कोरोना: महासंकट में टेक्सटाइल इंडस्ट्री, 1500 करोड़ का झटका
भीलवाड़ा (हलचल)। कोरोना के संक्रमण के चलते घोषित लॉकडाउन में टेक्सटाइल सिटी महासंकट में आ गई है। भीलवाड़ा की करीब 400 से अधिक कपड़ा इकाइयों में उत्पादन बंद होने से इसे लगभग 1500 करोड़ रुपए का झटका लगा है।
प्रतिदिन 26 लाख मीटर कपड़े का उत्पादन करने वाली वस्त्र नगरी का सालाना टर्न ओवर 15 हजार करोड़ रुपए का है लेकिन कोरोना संकट काल में इस इंडस्ट्री का करीब 1500 करोड़ रुपए का भुगतान अटकने से अब संकट के बादल छाने लगे हैं।
लगातार चालू है बैंक का ब्याज
टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की सबसे बड़ी चिंता है कि इकाइयां बंद हैं। आधा तैयार माल पड़ा है लेकिन लॉकडाउन से पहले बेचे गए माल का पैसा अभी अटका है। इसके बावजूद बैंक का ब्याज चालू है। बकाया राशि लॉकडाउन खुलने के बाद कब तक मिल पाएगी, इसके बारे में भी कुछ नहीं कहा जा सकता। वीविंग मिल एसोसिएशन अध्यक्ष संजय पेड़ीवाल ने बताया कि मार्च का भुगतान तो जैसे-तैसे श्रमिकों को कर दिया गया है लेकिन अब आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि अप्रैल का भुगतान श्रमिकों को कर सकें।
पेड़ीवाल ने बताया कि मजदूर हमारे उद्योगों की रीढ़ की हड्डी है। सरकार को इन्हें ईएसआई या पीएफ फंड से आर्थिक सहायता देनी चाहिए। वहीं उद्योगों के टीडीएस, टफ अनुदान और जीएसटी रिफंड जैसे मुद्दों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर तुरंत इनका भुगतान किया जाना चाहिए। इसके साथ ही हमें बैंकों से कम से कम 20 से 40 प्रतिशत अतिरिक्त वर्किंग कैपिटल देना चाहिए और एक साल तक के लिए छोटे और मध्य श्रेणी के उद्योगों की ब्याज दर कम करनी चाहिए अन्यथा यह उद्योग चल नहीं पाएंगे। यह उद्योग देश में सर्वाधिक रोजगार पैदा करने वाला उद्योग हैं।
ये हैं आंकड़े
वस्त्रनगरी में 400 छोटी-बड़ी कपड़ा फैक्ट्रियां, 14 स्पिनिंग यूनिट में बनता है धागा, 19 प्रोसेस हाउसों में कपड़ों की प्रोसेसिंग, रोज 26 लाख मीटर कपड़े का उत्पादन, सालभर में 96 करोड़ मीटर कपड़े का उत्पादन, 27 टेक्सटाइल मार्केट और 2 हजार दुकानें, 70 देशों में भेजा जाता है कपड़ा और धागा, 600 करोड़ रुपए के कपड़े का होता है निर्यात, 1200 करोड़ रुपए के धागे का है निर्यात, 15 हजार करोड़ रुपए का सालाना टर्न ओवर, एक लाख से ज्यादा लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ है।
लोन में लॉकडाउन पीरियड का ब्याज माफ हो: जैन
मेवाड़ चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सचिव आरके जैन कहते हैं कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भीलवाड़ा कपड़ा उद्योग से हजारों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इस समय इस उद्योग को पूंजी संकट का सामान करना पड़ रहा है। एमसीसीआई ने राज्य सरकार से बिजली की दर कम करने के साथ-साथ अन्य रियायतें देने का आग्रह किया है। लॉकडाउन पीरियड के लोन का पूरा ब्याज माफ हो। 24 महीनों की किश्त भुगतान आगे बढ़ाई जाए। जैन ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार ने कपड़ा उद्योग को रियायतें नहीं दीं तो यह लॉकडाउन और कफ्र्यू वस्त्रनगरी के विकास के पहियों में ब्रेक लगा देगा।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें