बाजार हुये आबाद, भगवान के घरों में फिर भी रहा सन्नाटा

भीलवाड़ा हलचल। दु:ख दर्द में लोग भगवान को याद करते हैं, लेकिन पिछले 51 दिनों से भगवान मंदिरों में कैद है। लोग आज दूसरे दिन कफ्र्यू में छूट के बाद बाजार में निकले, लेकिन मंदिर में दर्शन करने नहीं जा सके। बाजारों में दुकानों पर सामान खरीदने के लिए उनकी कतारें लगी, लेकिन मंदिर के बाहर कोई नजर नहीं आया। 
लॉक डाउन के चलते पिछले 51 दिनों से मंदिरों के ताले लगे हैं। भगवान की पूजा-अर्चना तालों के अंदर ही की जा रही है। कई छोटे-मोटे मंदिरों और देवरों में तो लोग पूजा-अर्चना करने भी नहीं पहुंच पा रहे हैं। मंदिरों में रोजाना होने वाली पूजा-अर्चना के लिए भी पूजा सामग्री की जरुरत होती है। इस सामग्री का भी अब संकट आने लगा है। 
दुख दर्द और खुशी में भगवान को याद करने वाले भक्त अब भगवान को भी भूलने लगे हैं। आज कफ्र्यू में दूसरे दिन भी छूट दी गई। लोग खाने-पीने और अन्य सामग्री की खरीद-फरोख्त के लिए जुटे। दुकानों के बाहर बने गोलो में खड़े रहे और सामान खरीद कर घरों को लौट गये लेकिन भगवान के दर पर लोगों के पैर नहीं पड़े। 
आमदिनों में जहां सोमवार को शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। मंगलवार को बालाजी मंदिर, बुधवार को गणेश मंदिर और गुरुवार को सांई बाबा के मंदिर में भक्तों का जमावड़ा लगता था। खासकर आरती के समय तो मंदिरों में पैर रखने की जगह भी नहीं मिलती। शुक्रवार को संतोषी माता के मंदिर, शनिवार को शनिदेव और रविवार को माताजी मंदिर और देवरों पर लोग जुटते हैं। इन देवरों पर तो रात जगती है और भोपों को भाव भी आता है, जहां दुख दर्द और आने वाले समय के लिए भी पूछताछ होती है और भविष्यवाणियां की जाती है लेकिन कोरोना का डर इतना खतरनाक है कि लोग उसके आगे नतमस्तक हो गये हैं और अब घर में बैठकर ही भगवान को याद कर रहे हैं और भगवान अपने घर में लोगों के आने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन कोरोना है कि यहां से जाने का नाम नहीं ले रहा है।


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