बंजर भूमि का बदल गया मंज़र   निराश्रित पशुुओं को मिला आश्रय

 
भीलवाडा, /  जिले के भौगोलिक स्थिति को देखे तो जिले की सभी पंचायत समितियों में अलग अलग भौगोलिक विशेषताएं लिए हुए है । परन्तु सभी स्थितियों को देखते हुए भी जिले में बडे-बडे क्षेत्रा बंजर पडे हुए है । कई मंगरो व पहाडिया जो पूर्व में वनस्पति सम्पन्न थी वह भी धीरे -धीरे अत्यधिक दोहन से समाप्त हो गई हे ओर
शायद इसी कारण आज हम देख रहे हे कि पशु सड़क पर आ गये है जो एक भयावह स्थिति है क्योकि जब मनुष्य के लिए कहा जाता है कि आदमी सडक पर आ गया यानी उसका सब कुछ बर्बाद होने से लिया जाता है ऐसी स्थिति पशुओ की है क्योकि पशु चारण स्थलो पर अतिक्रमण कर उन्हे रोड पर आने को मजबूर कर दिया गया है । पशुओं को भी पर्याप्त ओरण व चारण स्थल मिल सके इसके लिए सुपी्रम कोर्ट द्वारा 2011 में आदेश पारित किया गया, जिसके तहत चारागाह भूमि का उपयोग किसी भी अन्य उपयोग मे नही लिये जाने के सख्त निर्देश दिये गये और इसी के प्रभाव से चारागाह विकास की उपयोगिता को महत्तव दिया गया तथा चारागाह विकास कार्य की कार्य योजना तैयार की गई है।
चारागाह की आवश्यकताः
           जानवरों के चरने के लिए साथ ही साथ छोटे - छोटे जीवजन्तु व पक्षियों के लिए उपयोगी, इसी प्रकार जिले में अधिकाशतः किसानों की आजीविका कृषि के साथ पशुपालन पर आधारित है। जैव विविधता चक्र में संतुलन बनाये रखने के लिए आवश्यक है वहीं पशुओं की आये दिन सडकों पर आने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने हेतु पशुचारण हेतु उपयुक्त स्थल तैयार करने की आवश्यकता रहती है।
            चरागाह भूमि की उपयोगिता को देखते हुए महात्मा गांधी नरेगा योजनान्र्तगत जिले की स्थानिय मांग व आवश्यकता के आधार पर पंचायत समितियों में चारागाह भूमि विकास के कार्य प्रमुखता से करवाये गये है । मनरेगा योजना द्वारा जिले की सभी पंचायत समितियों में ऐसे ही बंजर पडी बीड क्षेत्रों का चिन्हीकरण करके योजनान्तर्गत पत्थर की बाडबन्दी , खाई फेसिंग , थोर लगाना , बंजर भूमि पर कन्टूर के आधार पर  ट्रेंच आदि तैयार किये गये । इन क्षेत्रों पर विभिन्न प्रजाति के पौधारोपण , खेजडी , बबूल ,नीम  कंरज , बैर आदि पौधे लगाये गये साथ ही पशु उपायोगी व दूग्ध वर्धक घास धामण ,सेवण आदि लगाई गई ।
      जिले के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री गोपाल राम बिरडा ने बताया कि एक गांव चार काम योजना के तहत जिले में इस वर्ष प्राथमिकता से चारागाह विकास कार्य करवाये जा रहे है । गत वर्ष भी चारागाह विकास कार्य करवाने मेें जिला राजस्थान में प्रथम स्थान पर रहा है। जिले में कुल 948 चारागाह कार्य करवाये गये ।
      पंचायत समिति माण्डलगढ की ग्राम पंचायत काछोला में किया गया पशुआश्रय स्थल व चारागाह विकास कार्य एक माॅडल एवं उपयोगी परिसंपत्ति के रूप में पहचान बना रहा है । ग्राम पंचायत काछोला में चारागाह भूमि का अभाव होने से पशु चारण की समूचित व्यवस्था का अभाव था जिसके कारण आवारा पशुओं का डेरा सडकों पर

लगा रहता है जिसके चलते कई सडक दुर्घटनाए होने लगी थी । बाजार व मण्डी में पशुओं के झुण्ड से ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पडता था। इस समस्या का समाधान करने के लिए ग्राम पंचायत द्वारा महात्मा गांधी नरेगा योजना व एफ.एफ.सी योजना आदि से कन्वर्जेन्स करके 5 बीघा क्षेत्रा में चारागाह विकास व पशु आश्रय स्थल का निर्माण किया गया है। चारागाह में विभिन्न प्रजाति के लगभग 1030 पौधे व घास लगाई गई है। ग्राम पंचायत द्वारा यहाॅ विभिन्न प्रकार के 6, 8 व 12 फीट के पौधे लगाये गये है। इसी चारागाह क्षेत्रा में निराश्रित पशुओं के लिए योजनान्तर्गत पशु आश्रय स्थल बनाया गया है जिनमे आवारा व निराश्रित पशुओ को आश्रय मिला है। ग्राम पंचायत द्वारा किये गये इस कार्य में दोहरी सोच के साथ किया गया है जिससे चारागाह भूमि में होने वाली घास आदि का प्रयोग पशुओं के लिए हो पायेगा व आने वाले समय में पशुओं के चरने के लिए स्थान तैयार हो जायेगा ।
             सामुदायिक पशुआश्रय व चारागाह विकास कार्य का क्रियान्वयन व निगरानी का कार्य कार्यकारी संस्था ग्राम पंचायत द्वारा किया जा रहा है । पशुआश्रय तथा चारागाह में लगाई जाने वाली घास के द्वारा पशुओं का भरण पोषण हो रहा है। इस प्रकार महात्मा गांधी नरेगा योजना से कन्वर्जेन्स कर करवाया गये। इस कार्य से निराश्रित मवेश्यिो की समस्या का प्रभावी समाधान हुआ है।
         जिले के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री गोपाल राम बिरडा ने बताया है कि महात्मा गांधी नरेगा योजना से जिले में सभी पंचायत समितियों में चारागाह विकास कार्य करवाये गये है । विभिन्न पंचायतों द्वारा चारागाह भूमि को उपयोगी बनाने के उद्वेश्य से चारागाह में जल संरचनाओं का निर्माण किया गया है। कुछ पंचायतों के द्वारा औषधिय पौधों का रोपण कार्य भी किया गया है स्थानीय परिस्थितियों की दरकार के अनुसार बडें चारागाह में मतस्य बीजों का उत्पादन करने का नवाचार भी चारागाह के अन्दर जल संरचनाओं के अन्दर किया जा रहा है । ग्राम पंचायत काछोला में मनरेगा व अन्य योजनाओं के कन्वर्जेन्स के द्वारा तैयार माॅडल जिले का एक अनूठा माॅडल है । चारागाह विकास व पशुआश्रय के इस  संयुक्त माॅडल को राज्य स्तर से सरहाना भी मिली।


टिप्पणियाँ

समाज की हलचल

डांग के हनुमान मंदि‍र के सरजूदास दुष्‍कर्म के आरोप में गि‍रफ्तार, खाये संदि‍ग्‍ध बीज, आईसीयू में भर्ती

एलन कोचिंग की एक और छात्रा ने फांसी लगाकर की आत्महत्या

शीतलाष्टमी की पूजा आज देर रात से, रंगोत्सव (festival of colors) कल लेकिन फैली है यह अफवाह ...!

21 जोड़े बने हमसफर, हेलीकॉप्टर से हुई पुष्पवर्षा

ब्याजखोरों की धमकियों से परेशान ग्रामीण ने खाया जहर, ससुाइड नोट में 5 लोगों पर लगाया परेशान करने का आरोप

मुंडन संस्कार से पहले आई मौत- बेकाबू बोलेरो की टक्कर से पिता-पुत्र की मौत, पत्नी घायल, भादू में शोक

छोटे भाई की पत्नी ने जान दी तो बड़े भाई से पंचों ने की 3 लाख रुपये मौताणे की मांग, परिवार को समाज से किया बहिष्कृत