राजस्थान में कोरोना से मरने वालों में 80 प्रतिशत शहरी, रिपोर्ट में खुलासा

 

भीलवाड़ा जयपुर। शहरों में सभी तरह की सुविधाओं के बावजूद भीलवाड़ा सहित त प्रदेश में कोरोना संक्रमण से हुई मौतों में 80 प्रतिशत मौतें शहरी मरीजों की हैं। वहीं मृतकों में 66 प्रतिशत ऐसे हैं जो कोरोना के अलावा दूसरी बीमारियों से पीड़ित थे। सिर्फ कोरोना के कारण 34 प्रतिशत मौतें हुई हैं। राजस्थान सरकार की ओर से कोरोना हुई मौतों के बारे में तैयार रिपोर्ट में यह स्थिति सामने आई है। यहां उन मौतों के मामलों की सोशल ऑडिट भी कराई जा रही है जिनमें संबंधित व्यक्ति मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया। ऐसे 110 मामले हैंं और 55 की सोशल ऑडिट हो चुकी है। इनमें 14 मामले ऐसे रहे जिनमे इलाज के बारे में निर्णय करने में देरी के चलते मौत हो गई।


राजस्थान में कोरोना के चलते रविवार  तक वैसे तो 944 मौतें हो चुकी है, लेकिन चिकित्सा विभाग ने 20 अगस्त तक की रिपोर्ट तैयार की है और तब तक 921 मौतें हुई थीं। राजस्थान में अब तक कोरोना के 68 हजार 566 मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें 14 हजार 907 एक्टिव केस है। कोरोना के कुल मामलों के अनुपात में मृतयु दर करीब 1.38 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत से कम है। सरकार की रिपोर्ट बताती है कि तमाम तरह की सुविधाओं के दावे के बावजूद कोरोना न सिर्फ शहरों में ज्यादा फैला, बल्कि मौतें भी शहरों में ही ज्यादा हुई हैं। कुल 921 में से 733 मौतें शहरी मरीजों की हुई है, वहीं 188 मौतें ग्रामीणों की हुई हैं। मृतकों में यही नहीं मृतकों में 88 प्रतिशत यानी 811 ऐसे है जिनकी मौत अस्पताल में उपचार के दौरान हुई। राजस्थान में कोविड के उपचार के लिए सामन्यतः सरकारी अस्पताल ही रखे गए हैं ऐसे में 921 में से 722 मौतें सरकारी अस्पतालों में ही हुई हैं।


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60 साल से कम वालों की संख्या ज्यादा- आम तौर पर कोविड 60 साल से ज्यादा उम्र वालों के लिए ज्यादा खतरनाक माना जाता है लेकिन राजस्थान में कुल 921मृतकों में 473 ऐसे थे जिनकी उम्र 60 साल से कम रही। इनमें से 8 तो ऐसे रहे जिनकी उम्र 10 वर्ष से कम थी। वही 448 ऐसे थे जिनकी उम्र 60 साल से ज्यादा की थी। महिला और पुरुष में से यह पुरुषों के लिए ज्यादा घातक रहा और कुल मृतकों में से 67 प्रतिशत पुरूष रहे।हृदय और मधुमेह रोगियों के लिए जानलेवा- सरकार की रिपोर्ट यह भी बताती है कि यह कोरोना सबसे ज्यादा हृदय और मधुमेह रोगियों के लिए जानलेवा साबित हुआ है। राजस्थान में हुई कुल मौतों में से 66 प्रतिशत वो थे जिनके दूसरी बीमारी भी थी। इनमें से 51 प्रतिशत हृदय रोगों और 43 प्रतिशत मधुमेह के रोगी थे।इनके अलावा 14 प्रतिशत श्वसन और 12 प्रतिशत किडनी की बीमारी वाले मरीज भी थे। राजस्थान में यह गर्भवती महिलाओं के लिए भी जानलेवा रहा। सात महिलाओं की गर्भावस्था और एक की प्रसव के बाद कोविड से मौत हुई है।


मौतों की सोशल ऑडिट भी- राजस्थान में कोविड से हुई उन मौतों के मामलों की सोशल ऑडिट भी हो रही है जिनमें संबंधित मरीज मृत अवस्था में अस्पताल पहुंचा। सोशल ऑडिट के जरिये यह जानने का प्रयास किया जा रहा कि मृतयु का कारण क्या रहा। ऐसे अब तक 110 मामले सामने आए हैं। इनमे से 55 मामलों की सोशल ऑडिट हो चुकी है। इन 55 में से 14 मामले ऐसे पाए गए जिनमें परिजनों ने उपचार कराने के निर्णय में देरी कर दी, वहीं 21 मामले ऐसे भी थे जिनमें किसी प्रकार का विलंब न होने के बाद भी मौत हो गई। भीलवाड़ा में भी जो होते हुई है उनमें ज्यादातर बीमारियों के कारण बताया गया है और वह भी शहरी क्षेत्र के लोग अधिक थे।



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