धूम्रपान करने वालों को कोरोना का खतरा रहता है अधिक : सिंघल

जयपुर। राजस्थान में तंबाकू एवं अन्य धूम्रपान उत्पादों से होने वाले रोगों से प्रतिवर्ष 77 हजार से अधिक लोगों की मौत हो जाती है जबकि इससे देश भर में प्रतिवर्ष करीब साढ़े तेरह लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं वहीं धूम्रपान करने वालों को इस समय चल रही वैश्विक महामारी कोरोना का खतरा भी अधिक रहता है। जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में कान , नाक गला (ईएनटी) विभाग के आचार्य डा पवन सिंघल ने विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर बताया कि इससे विश्व में प्रतिवर्ष 80 लाख लोगों की जान चली जाती है।


 


उन्होंने कहा कि धूम्रपान करने वालों को कोरोना के संक्रमण का खतरा भी अधिक रहता है, क्योंकि वह बार बार सिगरेट एवं बिड़ी को मुंह में लगाते है। धूम्रपान करने वालों के फैंफड़ों की क्षमता भी कम हो जाती है, जिससे कोरोना संक्रमण होने पर मौत की संभावना कई गुणा तक बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि चबाने वाले तंबाकू उपभोक्ता इन दिनो कोरोना संक्रमण को फैलाने में बढावा देने में सहायक हो सकते है, क्योंकि तंबाकू चबाने वाला व्यक्ति बार बार पीक थूकता है।


 


इसी पीक में लंबे समय तक कोरोना का संक्रमण रहता है। हालांकि सरकार के द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। डा. सिंघल ने बताया कि प्रदेश में 300 बच्चे और देश में 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरु करते है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2017 के अनुसार राजस्थान में वर्तमान में 24.7 प्रतिशत लोग (पांच में से दो पुरुष, 10 में से एक महिला ) किसी न किसी रुप में तंबाकू उत्पादों का उपभोग करते है। इसमें 13.2 प्रतिशत लोग धूम्रपान के रुप में तंबाकू का सेवन करते है, जिसमें 22 प्रतिशत पुरुष, 3.7 प्रतिशत महिलाएं शामिल है।


 


14.1 प्रतिशत लोग चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करते है, जिसमें 22 प्रतिशत पुरुष एवं 5.8 प्रतिशत महिलाएं है। इसके साथ ही सबसे अधिक प्रदेश में 38.8 प्रतिशत लोग घरों में सेकंड हैंड स्मोक का शिकार होते है।  उन्होंने बताया कि देश में 15 वर्ष से अधिक उम्र के युवा वर्तमान में किसी न किसी रूप में तम्बाकू का उपयोग करते हैं ऐसे वयस्कों की संख्या लगभग 27 करोड़ (28.6 प्रतिशत) है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा ‘‘युवाओं को तंबाकू इंडस्ट्री के हथकंडे से बचाना और उन्हे तंबाकू और निकोटिन के इस्तेमाल से रोकना’’ की थीम रखी गई है। इस दौरान युवा वर्ग को किसी भी तरह के तम्बाकू का उपयोग करने से हतोत्साहित करने के लिए जागरुकता कार्यक्रम पर जोर देने पर जोर दिया जायेगा।


 


ईएनटी एवं कैंसर विशेषज्ञ डा. सिंघल ने कहा कि तंबाकू का धुआं इनडोर प्रदूषण का बहुत खतरनाक रूप है, क्योंकि इसमें 7000 से अधिक रसायन होते हैं, जिनमें से 69 कैंसर का कारण बनते हैं। तंबाकू का धुआं पांच घंटे तक हवा में रहता है, जो फेफड़ों के कैंसर, सीओपीडी और फेफड़ों के संक्रमण को बढ़ाता है। उन्होंने बताया कि छोटे बच्चों को जो घर पर निष्क्रिय धूम्रपान के संपर्क में आते हैं, उन्हें अस्थमा, निमोनिया और ब्रोंकाइटिस, कान में संक्रमण, खांसी और जुकाम के बार-बार होने वाले संक्रमण और बार बार श्वसन संबधी समस्याएं होती हैं। उन्होंने बताया कि सिगरेट का सेवन करने पर उसका धुंआ शरीर के अच्छे कोलेस्ट्रॉल को घटा देता है और बुरे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ा देता है। इस कारण ह्रदयघात का खतरा बढ़ जाता है।


 


वहीं तंबाकू के सेवन से पुरुषों के शुक्राणु और महिलाओं के अंडाणु बनाने की क्षमता कमजोर होती है वहीं गभर्वती महिला के सिगरेट पीने या तंबाकू का सेवन करने से बच्चे के दिमाग और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि युवाओं को इससे बचाने के लिए तंबाकू उद्योगों द्वारा अपने उत्पादों के प्रति आकर्षित करने के प्रयासों पर प्रभावी अंकुश, बच्चों एवं युवाओं को निंरतर तंबाकू से होने वाले दुष्प्रभाव के प्रति निंरतर जागरुक करने तथा तंबाकू उत्पादों के विज्ञापनों पर भी रोक लगाने की जरुरत है। 


 


इसके साथ बच्चों एवं युवाओं को तंबाकू की पहुंच से दूर रखने के लिए तंबाकू निंयत्रण अधिनियम 2003 तथा किशोर न्याय अधिनियम की धारा 77 की प्रभावी अनुपालना कराने की भी जरुरत है। सिगरेट की खुली बिक्री पर प्रतिबंध है लेकिन इसकी भी पालना नही हो पा रही है। खुली सिगरेट खरीदना युवाओं के लिए सुगम है, इसलिए खुली सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध को प्रभावी बनाये जाने की जरुरत है।


 


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