अधिकांश देशों में वित्तीय वर्ष एवं शैक्षणिक वर्ष की गणना विक्रम संवत्सर के अनुसार ही निर्धारित किए गए: डॉ. तिवारी

 


निंबाहेड़ा (हलचल)। श्रीकल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के छात्रों ने नव संवत्सर, सनातन नूतन वर्ष का आरंभ सूर्योदय की बेला पर घंटानाद, शंख ध्वनि, ध्वज लहराकर एवं सूर्य नारायण का स्वागत करते हुए मनाया। श्रीकल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष एवं प्रवक्ता डॉ. मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि इस विक्रम संवत या नए वर्ष की वैज्ञानिकता आप इसी से समझ सकते हैं कि लगभग विश्व के अधिकांश देशों में वित्तीय वर्ष एवं शैक्षणिक वर्ष की गणना विक्रम संवत्सर के अनुसार निर्धारित किए गए हैं।
चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से सृष्टि की मूल आदि शक्ति जगदंबा की पूजा आराधना प्रारंभ हो जाती है। बसंतीय नवरात्रा का आरंभ इसी दिन होता है। इस तिथि के ठीक नौवें दिन उज्ज्वल चरित्र के स्वरूप और मर्यादा पूरित धर्म के साक्षात अवतार राम का धरा पर अवतरण होता है। राम का सिंहासन आरोहण चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही हुआ। चक्रवर्ती सम्राट महाराज विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य की स्थापना की। साथ ही इसी दिन विश्व की सर्वश्रेष्ठ कालगणना विक्रम संवत को प्रारंभ किया। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की। सिंध प्रांत के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरुणा अवतार भगवान झूलेलाल इसी दिन प्रकट हुए। महाभारत युगीन धर्मराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक इसी तिथि को हुआ था। महर्षि गौतम की जयंती चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ही है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिवस भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही है।

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