गरीब क्वॉरेंटाइन सेंटर में, अमीर अपने घर पर आइसोलेट, नियम, कानून, कायदे सभी दरकिनार

  गंगापुर - विश्व व्यापी इस गंभीर महामारी में प्रवासियों के साथ गंगापुर उपखंड में आज भी भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है| इस महामारी में भी राजनीतिक रसूख का फायदा उठाकर कुछ लोग बाहर से आकर  प्रशासनिक स्वास्थ निर्देशों को धता बता रहे है| स्थानीय अधिकारी भी कुछ छुटभैय्ए नेता की सिफारिश मानकर आम जनजीवन को महामारी का आमंत्रण दे रहे हैं । मोहल्लेवासियों द्वारा उपखंड अधिकारी को शिकायत करने के बावजूद भी  बाहर से आने वाले  प्रवासियों को कोरंटटाइम नहीं किया गया| 


चाणक्य नगरी, वार्ड 17 के मोहल्लेवासियों ने बताया गंगापुर में शुक्रवार को देखने को मिला अहमदाबाद के हाटस्पाट इलाके से प्रवासी पियुष काकाणी ,छोटा भाई प्रयक काकाणी पत्नी समेत छोटे बच्चों के साथ चाणक्य नगरी, वार्ड 17 स्थित अपने निवास पर आये है ।


पड़ोसीयो की सुचना पर सम्बंधित स्वास्थ अधिकारी ने स्क्रिनिग कर घर भेजना बताया| जबकि 4-5 दिन पूर्व में ही इनके माता-पिता भी अहमदाबाद से आये थे| आते ही प्रवासियों की मांता मोहल्ले में ईधर उधर घुमने की पड़ोसियों की शिकायत पर एक स्वास्थकर्मी औपचारिकता के लिए होम क्वाराइन्टाइन का नोटिस चस्पा कर इतिश्री कर ली गई| बावजूद इसके भी प्रवासी की माता का घर के बाहर घूमना फिरना व घर से सटे इनके परिवार के अन्य स्थानिय लोग अपने घर से  होम क्वाराइनटाइन घर मेंआना-जाना लगा हुआ है| मोहल्ले वालों के लिए चिंताजनक बात यह है कि अब यह तीन चार नये प्रवासी इसी घर में आये है|


कस्बे के कुछ छूट भैया नेताओं के कारण यह विशेष मेहरबानी प्रशासन पड़ोसियों व अन्य लोगों की जान जोखिम में डालने की छुट कर रहा है|


प्रवासियों में भी किया जा रहा  विभाग द्वारा भेदभाव


ऐसे ही मामले भेदभाव का आलम यह है कि इसी मोहल्ले के प्रवासी दिलिप सिसोदिया, उनकी पत्नी , पुत्र , पुत्र वधू, दो साल, डेढ़ साल के बच्चों सहित तीन दिन पहले मुंबई से आने पर पोटला मॉडल स्कूल में मॉडल स्कूल में क्वॉरेंटाइन कर दिया| परिवार में दो छोटे बच्चे होने की प्रशासन से गुहार लगाने के बाद कस्बे के सोहास्ती वाटिका गंगापुर क्वॉरेंटाइन सेटर


में क्वॉरेंटाइन रखा हूआ है । ऐसे माहौल में प्रशासन व चिकित्सा विभाग केे आला अधिकारियों व कर्मचारियों की इस लापरवाही का खामियाजा गंगापुर को भी कोरोना की दहलीज पर खड़ा कर रहा हैं| एक ओर गरीब तबका इस संकट में प्रशासनिक निर्देशों का कड़ाई से पालन कर रहा है| दूसरी ओर कथित पढ़ें लिखे, पैसे वाला वर्ग नियमों की अवहेलना करना अपनी शान समझ रहे हैं| इस संकट काल में जहां लोगों में असुरक्षा के भाव है|  ऐसी लापरवाही इस महामारी कभी भी निमंत्रण दे सकती है|


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