनाक मामले हुए थे, यूके के अंदर तो उन्होंने बहुत कड़ा लॉकडाउन लगा दिया 4 महीने लगातार और दूसरी तरफ वैक्सीन बहुत भयंकर संख्या में लगाई वहां पर सबको वैक्सीन लगाई, अब जाकर हालात वहां काबू में आ गए हैं, नाममात्र के मरीज आ रहे हैं और इक्का-दुक्का मौत हो रही है। हम नहीं चाहते थे कि यहां पर वीकएंड का लॉकडाउन लगाएं, या कर्फ्यू लगाएं क्योंकि कोरोना जब चला जा रहा था तो लोग भी लापरवाह हो गए थे, मास्क लगा नहीं रहे थे, सोशल डिस्टेंसिंग हम कर नहीं रहे थे, हाथ धो नहीं रहे थे, शादी-ब्याह में 500-1000 तो मामूली बात थी, समझाने के बावजूद भी नहीं मान रहे थे और आप देख रहे हो कि इलेक्शन के अंदर तो सारी हदें पार हो गईं। ज्यूडीशियरी ने भी इलेक्शन अलाऊ कर दिए मना करने के बावजूद भी, हमने मना किया था, पर हमारी बात नहीं सुनी गई, उनका अपना फैसला है, इलेक्शन कमीशन को अपनी ड्यूटी अदा करनी थी, वो भी इलेक्शन करवाने लग गए और हम लोगों ने भी गलतियां कीं। जिस प्रकार से बिहार के चुनाव शुरू हुए थे, लाखों की रैलियां हो रही थीं, अब 5 राज्यों में चुनाव हो रहे हैं तो देख लिया आपने कि क्या-क्या हो रहा है। बाय इलेक्शन हुए राजस्थान में, तब भी रैलियां हो रही थीं, कुछ हद तक तो हम भी जिम्मेदार हैं। पर सवाल है कि हमें परवाह है जनता की, उनको आजीविका भी मिले और उनकी जान नहीं जाए, उनकी जान की रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है, जान है तो जहान है, तो जान की रक्षा करना हम सबका कर्त्तव्य है और सरकार भी कोई कमी नहीं रख रही है, न कमी रखेगी, न पहले रखी थी। पहले भी हमने एनजीओ की सहायता से और प्रदेशवासियों के सहयोग से, हमने कहा कि कोई भूखा नहीं सोएगा। मुझे खुशी है, कहते हुए गर्व है कि प्रदेशवासियों ने वही व्यवहार किया, आगे बढ़-बढ़कर कच्चा खाना, पक्का खाना सबको खिलाया गया, पैकेट बांटे गए। विधायकगणों को हमने कहा, उन्होंने अपने फंड से पैकेट दिए परिवारों को। सरकार ने भी गेहूं भी, दालें भी दीं फ्री और 35 लाख लोगों को मैंने बार-बार उनके खाते के अंदर हम लोगों ने पहले 1 हजार, फिर 1 हजार और, फिर 1500 उनके खाते में हमने ट्रांसफर किए हैं, एक किश्त और हम देंगे उनको। परंतु फिर भी आजीविका की जो चुनौती हमारे सामने है, वो सब जानते हैं। तो हमें ये भी देखना पड़ेगा कि किस प्रकार आजीविका चलती रहे, उनको तकलीफ नहीं हो क्योंकि तकलीफ उसको होती है जो सुबह-शाम कमाकर खाता है, बाकी लोग तो फिर भी बर्दाश्त कर सकते हैं, खर्चे कम कर सकते हैं, कुछ भी कर सकते हैं इस संकट की घड़ी के अंदर, सहयोग सबने किया है, पर गरीब आदमी की स्थिति बहुत खराब होती है। हमारा पूरा ध्यान प्रदेशवासियों की समस्याओं पर है, आप निश्चिंत रहें, हमारी तैयारी पूरी अब भी है। आप देख रहे हो ऑक्सीजन की मांग महाराष्ट्र कर रहा है केंद्र सरकार से कि आप हवाई जहाज से ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट करो महाराष्ट्र के अंदर और केंद्र सरकार ने भी फैसला किया है आज कि बाहर के मुल्कों से इम्पोर्ट करेंगे ऑक्सीजन को, बाहर के मुल्कों से आयात करेंगे, तो बिना ऑक्सीजन तो आप सोच सकते हो कि क्या स्थिति बन सकती है? जो दवाइयां हैं, वो दवाइयां पूरी मिल नहीं पा रही हैं, इतनी मांग बढ़ गई है और दवाइयों के साथ में जो हालात बने हैं, तो चाहे दवाइयां हों, चाहे ऑक्सीजन हो, कितनी हम बढ़ा लें संख्या, उसके बाद में भी अगर संख्या बढ़ती जाएगी मरीजों की, तो एक तरफ तो कैजुअल्टी ज्यादा होगी, लोग तकलीफ पाएंगे क्योंकि पोस्ट कोविड भी स्थिति अच्छी नहीं रहती है, कोविड ठीक होने के बाद भी काफी महीनों तक तकलीफ रहती है व्यक्ति को, सांस लेने के अंदर भी, चलने के अंदर भी, कई तरह की प्रॉब्लम रहती है। तो ये कोरोना हो ही क्यों? बचाव ही उपाय है, ये दिमाग में रखें हम सब लोग और किसी विशेषज्ञ ने तो ये कहा है कि कोरोना की लड़ाई जो है, महामारी की लड़ाई अस्पतालों में नहीं लड़ी जाती है, ये मैदानों में लड़ी जाती है, उसके मायने हैं, मैदान में, घरों में हम सब जो हैं, किस प्रकार से जो प्रोटोकॉल है कोरोना का, बचाव का, किस प्रकार से हम लोग मास्क लगाएं, किस प्रकार से हम लोग हाथों को बार-बार धोएं, किस प्रकार से सोशल डिस्टेंसिंग रखें, इलाज है ये, वैक्सीन की तरह ही ये प्रभावशाली होता है, मास्क लगाना। वैक्सीन की कुछ कमी हो गई केंद्र में, वो भेज नहीं रहे हैं राज्यों को, हमारे लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय है, हम संपर्क में हैं केंद्र सरकार के, उम्मीद करते हैं कि वैक्सीन आती जाएगी, हम लगाते जाएंगे। वैक्सीन लगने के बाद में कम से कम जिंदगी जाने का खतरा खत्म हो जाता है। हर व्यक्ति को वैक्सीन लगानी है, मैंने भी पहली डोज, दूसरी डोज लगवा ली है, आप सबको लगवानी है। सरकार पूरी व्यवस्था करने में लगी हुई है, चाहे वो इलाज हो, चाहे वो वैक्सीन हो, चाहे सोशल सिक्योरिटी के माध्यम से हम क्या कर सकते हैं, कैसे हम सब लोग मिलकर, मैं तो आह्वान करना चाहूंगा प्रदेशवासियों को, सभी तबकों को, सभी वर्गों को, सभी संगठनों को, पिछली बार 12 महीने 11 महीने आप लोगों जो साथ दिया जिस रूप में, एक-दूसरे के काम आए आप लोग, इम्दाद की, उसके कारण से राजस्थान कामयाब हुआ कोरोना की जंग को जीतने के अंदर, अब भी जंग जीतेंगे हम लोग, मुझे पूरा यक़ीन है। आप सबका कॉन्फिडेंस बना रहे, हौसला बुलंद रखें, सरकार आपके साथ खड़ी मिलेगी, सारी व्यवस्था हमने की है, आने वाले वक्त में और हम करेंगे। पूरी तरह हम लोग लगातार गांव के सरपंच-पंच तक संपर्क में रहना चाहते हैं, प्रदेशवासियों के तमाम संगठनों से मैंने बातचीत की है, धर्मगुरुओं से बात की है, जिससे भी बात की है, सब लोगों ने विश्वास दिलाया कि हमें जो माहौल बन गया है, हालात बन गए हैं, उसके लिए हमें सख्त कार्रवाई करनी पड़ेगी, उसके बगैर काम नहीं चलेगा। मैं आपसे अपील करूंगा अंत में कि कृपा करके आप लोग जो फैसले किए हैं सरकार ने, उनको इम्प्लीमेंट करने में आप सहयोग करें, ये नौबत ही नहीं आए कि पुलिस को सख्ती करनी पड़े क्योंकि हमें जान बचानी है लोगों की और जान बचाने के लिए अगर सख्ती करनी पड़ेगी, तो वो भी करेंगे, तब जाकर हम लोग इसको काबू में कर पाएंगे, वरना ये महामारी है, फैलते हुए वक्त नहीं लगता है। 1 अप्रैल से 15 अप्रैल के आंकड़े देखेंगे तो आप देखोगे कि ये हो क्या गया 15 दिन के अंदर? 30-35 लोग मरना प्रतिदिन, कभी सुना ही नहीं था हम लोगों ने राजस्थान के अंदर, वो स्थिति बन गई है। यही बात कहता हुआ आपको, मैं विश्वास रखता हूं कि आप लोग कमी नहीं रखेंगे, पूरा सहयोग करने में, धन्यवाद, जयहिंद, धन्यवाद।

 

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