अशोक गहलोत की जादूगरी ने फिर किया कमाल, पायलट की बगावत से डरे बिना ऐसे किया सियासी संकट का मुकाबला

 

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश की जनता को एक बार फिर अपनी राजनीतिक जादूगरी दिखाने में कामयाब रहे हैं। उनकी जादूगरी के आगे सचिन पायलट व उनके समर्थक खेमे के विधायकों को ही मात नहीं खानी पड़ी, बल्कि गहलोत की जादूगरी के आगे प्रदेश भाजपा की भी एक नहीं चली। गहलोत ने अपनी जादूगरी के चलते ही बगावत का रूख अख्तयार किए हुए सचिन पायलट को फिर से कांग्रेस पार्टी में आने को मजबूर कर दिया।


सोमवार को सचिन पायलट की राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद प्रदेश में पिछले 31 दिनों से जारी सियासी घमासान खत्म सा हो गया है। पायलट ने भी आलाकमान से मुलाकात के बाद साफ कर दिया कि उनका कांग्रेस से कोई बैर नहीं है। उन्हें पद की लालसा भी नहीं है। 


गहलोत की रणनीति इस प्रकार रही असरदार 


बगावत के बाद भी डरे नहीं, डट कर खड़े रहे


प्रदेश सरकार को गिराने के लिए खरीद फरोख्त की रिपोर्ट एसओजी में दर्ज होने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट व उनके समर्थक विधायकों की वगावत से डरे नहीं बल्कि डट कर खड़े रहे. साथ ही उन्होंने कोरोना काल में जनता के लिए काम करना भी जारी रखा. गहलोत ने पायलट से डरने के बजाय उन्हें बागी करार देकर राजस्थान के डिप्टी सीएम व पीसीसी चीफ के पद से हटा दिया। गहलोत ने कभी ऐसा नहीं दिखाया कि उनकी सरकार को कोई खतरा है. वो हमेशा पूर्ण बहुमत का दावा करते रहे. गहलोत ने हर बार विधानसभा की सभी 200 सदस्यों के समर्थन की बात कही। गहलोत का ये कॉन्फिडेंस विरोधी खेमे का कॉन्फिडेंस गिराता रहा।


पायलट के करीबी विधायकों को वगावत का नहीं दिया मौका


अशोक गहलोत जहां अपनी सरकार को खतरे से बाहर दिखा रहे थे, वहीं दूसरी ओर बागी खेमे की हर एक्टिविटी पर कड़ी नजर भी बनाए हुए थे। अपनी बाड़ाबंदी में रह रहे कभी पायलट के करीबी रहे विधायकों पर भी कड़ी नजर रखी गई, जिससे उन्हें न तो पायलट से संपर्क करने का मौका मिला और न ही उन्हें व वगावत का. इस दौरान गहलोत पायलट को भी समझाने में लगे रहे। कुछ जगहों पर सख्ती भी दिखाई। कई जगहों पर ये भी दिखाया कि उनके पार्टी से चले जाने से सरकार नहीं गिरेगी। इससे आखिकार बागी विधायकों का मनोबल कम हो गया. वो दोबारा सोचने पर मजबूर हो गए।



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