जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से सीखें सफलता के ये 7 मंत्र

 

भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित जन्माष्टमी का पर्व इस बार 11 और 12 अगस्त को मनाया जा रहा है। भगवान कृष्ण ने अपने जीवनकाल में अनेक ऐसे कार्य किए जिससे लोग आज भी प्रेरणा लेते हैं। उन्होंने बचपन में ही अपने अन्यायी मामा कंस का वध किया और फिर अपनी बुद्धिमत्ता और रणनीति कौशल से पांडवों को युद्ध में विजय दिलवाई। भगवान श्रीकृष्ण का जीवन विभिन्न दुर्लभ प्रसंगों से भरा हुआ है। हर बार वह नए भाव, नई कला और चाल व चमत्कार से समय को अपने पक्ष में कर लेते थे। आइए आज इस शुभ अवसर पर कान्हा के जीवन से ही जानते हैं जीवन में सफलता पाने के क्या हैं असली 7 मंत्र।


मित्र की कीमत पहचानना - 
दोस्त वही, जो हर समय साथ दे। भगवान श्रीकृष्ण ने भी अपने गरीब मित्र सुदामा के साथ पांडवों का भी सच्चे दिल से साथ निभाया। उनके इस गुण से व्यक्ति को सीखना चाहिए कि सच्चे दोस्तों को कभी नहीं भूलें। 


अपने मजबूत पक्ष को पहचनाना - 
श्रीकृष्ण कौरवों के रण कौशल से परिचित थे। उन्होंने पांडवों को इसी आधार पर जीत का तरीका समझाया। 


रणनीति के साथ काम करना - 
कृष्ण कुशल रणनीतिकार थे। अश्वत्थामा-जयद्रथ का वध उनकी व्यूह रणनीति का परिणाम है।  


कर्म पर फोकस- 
श्रीकृष्ण ने गीता में कर्मयोग के जो सिद्धांत बताए हैं, वही प्रबंधन की शिक्षा में निहित हैं। इससे आप सीख सकते हैं कि हमेशा अपने लक्ष्य पर डटे रहो। 


दूरदर्शिता - 
कृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि इंसान को काल-परिस्थितियों का आकलन करना आना चाहिए।  


साहस से सफलता की कला - 
कौरवों की 11 अक्षौहिणी सेना थी। कृष्ण ने पांडवों को समझाया, हिम्मत मत हारो। पूरी कोशिश करो।



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