जाट का तीखा प्रहार-बोले- भीलवाड़ा कोई मॉडल नहीं, गहलोत मॉडल है

भीलवाड़ा कोरोना संक्रमण को लेकर भीलवाड़ा में लोगों को बचाने के लिए जो उपाय किये गये वो भीलवाड़ा के किसी बाबू या अधिकारियों का मॉडल नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की दूरदर्शिता और कौर टीम की मेहनत का परिणाम है। यह मॉडल है तो सिर्फ अशोक गहलोत का। अगर कोई वाह-वाही लूटने का प्रयास कर रहा है तो वो गलत है। 
मांडल विधायक और डेयरी चैयरमेन रामलाल जाट ने आज यह तीखा प्रहार भीलवाड़ा जिला प्रशासन पर किया है। उन्होंने कहा कि छोटे बाबु और कुछ कर्मचारी भीलवाड़ा को अपना मॉडल बताकर वाह-वाही लूटने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वास्तविकता में यह मॉडल किसी का है तो सिर्फ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मॉडल है। 
जाट ने कहा कि गहलोत हमेशा लोगों के दुख-दर्द में भागीदार रहे हैं। जब बाड़मेर में बीमारी फैली तो उन्होंने किसी को भूखा नहीं सोने दिया था। आज मुख्यमंत्री गहलोत ने कोरोना माहमारी से मुकाबला करने के लिए कौर ग्रुप बनाकर बीमारी से ही मुकाबला नहीं कर रहे हैं, बल्कि किसी भी गरीब व्यक्ति को भूखा भी नहीं सोने दिया है। उन्होंने कहा कि गहलोत की कार्यप्रणाली की सराहना तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की है और इसके लिए उन्हें धन्यवाद भी दिया है। जाट ने कहा कि भीलवाड़ा कोई मॉडल नहीं है। लोगों को बचाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की टीम ने जयपुर से चिकित्सकों को भीलवाड़ा  भेजा और उसी का परिणाम है कि भीलवाड़ा में माहमारी नहीं फैल पाई। इसे रोकने में सफलता मिली। 
उन्होंने कहा कि इस माहमारी से भीलवाड़ा को बचाने के लिए किसी का बड़ा योगदान है तो वह चिकित्सकों का है। जाट ने कहा कि चिकित्सकों के साथ ही पुलिस, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सफाईकर्मी और शिक्षकों ने इसमें महत्ती भूमिका निभाई है। उन्होंने यह भी कहा कि जिला कलेक्टर ने भी कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है। 
डेयरी चैयरमेन जाट ने कहा कि मांडल क्षेत्र में भी माहमारी रोकने के लिए मेडिकल टीम ने सराहनीय प्रयास किये हैं। उन्होंने कहा कि वो अपने क्षेत्र के 150 से ज्यादा गांवों का दौरा कर कोरोना फाइटर्स से मिले हैं और गहलोत की रीति नीति से अवगत कराया है। 
किसी को भूखा नहीं सोने दिया- जाट ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भामाशाहों की ही सुझबूझ है कि भीलवाड़ा में ही नहीं, बल्कि किसी गांव में भी भूखा नहीं सोने दिया है। गांवों में 15 दिन में 5 किलो गेहूं का वितरण किया गया, जबकि पहले एक माह में 5 किलो गेहूं वितरित किया जाता था। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों द्वारा माहमारी रोकने में अच्छी भूमिका निभाने की बात भी कही। 


लोकडाउन, नोटबंदी जैसा फैसला
विधायक जाट ने लोक डॉउन को नोटबंदी की तरह का फैसला बताते हुये कहा कि श्रमिक जहां थे, वहीं अटक गये। लेकिन मुख्यमंत्री का प्रयास रहा जिससे अब अटके हुये श्रमिकों को निकाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह फैसला काफी पहले ले लेना चाहिये था। गहलोत सरकार  श्रमिकों को बिना किराये दिये अपने गंतव्य तक पहुंचा रही है। 
डेयरी ने पहुंचाया घर-घर दुग्ध
डेयरी चैयरमेन जाट ने कहा कि शहर में कफ्र्यू के चलते प्रशासन के साथ तालमेल कर भीलवाड़ा डेयरी ने लोगों को घर बैठे दुग्ध सप्लाई की है। उन्होंने यह भी कहा कि डेयरी के प्रबंधक ने अपने स्टॉफ के साथ तालमेल कर लोगों को दुग्ध की सप्लाई लगातार मिलती रहे, ऐसे प्रयास किये हैं। 


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