कोरोना की आड में गुम हुई मौसमी बीमारियां, नगर परिषद भी फोगिंग करना भूली


भीलवाड़ा (हलचल)। कोरोना से पहले जब भी मौसमी बीमारियों की दस्तक होती थी तो अस्पतालों में लंबी कतारें लग जाती थीं। नगर परिषद भी मक्खी-मच्छरों की रोकथाम के प्रयास करने लग जाती थी। फोगिंग शुरू हो जाती थी।
पिछले साल मार्च में कोरोना क्या आया, मौसमी बीमारियों सहित गंभीर रोगों को भी लोग भूल गए। अस्पतालों में अधिकतर डॉक्टरों की ड्यूटी कोरोना सेंटर्स में लगा दी गई। हर तरफ कोरोना ही कोरोना छाया रहा। खौफ ऐसा कि साधारण सर्दी, जुकाम व खांसी के रोगियों को भी सस्पेक्ट माना जाने लगा। अन्य रोगों से ग्रस्त लोग अस्पताल आने से भी कतराने लगे।
हर साल मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए नगर परिषद व स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त तत्वावधान में फोगिंग कराई जाती है। पिछले साल कोरोना ने फोगिंग भी लील ली। नगर परिषद फोगिंग के स्थान पर सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव करने में रह गई। फोगिंग हुई ही नहीं। इस बार भी अभी तक फोगिंग की दिशा में कोई प्रयास शुरू नहीं हो पाए हैं।
गर्मी के मौसम में आमतौर पर हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन, लू, चिकन पॉक्स, डायरिया के मामले बढ़ जाते हैं। बचाव के लिए गर्मी में भी पानी उबालकर पीना चाहिए क्योंकि पानी की गुणवत्ता में कमी हो जाती है। पानी में अगर ऑर्सेनिक, जंग, कीटनाशक आदि हो तो उसे पीने से डायरिया, हैजा, टायफाइड हो सकता है। इसके अलावा मच्छरों के काटने से डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, और गेस्ट्रोएन्टराइटिस जैसी घातक बीमारियां होती हैं।

 

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