जन्माष्टमी पर कान्हा को लगाएं धनिए की पंजीरी का भोग, ये है बनाने की विधि

 

देश भर में 11 और 12 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है. इस मौके पर भक्त कृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं और इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि-विधान से कान्हा की पूजा की जाती है. जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण को 56 भोग लगाते हैं लेकिन इनमें सबसे खास है धनिए की पंजीरी का भोग. माना जाता है कि बाल-गोपाल को धनिए की पंजीरी सबसे अधिक प्रिय है.


ऐसी मान्यता है की कान्हा जी माखन मिश्री बहुत खाते थे. कान्हा को किसी तरह की हानि न हो इसके लिए मां यशोदा उन्हें प्रसाद में धनिए की पंजीरी बनाकर खिलाती थीं. तभी से जन्माष्टमी के दिन धनिए की पंजीरी का भोग लगाने की परंपरा शुरू हो गई. आयुर्वेद विज्ञान में धनिया की पंजीरी के कई फायदे बताए गए हैं. धनिए की पंजीरी त्रिदोष यानी वात, पित्त कफ के दोषों से बचाने का काम करती है.


धनिया की पंजीरी बनाने के लिए कढ़ाई में 1 चम्मच घी गर्म कर इसमें धनिया पाउडर डालें. इसे अच्छी तरह से भूनें और इसके बाद इसमें कटे हुए मखाने डाल दें. आप चाहें तो को मखाने को दरदरा पीस कर भी धनिया पाउडर में डाल सकते हैं. अब इसमें काजू और बादाम के छोटे-छोटे टुकड़े डालकर मिला दें. धनिया की पंजीरी बनाने के बाद कान्हा जी को भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में लोगों को बांटें.



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